Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी सिलक्यारा में दीपावली के दिन, 12 नवंबर को 41 मजदूर सुरंग में फंस गए थे। 16 दिन के लगातार प्रयास के बाद आखिरकार 28 नवंबर की शाम तक सुरंग में फंसे सभी 41 मजदूरों को सही सलामत बाहर निकाल लिया गया है। जिससे पूरे देश में खुशी का माहौल है। सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रैट होल माइनिंग (Rat Hole Mining) तकनीक का इस्तेमाल किया गया था। अब सवाल या उठना है कि यह रैट होल माइनिंग तकनीकी क्या है, जिसने मजदूरों की जान बचाने में सफलता दिलाई ।
क्या है Rat Hole Mining तकनीक ?
उत्तराखंड के उत्तरकाशी सिलक्यारा में सुरंग में फंसे मजदूरों के जान बचाने के लिए इस्तेमाल की गई रैट होल माइनिंग (Rat Hole Mining) तकनीक मुख्य रूप से संकरे क्षेत्रों में कोयला निकालने के लिए इस्तेमाल की जाती है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो रहा है इस तकनीक के जरिए चूहे की तरह खुदाई कर के छोटे-छोटे सुरंग बनाए जाते हैं। जो व्यक्ति खुदाई कर रहा होता है वही मलबे को हटाता रहता है। इस तकनीक द्वारा तैयार किए गए सुरंग में एक समय में एक ही व्यक्ति घुस सकता है। यूं तो ये तकनीक बेहद खतरनाक मानी जाती है, लेकिन इसी तकनीक का इस्तेमाल कर सुरंग में फंसे मजदूरों की जान बचा ली गई है।
उत्तरकाशी के सिलक्यारा में कैसे हुआ ‘रैट होल माइनिंग’ तकनीक का इस्तेमाल :
सिलक्यारा टनल के अंदर फंसे मजदूरों को निकालने के लिए ‘रैट होल माइनिंग’ तकनीक का इस्तेमाल करते हुए एक श्रमिक ने सुरंग के अंदर ड्रिलिंग करने का जिम्मा संभाला तो दूसरे ने मलबे को साफ करने का काम किया। इस तकनीक के जरिए लगभग 13 मीटर की सुरंग की खुदाई हुई। रैट माइमर्स ने लगातार 24 घंटे तक काम करते हुए नामुमकिन से दिख रहे काम को मुमकिन कर दिखाया और टनल के अंदर फंसे 41 मजदूर की जान बचा ली।
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