उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी अदालत का बड़ा फैसला, नॉमिनी को मिले सरकारी नौकरी

Allahabad High Court min
Uttar Pradesh Samachar
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 11:28 AM
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UP News : उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी अदालत इलाहाबाद हाईकोर्ट है। उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने एक बहुत बड़ा फैसला सुनाया है। उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले के बाद किसी सरकारी कर्मचारी अथवा अधिकारी के निधन के उपरांत उसके स्थन पर नौकरी मिलने के ढ़ेर सारे विवाद समाप्त हो जाएंगे। उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट के इस बड़े फैसले की खूब तारीफ हो रही है।

क्या है उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट का बड़ा फैसला?

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने सरकारी नौकरी के दौरान निधन होने पर अनुकंपा नौकरी को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। अपने फैसले में उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने कहा कि सेवा रिकॉर्ड में नामांकित व्यक्ति को सेवानिवृत्ति लाभ के लिए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की जरूरत नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने बुलंदशहर निवासी रफत नाज व अन्य की याचिका पर दिया। रफत नाज के पति बुलंदशहर के राजकीय इंटर कॉलेज में कार्यवाहक प्रधानाचार्य के रूप में कार्यरत थे। 17 जुलाई 2020 को उनकी मृत्यु हो गई। याची ने अपने एक बेटे की अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। वहीं, अंजुम परवीन नाम की महिला ने स्वयं को याची के पति की दूसरी पत्नी होने का दावा किया है। साथ ही उसने डीएम को पत्र लिखा कि वह मृतक की वैध पत्नी है। इस पर डीआईओएस ने याची को पत्र भेज कहा कि सेवानिवृत्ति लाभ प्राप्त करने को उन्हें सिविल कोर्ट से उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। इस आदेश के खिलाफ रफत नाज ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने ने दलील दी कि डेथ कम सेवानिवृत्ति लाभों के लिए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र का हवाला देना नियम विरुद्ध है। न्यायालय ने डीआईओएस को नियमानुसार बेटे की नियुक्ति के दावे पर विचार करने का निर्देश दिया।

नॉमिनी को ही मिले नौकरी

उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ-साफ कहा है कि मरने वाले ने जिस व्यक्ति को सरकारी रिकार्ड में नॉमिनी बना रखा है उसी को नौकरी मिलनी चाहिए। उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी अधिकारी याची के पति के वैध उत्तराधिकारी का निर्धारण नहीं कर सकते। कानून जिसका सेवा रिकॉर्ड में नाम दर्ज, उसे सेवानिवृत्ति लाभ प्रदान किया जाना चाहिए। मृतक कर्मचारी की सेवा पुस्तिका में याची नामित है। ऐसे में उसे सेवा लाभों से वंचित नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने याचिका स्वीकार कर ली। UP News

उत्तर प्रदेश में मौजूद है विश्व की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी

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उत्तर प्रदेश में मौजूद है विश्व की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी

BHU
UP News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar16 Dec 2024 08:15 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश भौगोलिक (आकार) मामले में भारत का सबसे बड़ा प्रदेश है। भारत के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश में विश्व की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी (विश्वविद्यालय) भी स्थापित है। आकार (साइज) की दृष्टि से उत्तर प्रदेश की इस यूनिवर्सिटी से बड़ी पूरी दुनिया में एक भी यूनिवर्सिटी नहीं हैं। उत्तर प्रदेश में स्थापित विश्व की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी की स्थापना 104 वर्ष पहले हुई थी।

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में है विश्व की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में वाराणसी के नाम से प्रसिद्ध शहर है। वाराणसी के सांसद नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री हैं। इसी वाराणसी शहर का एक नाम बनारस भी है। उत्तर प्रदेश के बनारस शहर में मौजूद है विश्व की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी। इस यूनिवर्सिटी का नाम बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय है। अंग्रेजी में इस विश्वविद्यालय को BHU कहा जाता है। BHU की शुरूआत 4 फरवरी 1916 को हो गई थी। उत्तर प्रदेश की  BHU का विधिवत उद्घाटन 13 दिसंबर 1921 को हुआ था। BHU का उद्घाटन अंग्रेजों के शासकों में शामिल प्रिन्स ऑफ वेल्स ने किया था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने BHU के उद्घाटन समारोह में बहुत ही सारगर्भित भाषण दिया था। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थापित BHU पूरे 1300 एकड़ जमीन पर फैली हुई है। इतने बड़े क्षेत्रफल पर दुनिया की दूसरी कोई भी यूनिवर्सिटी स्थापित नहीं है।

काशी नरेश ने दान में दी थी BHU को जमीन

उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर को ही बनारस भी कहा जाता है। इसी वाराणसी अथवा बनारस को पहले काशी नगरी कहा जाता था। काशी में लम्बे समय तक राजा आदित्य नारायण सिंह का राज था। काशी नरेश राजा आदित्य नारायण सिंह ने ही 1300 एकड़ अपनी जमीन BHU के निर्माण के लिए दान में दी थी। यह दान उन्होंने प्रसिद्ध समाजसेवी तथा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित मदन मोहन मालवीय के निवेदन पर दिया था। पंडित मदन मोहन मालवीय ही सही अर्थों में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक थे। इसी विश्वविद्यालय को पूर्व में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय भी कहा जाता था।

दिन भर पैदल चलकर नाप ली थी BHU की जमीन

काशी के राजा आदित्य नारायण सिंह के सामने पंडित मदन मोहन मालवीय ने विश्वविद्यालय बनाने का प्रस्ताव रखा था। उस समय काशी नरेश उत्तर प्रदेश ही नहीं अपितु पूरे भारत के प्रसिद्ध राजा था। उन्होंने विश्वविद्यालय के लिए जमीन दान में देने की सहर्ष स्वीकृति प्रदान कर दी। काशी नरेश आदित्य नारायण सिंह ने पंडित जी से कहा कि वें एक दिन में पैदल चलकर जितनी जमीन पर यात्रा कर लेंगे वह पूरी जमीन दान में दे दूंगा। पंडित मदन मोहन मालवीय ने पूरे दिन 1300 एकड़ जमीन पर यात्रा पूरी कर ली। इस प्रकार BHU के निर्माण के लिए 1300 एकड़ जमीन दान में दी गई। BHU के लिए दान में दी गई जमीन 11 गांवों में फैली हुई थी। इस जमीन पर 70 हजार पेड़, 100 पक्के कुएं, 20 कच्चे कुएं, 860 कच्चे घर तथा 40 पक्के मकान बने हुए थे। इस प्रकार एक विशालकाय क्षेत्र पर उत्तर प्रदेश के बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी। BHU दुनिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है। अमेरिका की प्रसिद्ध ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी भी उत्तर प्रदेश की इस यूनिवर्सिटी के सामने छोटी ही है। अब आप समझ गए हैं कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मौजूद है दुनिया की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी। UP News

प्रयागराज में बाबाओं का जमावड़ा शुरू, अनोखे अंदाज में कुंभ नगरी पहुंचे “पर्यावरण बाबा”

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प्रयागराज में बाबाओं का जमावड़ा शुरू, अनोखे अंदाज में कुंभ नगरी पहुंचे "पर्यावरण बाबा"

Mahakumbh 2025 1
Mahakumbh 2025
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 06:31 PM
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Mahakumbh 2025 : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ 2025 (MahaKumbh 2025) का आयोजन होने जा रहा है। महाकुंभ 2025 के लिए कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं। ऐसे में जनवरी 2025 में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ मेले के लिए बाबाओं का आगमन शुरू हो गया है। इनमें से एक प्रमुख नाम है "पर्यावरण बाबा" (Environmental Baba)। पर्यावरण बाबा के नाम से मशहूर बाबा का असली नाम महामंडलेश्वर अरुण गिरी महाराज है जिन्हें लोग "पर्यावरण बाबा" के नाम से जानते हैं। अरुण गिरी महाराज अब तक एक करोड़ पेड़-पौधे लगा चुके हैं और पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने का कार्य करते आ रहे हैं। इस बार महाकुंभ मेले में वे श्रद्धालुओं को पर्यावरण के महत्व के बारे में बताएंगे और उन्हें उपहार के रूप में पौधे भी देंगे।

ग्रीन कुंभ बनाने की पहल

महाकुंभ के इस आयोजन में "ग्रीन कुंभ" बनाने की पहल की जा रही है जहां पर्यावरण संरक्षण पर खास ध्यान दिया जाएगा। इस पहल के तहत प्लास्टिक के उपयोग को कम करने और बायोडिग्रेडेबल सामग्री जैसे डोना-पत्ता को बढ़ावा दिया जाएगा। साथ ही पर्यावरण बाबा 51,000 फलदार पौधे बांटने का संकल्प लेकर आए हैं ताकि लोग पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझें। उनका मंत्र है, "आओ पेड़ लगाएं, जीवन बचाएं।" बता दें कि, अरुण गिरी महाराज (जो पायलट बाबा के शिष्य हैं) अपने शरीर पर सोने के गहनों और कीमती रत्नों से सजे रहते हैं। जिसमें सोने की माला, अंगूठियां और हीरे से जड़ी घड़ी शामिल हैं। उनके आभूषण भगवान की मान्यता से जुड़े हुए होते हैं और यही वजह है कि वे "गोल्डन बाबा" (Golden Baba) के नाम से भी जाने जाते हैं।

महाकुंभ 2025 में रखा जाएगा पर्यावरण की सुरक्षा का खास ध्यान

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ मेले 2025 में उनका यह संदेश श्रद्धालुओं के लिए एक नया पहलू होगा, जहां वे न केवल आध्यात्मिकता की बात करेंगे, बल्कि पर्यावरण से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें भी साझा करेंगे। उनका उद्देश्य इस धार्मिक आयोजन को सिर्फ आस्था का नहीं बल्कि पर्यावरणीय जागरूकता का भी एक बड़ा केंद्र बनाना है। कुंभ मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं होता बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक पहलुओं का भी प्रतीक है और इस बार इसके माध्यम से पर्यावरण की सुरक्षा का भी महत्व उजागर किया जाएगा। Mahakumbh 2025

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