UP News : बांदा में अवैध शस्त्र फैक्ट्री का पकड़ी गई

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UP News: Illegal arms factory caught in Banda
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 04:45 AM
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UP News :  यूपी के बांदा जिले की बबेरू पुलिस ने अवैध शस्त्र फैक्ट्री का खुलासा किया है। नौ तमंचा, एक देशी राइफल, 22 कारतूस और 40 खोखा कारतूस व शस्त्र बनाने के उपकरण बरामद किए हैं। दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। दो आरोपियों का अपराधिक इतिहास भी है।

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  4 से 5 हजार में बेचते थे असलहा इस शस्त्रों को बांदा और आसपास के जनपदों में चार से पांच हजार रुपये में बिक्री भी की जाती थी। मामले का खुलासा करते हुए एसपी अभिनंदन, अपर एसपी लक्ष्मी निवास मिश्र व सीओ बबेरू राकेश सिंह ने बताया कि बबेरू पुलिस ने बउवा उर्फ संदीप सिंह निवासी परसौली को गिरफ्तार किया है। अवैध शस्त्र कारखाना पकड़ा पुलिस की गिरफ्त में आए संदीप सिंह ने बताया कि वह हरदौली निवासी उदय प्रताप रैदास से तमंचे का निर्माण कराता था। उसी से वह तमंचे खरीदकर ला रहा था। पुलिस ने उसकी निशानदेही पर उदय रैदास के घर में छापेमारी की, तो मौके से अवैध शस्त्र कारखाना पकड़ा, जहां उदय को निर्माण करते हुए पकड़ा। आरोपियों से ये बरामद हुआ उसके घर से धौकनी, ड्रिल मशीन, छेनी, नोहाई, हथौड़ा, छोटी-बड़ी आरी, रेती स्प्रिंग, ब्लेड व शस्त्र बनाने के उपकरण बरामद किए हैं। कोतवाल पंकज सिंह ने बताया कि उदय प्रताप के खिलाफ दो मुकदमें और संदीप सिंह के खिलाफ तीन मुकदमें दर्ज हैं।

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Adi Shankaracharya Jayanti 2023 : धर्म स्थापना के लिए 1200 वर्ष पहले किया वैदिक ज्ञान का प्रचार

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 02:45 AM
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Adi Shankaracharya Jayanti 2023 : वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को गुरु शंकराचार्य जी की जयंती के रुप में मनाया जाता है। वैशाख का महीना कई मायनों में काफी महत्वपुर्ण माना जाता रहा है।  इस माह के दौरान कई महान धर्म गुरु एवं धर्म सुधारकों का जन्मोत्सव भी मनाया जाता रहा है।  इसी क्रम में आदि शंकराचार्य जी का नाम बहुत श्रद्धा एवं विश्वास के साथ लिया जाता है।  आदि शंकराचार्य जी का स्थान भारत की संस्कृति एवं धर्म के पुनरुथान हेतु बेहद महत्वपूर्ण रहा है।  हिंदू पंचांग के अनुसार, आदि शंकराचार्य का जन्म 788 ईसा पूर्व में वैशाख के महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हुआ था।  आदि शंकराचार्य की जयंती के उपलक्ष्य पर देश भर में विशेष पूजा आयोजन किए जाते हैं।  लोग इस दिन को एक त्योहार के रूप में मनाते हैं और इस वर्ष आदि शंकराचार्य जयंती का पर्व 25 अप्रैल 2023 को मनाया जाने वाला है।

आदि शंकराचार्य का जन्म और उनके जीवन की घटनाएं

आदि शंकराचार्य का जन्म 788 ईसा पूर्व केरल में कालड़ी के नंबूदरी परिवार में हुआ था।  ब्राह्मण परिवार में जन्में शंकराचार्य जी ने देश भर में घूम घूम कर धर्म की स्थापना एवं उसके प्रचार के कार्य को संपन्न किया।  आदि शंकराचार्य को जगद्गुरु के नाम से भी जाना जाता  है। आदि शंकराचार्य जयंती को पवित्र धार्मिक उत्सव के रुप में जाना जाता है.। उन्होंने वैदिक ज्ञान का प्रचार किया। आदि शंकराचार्य जी के जन्म से कई तरह की कथाएं भी काफी प्रचलित रही हैं।  इनके चमत्कारों का प्रभाव सभी के जीवन पर रहा है। आदि शंकराचार्य के जन्म के बारे में एक कहानी है जिसमें माना जाता है कि एक समय ऐसा था जब लोग पवित्रता और आध्यात्मिकता से वंचित थे। सभी ऋषियों ने भगवान शिव से मदद लेने के लिए उनके पास जाने का फैसला किया और भगवान शिव ने उन्हें वादा किया कि वह हिंदू धर्म में लोगों को आध्यात्मिकता के बारे में बताने के लिए आदि शंकराचार्य के रूप में जन्म लेंगे।  इस प्रकार, आदि शंकराचार्य का जन्म हिंदू धर्म के अनुयायियों को पढ़ाने और उनकी मदद करने के लिए हुआ था।

आदि शंकराचार्य जी ने देश भर में की थी मठों की स्थापना

Adi Shankaracharya Jayanti 2023 :  इस उद्देश्य के लिए जगद्गुरु आदि शंकराचार्य ने चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना अलग अलग नामों से की ।  जिसमें श्रृंगेरी मठ, गोवर्धन मठ, शारदा मठ, ज्योतिर मठ(जोशी मठ). इन चारों मठों की देख-रेख के लिए, उन्होंने अपने सबसे वरिष्ठ और पसंदीदा चार शिष्यों को प्रधान बनाने  के लिए चुना और हिंदू धर्म के अनुयायियों के लाभ के लिए इन मठों को सफलतापूर्वक व्यवस्थित किया। आज भी ये मठ बेहद मजबूती के साथ स्थापित हैं।  शंकराचार्य जी ने प्रत्येक मठ को वेदों, उपनिषदों और अन्य पवित्र ग्रंथों के गहन ज्ञान प्राप्त करने के लिए हिंदू धर्म के लोगों के बीच जागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी सौंपी।  इन मठों ने वेदों का अनुसरण कर लोगों में वैदिक ज्ञान स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सनातन धर्म में लोगों का जीवन चार वेदों पर आधारित रहा है । ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद पर बहुत कार्य किया।  आदि शंकराचार्य वह थे जिन्होंने पूजा के लिए एक साथ पांच देवताओं गणेश, सूर्य, विष्णु, शिव और देवी की पूजा करने का आहवान किया।  सोलह वर्ष की आयु तक, उन्हें वेदों में महारत हासिल थी।  अनेक ग्रन्थों एवं शास्त्रों की रचना की, ऐसा माना जाता है कि उन्होंने 32 वर्ष की आयु तक जो कार्य धर्म की स्थापना हेतु किया वह आज भी प्रासंगिक है। राजरानी

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Supreme Court : डीयू के पूर्व प्रोफेसर साईबाबा को बरी करने के आदेश को किया रद्द

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Supreme Court: Canceled the order acquitting former DU professor Saibaba
locationभारत
userचेतना मंच
calendar19 Apr 2023 06:23 PM
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Supreme Court :  उच्चतम न्यायालय ने माओवादियों से संबंध के मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जी. एन. साईबाबा को बरी करने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को बुधवार को रद्द कर दिया। शीर्ष अदालत ने बंबई उच्च न्यायालय को चार महीने के भीतर मामले पर गुण-दोष के आधार पर नए सिरे से विचार करने का निर्देश भी दिया।

Supreme Court :

न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की पीठ ने बंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को साईबाबा की अपील और अन्य अभियुक्तों की अपील उसी पीठ के समक्ष नहीं भेजने का निर्देश दिया, जिसने उन्हें आरोपमुक्त किया था और मामले की सुनवाई किसी अन्य पीठ द्वारा कराने को कहा। न्यायालय ने कहा कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंधों को मंजूरी देने सहित कानून से संबंधित सभी प्रश्नों पर उच्च न्यायालय द्वारा फैसले किए जाने का विकल्प खुला रहेगा। शीर्ष अदालत ने 15 अक्टूबर को इस मामले में साईबाबा और अन्य को बरी करने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी।शीर्ष अदालत में महाराष्ट्र सरकार का पक्ष वकील अभिकल्प प्रताप सिंह ने रखा और साईबाबा की ओर से वकील आर. बसंत पेश हुए। साईबाबा की 2014 में गिरफ्तारी के बाद उच्च न्यायालय ने पिछले साल 14 अक्टूबर को उन्हें व अन्य को मामले में बरी कर जेल से रिहा करने का निर्देश दिया था। अदालत ने कहा कि गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत मामले में आरोपी के खिलाफ अभियोग चलाने की मंजूरी देने का आदेश ‘‘कानून की दृष्टि से गलत एवं अवैध’’ था। अदालत ने साईबाबा के अलावा महेश करीमन तिर्की, पांडु पोरा नरोते (दोनों किसान), हेम केशवदत्त मिश्रा (छात्र), प्रशांत सांगलीकर (पत्रकार) और विजय तिर्की (मजदूर) को भी बरी कर दिया था। विजय तिर्की को 10 साल की जेल की सजा सुनायी गयी, जबकि बाकी लोगों को उम्रकैद की सजा दी गयी थी। नरोते का निधन हो चुका है।