Delhi New Government : दिल्ली में नई सरकार का गठन हो चुका है। कल शपथ ग्रहण के बाद दिल्ली की नई सरकार ने पहली कैबिनेट बैठक भी की। जिनमें से मुख्य रूप से शहर के प्रदूषण, यमुना की सफाई, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, खराब सड़कें जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। वित्त विभाग द्वारा वित्तीय स्थिति में सुधार योजनाओं पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
शपथ के थोड़ी देर बाद ही की पहली बैठक
दिल्ली में कल नई सरकार ने शपथ ग्रहण के कुछ देर बाद ही अपनी पहली कैबिनेट बैठक भी की। रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली भाजपा की नई सरकार के सामने बहुत सारी चुनौतियां है जिनपर उन्हें काम करना पड़ेगा। बता दें कि दिल्ली सचिवालय में इस बैठक में शहर में बढ़ रहे प्रदूषण, यमुना की सफाई, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, खराब सड़कें, साफ पानी जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से उन मुद्दों के बारे में बताएंगे जो दिल्ली की नई सरकार के सामने एक चुनौती होगी।
आर्थिक स्थिति होगी बड़ी चुनौती
दिल्ली की नई सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती दिल्ली की खराब वित्तीय संकट है। पहले से ही मुफ्त बिजली, पानी और महिलाओं के लिए बस यात्रा जैसी योजनाओं पर काफी खर्च हो रहा है। इसके अतिरिक्त, डीटीसी और दिल्ली जल बोर्ड को भी बड़ी धनराशि अनुदान के रूप में सरकार द्वारा दी जाती है। पिछली आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा लिए गए कर्ज और वर्तमान योजनाओं की वजह से सरकार को सालाना कम से कम 24,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। ऐसे में सरकार को वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए गंभीर कदम उठाने होंगे।
प्रदूषण से निपटने की बनाने होगी योजना
दिल्ली की वायु गुणवत्ता पिछले कुछ वर्षों में लगातार बिगड़ती जा रही है और सर्दियों में प्रदूषण का स्तर और भी खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है। 2024 में, PM2.5 और PM10 का स्तर अत्यधिक बढ़ गया था, जो राष्ट्रीय और WHO मानकों से कई गुना अधिक था। नई सरकार की प्राथमिकता यह है कि वह प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ठोस उपायों को लागू करे और इस दिशा में तत्काल कार्रवाई शुरू करे।
यमुना सफाई का किया वादा
यमुना नदी की सफाई को लेकर BJP ने बड़ा वादा किया है। सरकार का लक्ष्य है कि तीन वर्षों के भीतर यमुना का पानी इतना साफ हो जाए कि लोग बिना किसी बीमारी के उसमें नहा सकें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस दिशा में अपनी काम करने का वादा भी किया है और केंद्र की ओर से यमुना सफाई के लिए पहले ही कदम उठाए गए हैं।
कूड़े के पहाड़ का करना होगा समाधान
दिल्ली में तीन प्रमुख लैंडफिल – ओखला, गाजीपुर और भलस्वा पर अत्यधिक कचरा जमा हो गया है। इन लैंडफिल्स में 160 लाख टन से अधिक कचरा पड़ा हुआ है। पिछले कुछ वर्षों में इस समस्या को लेकर काफी चिंता भी जताई जा चुकी है, लेकिन इसे हल करने के लिए अब निर्णायक कदम उठाए जाने की जरूरत है। इस कार्य के लिए केंद्रीय सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत महत्वपूर्ण राशि आवंटित की है और दिल्ली सरकार को इसे तेजी से पूरा करना होगा।
स्वास्थ्य सेवाओं में भी सुधार की आवश्यकता
दिल्ली के स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे को मजबूत करना भी इस सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में है। रघुबीर नगर, मंगोलपुरी और मोती नगर में तीन नए अस्पतालों का निर्माण पहले ही निर्धारित किया गया है, लेकिन इन परियोजनाओं का काम धन की कमी के कारण रुका हुआ है। इन अस्पतालों को पूरा करने के लिए अगले तीन वर्षों में लगभग 10,250 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। साथ ही, सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना भी सरकार के एजेंडे में है।
खराब सड़कों का भी जल्द करना होगा समाधान
दिल्ली की सड़कों की खराब हालत भी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। खासकर मुख्य सड़कों और कॉलोनी की गलियों में गड्ढों की समस्याएं तो आम है। पिछले साल अक्टूबर में 6,000 गड्ढों वाली सड़कों की पहचान की गई थी जिनकी मरम्मत का काम काफी महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, दिल्ली में कुछ प्रमुख बुनियादी ढांचे परियोजनाएं भी लंबित हैं जैसे- बारापुल्ला फेज 3, नंद नगरी और आनंद विहार फ्लाईओवर और अन्य महत्वपूर्ण फ्लाईओवर परियोजनाएं। इन परियोजनाओं को जल्द से जल्द पूरा करना भी नई सरकार की प्राथमिकता होगी।
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