Elections 2022: आज थमेगा पंजाब, यूपी के तीसरे चरण का प्रचार, मैदान में होंगे दिग्गज

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userचेतना मंच
calendar18 Feb 2022 04:35 PM
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Elections 2022: जनवरी 2022 में पच राज्यों की विधानसभा चुनाव की घोषणा चुनाव आयोग (Election commission) ने की। उसके बादसे ही, इन राज्यों में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई। सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश, पंजाब के राजनैतिक प्रक्रिया चर्चा का मुद्दा बना हुया है। आज उत्तर प्रदेश के तीसरे चरण और पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Elections) के प्रचार का आखिरी दिन है। इसके बाद 20 फरवरी को जनता के द्वारा मैदान में उतरे प्रत्याशियों की किस्मत को ईवीएम मशीन में बंद हो जाएगी। अब उस मतदान से पहले आज राजनीतिक पार्टियां अपना पूरा जोर लगाने जा रही हैं। फिर वो भारतीय जनता पार्टी हो या कांग्रेस या समाजवादी पार्टी हो या आम आदमी पार्टी, सभी राजनैतिक पार्टिया चुनावी मैदान में ताबड़ तोड़ प्रचार करने में जुटे है। >> जरूर पढ़े:- UP Election 2022: विधानसभा चुनाव के पहले चरण में इन दिग्गजों की प्रत‍िष्‍ठा दांव पर

उत्तर प्रदेश में भाजपा का प्रचार ( UP Elections 2022)

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जे. पी. नड्डा भी आज चुनावी मैदान में व्यस्त दिखने वाले हैं। नड्डा आज दोपहर 12  बजे अयोध्या के फतेहगंज में एक जन सभा को संबोधित करने जा रहे है। इसके बाद जे. पी. नड्डा मिल्कीपुर में भी उनकी एक जन सभा को संभोधित कर रैली निकालने वाले है। नड्डा यह रैली दोपहर 2 बजे करने जा रहे हैं। इस सब के अलावा उत्तर प्रदेश के मुखयमंती योगी आदित्यनाथ की रुदौली में भी एक रैली रखी है। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी आज दोपहर के वक्त उत्तर प्रदेश में ताबड़ तोड़ 3 रैलियां करने जा रहे हैं। Elections 2022 ये तीनों रैलियां लखनऊ में होंगी। >> जरूर पढ़े:- सुरक्षा खतरे की चिंताओं को लेकर सरकार ने 50 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाए

पंजाब में प्रचार का आखरी दिन (Panjab Elections 2022)

पंजाब में चुनाव की बात करें तो वहां पर 20 फरवरी को एक ही चरण में मतदान संपन्न होआ है। आज पंजाब में चुनाव प्रचार का अंतिम दिन है। आम आदमी पार्टी (आप) की तरफ से मनीष सिसोदिया मोर्चा संभाले हुए हैं। मनीष सिसोदिया आज अमृतसर में एक बाइक रैली निकालने जा रहे है। वही कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने भी अपने क्षेत्र अमृतसर पूर्वी विधान सभा सीट पर एक रोड शो निकालने की योजना बनाई है। नवजोत सिंह सिद्धू ने गुरुवार कोपंजाब मुख्यमंत्री चन्नी के संग एक रोड शो किया था। इसके अलावा केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह  पटियाला में कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए प्रचार करने जा रहे हैं। राजनाथ सिंह आज दोपहर 1 बजे पटियाला पहुंचेंगे और फिर रोड शो में हिस्सा लेने निकलेंगे। >> जरूर पढ़े:- UP Election 2022: उ. प्र. चुनाव के दूसरे चरण में भी घटी वोटिंग, विस्तार से जानिए

यूपी की 59 सीटों पर प्रचार का अंतिम दिन

आपको बता दें कि, उत्तर प्रदेश में तीसरे चरण की मतदान के दौरान 59 सीटों पर वोट (Vote) पड़ने जा रहे हैं। तीसरे चरण में सेंट्रल उत्तर प्रदेश के यादव बेल्ट और बुंदेलखंड इलाके की 59 सीटों पर वोट डाला जाएगा. तीसरे चरण में फिरोजाबाद जिले कासगंज, हाथरस, हमीरपुर, एटा, कन्नौज, जालौन, मैनपुरी, फर्रुखाबाद, इटावा, औरैया, कानपुर, कानपुर देहात, झांसी, ललितपुर और महोबा जिले की 59 सीटें हैं। यादव बेल्ट और बृज के 7 जिले तो बुंलेदखंड के भी 5 जिले शामिल हैं। अब आज इन 59 सीटों के लिए हर राजनितिक पार्टी पूरा जोर लगाने जा रही है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव की बात करें तो, अखिलेश यादव सुबह 10.35 पर जालौन माधव गढ़ में कार्यकर्ता सम्मेलन करने जाने वाले हैं। इसके बाद अखिलेश यादव 11:55 बजे कानपुर से अपनी विजय रथ यात्रा निकालने वाले है। वहीं दोपहर में 4 बजे अखिलेश यादव उन्नाव में कार्यकर्ता सम्मेलन करने नकलेंगे।
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UP Elections 2022 : तीसरे चरण के मतदान में आलू किसानों की अहम भूमिका

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userचेतना मंच
calendar17 Feb 2022 08:14 PM
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UP Elections 2022 : विधानसभा चुनाव (UP Elections 2022) के तीसरे चरण में जिन 69 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है उनमें 36 विधानसभा क्षेत्र में आलू किसान हैं। यादव और कुर्मी बाहुल्य इन क्षेत्रों के किसान आलू को शुद्ध सोना मानते हैं। कानुपर के फर्रुखाबाद, कन्नौज, मैनपुरी और अरौल-बिल्हौर क्षेत्र के आलू क्षेत्र में आलू के खेत सड़क किनारे दिखाई देते हैं। 258 कोल्ड स्टोरेज भी हैं। ये इस बात की गवाही देते हैं कि यहां के अधिकांश किसान आलू उगाते हैं। इनकी संख्या करीब साढ़े चार लाख है। स्वाभाविक है कि किसानों के इतने बड़े समूह की उम्मीदें राजनीतिक दलों से भी बड़ी होंगी।

UP Elections 2022

आगरा एक्सप्रेस-वे पर जैसे ही कन्नौज का बॉर्डर शुरू होता है, खेतों में हर तरफ आलू की चमक नजर आती है। वहीं खेत में और खेत में हर जगह आलू की फसल होती है। कानपुर के बिल्हौर, कन्नौज और फरूखाबाद से लेकर फिरोजाबाद तक आलू पट्टी है। यहां लाखों किसान परिवारों की आजीविका आलू पर टिकी है। जहां 11 लाख मीट्रिक टन आलू का उत्पादन करने वाले फर्रुखाबाद में 2 लाख से ज्यादा किसान आलू की खेती से जुड़े हैं। यहां की शैतानपुर मंडी पहुंचने पर आलू के हाल और राजनीतिक चाल दोनों का खुलासा होता है। आलू किसानों का कहना है कि चुनाव में वादे तो किए गए, लेकिन आलू की खपत बढ़ाने के लिए उद्योग नहीं लग पाए। पिछली सरकारों ने आलू किसानों के लिए कुछ खास नहीं किया। कहा जाता है कि हर चुनाव में चिप्स, शराब फैक्ट्री और आलू पाउडर बनाने की बात होती है। इस चुनाव में भी राजनीतिक दलों ने दावा करना शुरू कर दिया है। लेकिन यह दावा हकीकत में बदल पाएगा, इस पर अभी भी संशय बना हुआ है। ऐसे में वोट उन्हीं को मिलेगा जो आलू किसानों की बात करेंगे।

आपको बता दें कि आलू उत्पादन क्षेत्रों पर नजर डालें तो उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य है। यहां करीब 6.1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में आलू बोया जाता है। पूरे राज्य में करीब 147.77 लाख मीट्रिक टन आलू का उत्पादन हुआ है। ऐसे में आगरा से शुरू होकर मथुरा, इटावा, फर्रुखाबाद से लेकर कानपुर देहात तक फैली आलू पट्टी देश के कुल उत्पादन का करीब 30 फीसदी उत्पादन करती है। देश में डीजल के दामों में बढ़ोतरी, डीएपी और यूरिया की कमी, तैयार आलू की आढ़ती के सहारे होने का दर्द किसानों को बेचैन कर रहा है।

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो आलू का उत्पादन करने वाले किसान किसी भी दल की पिछली सरकारों से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं। कारण आलू उत्पादकों की समस्याओं का समाधान करने के दावे तो सभी करते हैं, लेकिन समस्या का निराकरण करने के प्रति गंभीर कोई भी नजर नहीं आता है। ऐसे में आलू किसान तीसरे चरण में अहम भूमिका निभा सकता है। अब ऊंट किस करवट बैठेगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

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UP Election 2022 आखिर यूपी की जनता को क्यों रास नहीं आते मुस्लिम दल

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar16 Feb 2022 07:55 PM
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UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश में विधानसभा (UP Election 2022) चुनाव चल रहे हैं। यूपी में विधानसभा चुनाव के दो चरण संपन्न (UP Election 2022) हो चुके हैं, जिन क्षेत्रों में दोनों चरणों का मतदान संपन्न हुआ, उन क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी अच्छी खासी है। अब शेष पांच चरणों का मतदान होना बाकि है। यूपी में सामान्य वर्ग के मतदाताओं के अलावा मुस्लिम वोट बैंक की संख्या भी काफी है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर यूपी में मुस्लिम राजनीतिक दल क्यों नहीं उभर पा रहे हैं। यदि इतिहास की बात करें तो पता चलता है कि यूपी की जनता को मुस्लिम राजनीतिक दल रास ही नहीं आए।

UP Election 2022

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राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो डॉ.अब्दुल जलील फरीदी आजादी की लड़ाई में थे। आजादी के बाद वे नेता बने। उनकी रैलियों में मुसलमानों की भीड़ तो खूब उमड़ती थी। वे चाहते थे कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में उन्हें बड़ा पद मिले, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। आखिरकार 20 साल बाद 1968 में मुस्लिम मजलिस नामक पार्टी बनाई। उनका मकसद मुस्लिम अल्पसंख्यक बिरादरी को उनका हक दिलवाना था लेकिन पार्टी बनने के एक साल बाद 1969 में विधानसभा चुनाव हुए। मुस्लिम मजलिस पार्टी ने दो सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों ही सीटों पर पार्टी की जमानत जब्त हो गई। दोनों सीटों पर मिलाकर मुस्लिम मजलिस पार्टी को 4000 से भी कम वोट मिले थे। साल 1974 में डॉ. फरीदी की मौत के साथ ये पार्टी भी खत्म होती गई।

इसके बाद यूपी में दूसरा मुस्लिम दल 33 साल तक चुनाव लड़ती रहा, लेकिन केवल 1 सीट ही जीत सका। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने 1974 के विधानसभा चनुाव में चुनाव लड़ा था। विधानसभा चुनाव 1974 में मुस्लिम लीग ने 54 सीटों पर कैंडिडेट उतारे थे, लेकिन 43 की जमानत जब्त हो गई। सिर्फ एक सीट ही जीत पाई। सिर्फ जमानत ही बचा पाए थे। लिस्ट में नीचे से दूसरे या तीसरे नंबर थे। फिर 28 साल बाद गुलाम महमूद ने फिर दम भरा। विधानसभा चुनाव 2002 में उन्होंने 18 सीटों पर कैंडिडेट उतारे, लेकिन जीता कोई नहीं।

1995 में यूपी में भाजपा के समर्थन में बसपा की सरकार बनी। ये वह दौर था जब उत्तर प्रदेश के मुसलमानों का बसपा पर विश्वास बढ़ा हुआ था। मायावती उत्तर प्रदेश की सीएम बनाई गईं। उन्होंने डॉ. मसूद अहमद को शिक्षा मंत्री बनाया। डॉ. मसूद ने शिक्षा मंत्री रहते हुए अल्पसंख्यक समुदाय के लिए काफी काम किया, लेकिन कुछ समय बाद मायावती ने डॉ. मसूद को कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया। मायावती से अपनी बेइज्जती का बदला लेने के लिए डॉ. मसूद ने 2002 में नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी यानी नेलोपा बनाई। नेलोपा विधानसभा चुनाव 2002 में 130 सीटों पर चुनाव लड़ा। खुद को मुस्लिमों की पार्टी होने का दावा करने वाली नेलोपा के 130 प्रत्याशियों में से 126 की जमानत जब्त हो गई।

यूपी चौथी मुस्लिम पार्टी जामा मस्जिद के इमाम ने बनाई, लेकिन उनकी भी नहीं चली। उन्होंने यूपी यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के नाम से पार्टी बनाई। 2007 के विधानसभा चुनाव में दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुखारी ने भी किस्मत आजमाई। उन्होंने 54 सीटों पर यूपी यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के प्रत्याशी उतारे। दिल्ली में मुसलमानों का बड़ा वर्ग उन्हें सपोर्ट करता है। वो जिस पार्टी को कहते थे, मुसलमान उसी को वोट देते थे, लेकिन यूपी के वोटरों ने इस बात को गलत साबित कर दिया। विधानसभा चुनाव के नतीजे आए तो यूपी यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के 54 में से सिर्फ एक उम्मीदवार जीता, जबकि 51 सीटों पर जमानत जब्त हो गई। इस शर्मनाक हार के बाद अहमद बुखारी यूपी की सियासत से गायब हो गए।

2008 में नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी के उपाध्यक्ष रहे डॉ. अय्यूब सर्जन ने पीस पार्टी बनाई। पीस पार्टी ने चार साल तक पार्टी ने जमीन पर उतर कर प्रचार किया। मुसलमानों के असल मुद्दे समझे। 2012 के विधानसभा चुनाव में पीस पार्टी ने 208 सीटों में से सिर्फ 4 जीतीं। यह पार्टी की उम्मीद से बहुत कम थीं, लेकिन कुछ नहीं से बेहतर थीं। 2017 में पीस पार्टी ने एक बार फिर चुनाव मैदान में उतरी, लेकिन इस बार उसका खाता तक नहीं खुल पाया।

AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भाजपा और कांग्रेस को चुनौती देने के लिए 2019 लोकसभा चुनाव में पार्टी को उतारा था। हैदराबाद में AIMIM ने अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन दूसरे राज्यों में पार्टी की हालत खराब रही। AIMIM ने साल 2017 में UP में 38 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन कहीं भी जीत नसीब नहीं हो सकी। सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। विधानसभा चुनाव-2022 में औवेसी नई तैयारी से आए हैं। उन्होंने 403 सीटों में से 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। पार्टी अब तक 76 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। इनमें 61 मुस्लिम उम्मीदवार हैं और 15 हिंदू, अन्य पिछड़ा वर्ग और दलितों वर्ग के लोगों को टिकट दिया है। अब देखना यह होगा कि ओवैसी की पार्टी के कितने प्रत्याशी ​जीत दर्ज पाते हैं।