Bombay High Court : बिना गलत इरादे से, पीठ और सिर पर हाथ फेरने से अवयस्क लड़की की लज्जा भंग नहीं होती: अदालत

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Bombay High Court: Rubbing hands on back and head without any mala fide intention does not outrage the modesty of a minor girl: Court
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calendar30 Nov 2025 06:30 AM
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Bombay High Court :   बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने 28 वर्षीय एक व्यक्ति की दोषसिद्धी रद्द करते हुए कहा कि किसी गलत नीयत के बिना नाबालिग लड़की की पीठ और सिर पर केवल हाथ फेर देने से उसकी लज्जा भंग नहीं होती। मामला 2012 का है, जब 18 साल के व्यक्ति पर 12 साल की एक लड़की की लज्जा भंग करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था।

Bombay High Court :

पीड़िता के मुताबिक, आरोपी ने उसकी पीठ और सिर पर हाथ फेरते हुए कहा था कि वह बड़ी हो गई है। अदालत ने 10 फरवरी को मामले में फैसला सुनाया, जिसकी प्रति 13 मार्च को उपलब्ध हुई। न्यायमूर्ति भारती डांगरे की एकल पीठ ने दोषसिद्धी रद्द करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत नहीं होता कि दोषी का कोई गलत इरादा था, बल्कि उसकी बात से लगता है कि वह पीड़िता को बच्ची के तौर पर ही देख रहा था। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ किसी स्त्री की लज्जा भंग करने के लिए, किसी का उसकी लज्जा भंग करने की मंशा रखना महत्वपूर्ण है...।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ 12-13 वर्ष की पीड़िता ने भी किसी गलत इरादे का उल्लेख नहीं किया। उसने कहा कि उसे कुछ अनुचित हरकतों की वजह से असहज महसूस हुआ।’’ अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा कि अपीलकर्ता की मंशा लड़की की लज्जा भंग करने की थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार, 15 मार्च 2012 को अपीलकर्ता 18 वर्ष था और वह कुछ दस्तावेज देने लड़की के घर गया था। लड़की उस समय घर अकेली थी। उसने लड़की के सिर और पीठ पर हाथ फेरा जिससे वह घबराकर मदद के लिए चिल्लाने लगी।

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निचली अदालत द्वारा मामले में दोषी ठहराने और छह महीने की सजा सुनाने के बाद व्यक्ति ने उच्च न्यायालय का रुख किया था। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि निचली अदालत का फैसला उचित नहीं था और प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि व्यक्ति ने बिना किसी गलत नियत के, बिना सोचे समझे वह आचरण किया।

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Goa : गोवा सरकार एच3एन2 संक्रमण पर करेगी बैठक

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Goa government will hold meeting on H3N2 infection
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calendar29 Nov 2025 06:10 PM
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पणजी। गोवा सरकार ‘इन्फ्लूएंजा ए’ के उप स्वरूप ‘एच3एन2’ पर चर्चा के लिए मंगलवार को एक उच्च स्तरीय बैठक करेगी। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने यह जानकारी दी।

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उन्होंने बताया कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन हो। गोवा में इस साल अभी तक एच3एन2 का कोई मामला सामने नहीं आया है।

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Meghalaya High Court : परिवहन पर रोक के लिए सीआईएसएफ की 10 कंपनियां तैनात करें: अदालत

राणे ने सोमवार की रात ट्वीट कर कहा कि मैं कल (मंगलवार) को स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य विभाग और गोवा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के अधिकारियों के साथ ‘इन्फ्लुएंजा ए’ के उप स्वरूप ‘एच3एन2’ पर चर्चा के लिए बैठक करूंगा। उन्होंने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया जाएगा। इस पर सप्ताह में एक बार समीक्षा बैठक की जाएगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ‘एच3एन2’ वायरस के संबंध में विभिन्न राज्यों को दिशानिर्देश जारी किए हैं। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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Meghalaya High Court : परिवहन पर रोक के लिए सीआईएसएफ की 10 कंपनियां तैनात करें: अदालत

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Meghalaya High Court: Deploy 10 CISF companies to stop the transport: Court
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calendar30 Nov 2025 05:30 PM
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Meghalaya High Court : मेघालय उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को कोयले के अवैध खनन और परिवहन पर रोक लगाने के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की 10 कंपनियों को तैनात करने का आदेश दिया है। उच्च न्यायालय ने कोयले के अवैध खनन और परिवहन की जांच के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की 160 कंपनियों की तैनाती के राज्य सरकार के प्रस्ताव पर नाखुशी जाहिर की और इसे "बहुत ज्यादा" करार दिया।

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अदालत ने कहा कि इतने सशस्त्र बलों की तैनाती से राज्य सरकार को 300 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च उठाना होगा। मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, "राज्य में कुल क्षेत्रफल को देखते हुए... सीआईएसएफ की 10 कंपनियां वाहनों की जांच करने और कोयले के अवैध परिवहन को पूरी तरह से रोकने के लिए पर्याप्त होनी चाहिए।" आदेश में कहा गया है, "जब सीआईएसएफ वाहनों की जांच में लगा हुआ है, तब इसमें कोई संदेह नहीं है कि वह प्रतिबंधित सामान की भी जांच करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि माल वाहन मेघालय में राजकीय राजमार्गों और राष्ट्रीय राजमार्गों पर चलने के लिए भार सीमा का पालन करें।" राज्य में अवैध खनन गतिविधियों की जांच के लिए गठित एक समिति के प्रमुख पूर्व न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) न्यायमूर्ति बी पी काटकेय ने 11वीं अंतरिम रिपोर्ट दाखिल की। रिपोर्ट के आधार पर, अदालत ने उन प्रमुख क्षेत्रों पर न्यायमूर्ति काटकेय के परामर्श से 10 कंपनियों की तैनाती का निर्देश दिया, जहां काम करने की आवश्यकता है। अदालत ने भारत के डिप्टी सॉलिसिटर जनरल डॉ मोजिका को राज्य में कोयले के अवैध परिवहन की जांच के उद्देश्य से तैनात की जाने वाली सीआईएसएफ की 10 कंपनियों के लिए हर तरह की जरूरत और औपचारिकताओं पर गौर करने का भी निर्देश दिया। इस मामले में अगली सुनवाई 20 मार्च को होगी।

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इस बीच, एक अन्य जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, उच्च न्यायालय की पीठ ने राज्य सरकार को अवैध कोक संयंत्रों के 'असली दोषियों' के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा, "राज्य से यह अपेक्षा की जाती है कि वह उनके (अवैध कोक संयंत्रों के संचालकों) के खिलाफ कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करे।"

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