Zara Hatke : भारत के हर गांव की एक अलग ही कहानी है। जिनमें से आपने कई गांवों के बारे में ऐसे अलग-अलग तरह के किस्से सुने होंगे जिसे सुनकर आप हैरत में जरूर पड़े होंगे। इनमें से कई गांव ऐसे हैं जहां के लोग बिना बिजली, पानी के रहते हैं लेकिन क्या आपने कभी ऐसा सुना है कि किसी गांव के लोग बिना चप्पल के रहते हैं? अगर आपका जवाब ना है तो आपको ये जानकर हैरानी होगी कि भारत में एक गांव ऐसा भी है जहां के लोग चप्पल का नाम सुनकर ही दूर भागने लगते हैं।
भारत के इस गांव में नहीं पहना जाता चप्पल
दरअसल हम जिस गांव के बारे में बात करने वाले है वो तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से करीब 450 किलोमीटर दूर बसा अंडमान गांव है। जहां के ज्यादातर लोग किसानी या मजदूरी करके अपना गुजारा करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस गांव के अधिकतर लोग बिना चप्पल के ही रहते हैं। बच्चे बिना चप्पल के स्कूल जाते हैं वहीं किसान बगैर चप्पल पहनें ही खेतीवाड़ी करते हैं। इसके अलावा यहां के लोग तपती धूप में भी चप्पलों का इस्तेमाल नहीं करते हैं। कहा जाता है कि अंडमान गांव के सिर्फ कुछ बुजुर्ग ही चप्पल पहनते हैं।
बिना चप्पल के रहने का क्या है कारण?
अंडमान गांव के लोगों का ऐसा मानना है कि उनकी और गांव की सुरक्षा मुथ्यालम्मा नाम की एक देवी करती हैं। जिनका वो बेहद सम्मान करते हैं जिनके सम्मान में वो जूते-चप्पल का इस्तेमाल करने से कतराते हैं। हालांकि जब वो गांव से बाहर जाते हैं तो चप्पल या जूतों का इस्तेमाल कर लेते हैं।
बाहरी लोगों को देते हैं सलाह
अंडमान गांव के बारे में ऐसा बताया जाता है कि जब कोई बाहरी इंसान इस गांव में दस्तक देता है तो गांव के लोग उसे इस प्रथा और मान्यता के बारे में जानकारी देते हैं। अगर कोई बाहरी आदमी अपनी चप्पल उतारने को राजी हो जाता है तो गांव वाले बेहद खुश हो जाते हैं। वहीं जो इसके लिए राजी नहीं होता उस पर किसी प्रकार का दबाव नहीं बनाया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अंडमान गांव की देवी की मार्च-अप्रैल में तीन दिनों की पूजा होती है।
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