Friday, 26 April 2024

Japan : हिंद-प्रशांत में शांति एवं स्थिरता के लिए भारत महत्वपूर्ण : किशिदा

नई दिल्ली। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपनी योजना पेश करने के बाद कहा कि…

Japan : हिंद-प्रशांत में शांति एवं स्थिरता के लिए भारत महत्वपूर्ण : किशिदा

नई दिल्ली। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपनी योजना पेश करने के बाद कहा कि क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता के लिए भारत अपरिहार्य है। किसी भी देश को अपने क्षेत्रीय दावे को आगे बढ़ाने की कोशिश में बल प्रयोग नहीं करना चाहिए।

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किशिदा ने 41वें सप्रू हाउस व्याख्यान में यूक्रेन के खिलाफ रूस के हमले की भी कड़ी निंदा की और कहा कि संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने के वैश्विक सिद्धांतों का दुनिया के हर कोने में पालन किया जाना चाहिए। किशिदा ने यूक्रेन युद्ध पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को दिए संदेश का भी उल्लेख किया कि आज का युग युद्ध का नहीं है। भारत-जापान ‘विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी’ को और मजबूत करने पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ व्यापक वार्ता करने के कुछ घंटे बाद, शीर्ष राजनयिकों, दूतों और सामरिक मामलों के विशेषज्ञों की उपस्थिति में व्याख्यान दिया।

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किशिदा ने मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत के लिए अपने दृष्टिकोण का विस्तार से उल्लेख करते हुए कहा कि भारत अपरिहार्य है। तोक्यो दक्षिण एशियाई क्षेत्र में स्थिरता में योगदान देने के लिए नई दिल्ली के साथ मिलकर काम करेगा। मुक्त एवं खुला हिंद-प्रशांत (एफओआईपी) एक ऐसा दृष्टिकोण है, जिसकी स्वीकार्यता लगाताार बढ़ रही है। एफओआईपी एक दूरदर्शी अवधारणा है। यह कानून और स्वतंत्रता के शासन की रक्षा के लिए है। देशों को संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। किशिदा ने कहा कि शांति सर्वोपरि है। संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता के लिए सम्मान और बल द्वारा यथास्थिति में एकतरफा बदलाव का विरोध जैसे सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए। सिद्धांतों का दुनिया के हर कोने में पालन किया जाना चाहिए।

किशिदा की यह टिप्पणी यूक्रेन पर रूस के आक्रमण और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की सैन्य आक्रमकता को लेकर बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच आयी है। किशिदा ने कहा कि देशों को समुद्र में अपने दावों को आगे बढ़ाने की कोशिश में बल प्रयोग नहीं करना चाहिए।

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