Health News : गर्मी में बार-बार बुखार होने पर कराएं मलेरिया की जांच: डा. दिनेश त्यागी
Bulandshahr News
भारत
चेतना मंच
30 Nov 2025 10:33 PM
Noida : नोएडा। कोई भी बुखार मलेरिया हो सकता है। इसलिए सभी मरीजों की रक्तपट्टी एवं रैपिड डायग्नोसिस टेस्ट किट से मलेरिया की जांच करवानी चाहिए। जिससे समय पर जांच से सामने आ सके कि व्यक्ति को सामान्य बुखार है या मलेरिया। डॉ दिनेश त्यागी, फेलिक्स हॉस्पिटल ने बताया कि प्रत्येक वर्ष पूरी दुनिया में यह दिन मलेरिया पर रोकथाम लगाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। प्लॉस्मोडियम परजीवी के कारण होने वाला मलेरिया संक्रमित मच्छर के काटने से फैलता है।
रोग की गंभीरता परजीवी पर निर्भर करती है। मलेरिया सबसे ज्यादा मानसून और गर्मी के सीजन में होता है, क्योंकि इन दिनों मच्छरों की संख्या काफी बढ़ जाती है। मलेरिया के मच्छर ज्यादा तर उन जगहों पर पनपते हैं, जहां गंदगी होती है, गंदा पानी जमा होता है। मलेरिया एनोफेलीज मच्छर के काटने से होता है।एनोफेलीज मच्छर प्लॉस्मोडियम पैरासाइट से संक्रमित होता है और जब ये मच्छर किसी को काट लेता है, तो ये पैरासाइट ब्लड में प्रवेश करके लाल रक्त कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगता है।
भारत में रेजिस्टेंट मलेरिया का जोन है। दूसरा जो फैल्सीपेरम मलेरिया और भी घातक मलेरिया होता है, जिसमें मरीज कोमा में जा सकता है, किडनी और लिवर दोनों अंग फेल हो सकते हैं। ब्लड प्रेशर भी कम हो सकता है। इसमें भी लक्षण समान ही होते हैं, इसमें व्यक्ति को हॉस्पिटल में भर्ती कराने की जरूरत भी पड़ सकती है और जल्द से जल्द प्रॉपर इलाज न दिया जाए, तो मरीज की मौत भी हो सकती है।
मलेरिया के लक्षण
-तेज बुखार के साथ ही सिर दर्द, बदन दर्द, ठंड लगना
-103 डिग्री से लेकर 105 डिग्री तक लगातार बुखार बने रहना
-कई बार मलेरिया का बुखार आता है और ठीक हो जाता
मलेरिया का इलाज
मलेरिया की पहचान के लिए मलेरियल पैरासाइट और मलेरियल एंटीजन टेस्ट किया जाता है। सामान्य मलेरिया में सही इलाज के साथ व्यक्ति तीन से पांच दिन में ठीक हो सकता है। यदि सीवियर फैल्सीपेरम मलेरिया में सही समय से इलाज ना मिले तो परिणाम घातक हो सकता है और मौत भी हो सकती है।
मच्छरों से बचाव के उपाय
-घर के आसपास सफाई रखें।
-कहीं भी पानी ना जमने दें।
-मच्छरदानी लगाकर सोएं।
-मॉस्किटो रेपलेंट का इस्तेमाल करें।-
-मच्छरों को भगाने वाली क्रीम व लेप लगाएं।
-पूरी आस्तीन के कपड़े पहने।
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भारत
चेतना मंच
30 Nov 2025 10:33 PM
Noida : नोएडा। कोई भी बुखार मलेरिया हो सकता है। इसलिए सभी मरीजों की रक्तपट्टी एवं रैपिड डायग्नोसिस टेस्ट किट से मलेरिया की जांच करवानी चाहिए। जिससे समय पर जांच से सामने आ सके कि व्यक्ति को सामान्य बुखार है या मलेरिया। डॉ दिनेश त्यागी, फेलिक्स हॉस्पिटल ने बताया कि प्रत्येक वर्ष पूरी दुनिया में यह दिन मलेरिया पर रोकथाम लगाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। प्लॉस्मोडियम परजीवी के कारण होने वाला मलेरिया संक्रमित मच्छर के काटने से फैलता है।
रोग की गंभीरता परजीवी पर निर्भर करती है। मलेरिया सबसे ज्यादा मानसून और गर्मी के सीजन में होता है, क्योंकि इन दिनों मच्छरों की संख्या काफी बढ़ जाती है। मलेरिया के मच्छर ज्यादा तर उन जगहों पर पनपते हैं, जहां गंदगी होती है, गंदा पानी जमा होता है। मलेरिया एनोफेलीज मच्छर के काटने से होता है।एनोफेलीज मच्छर प्लॉस्मोडियम पैरासाइट से संक्रमित होता है और जब ये मच्छर किसी को काट लेता है, तो ये पैरासाइट ब्लड में प्रवेश करके लाल रक्त कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगता है।
भारत में रेजिस्टेंट मलेरिया का जोन है। दूसरा जो फैल्सीपेरम मलेरिया और भी घातक मलेरिया होता है, जिसमें मरीज कोमा में जा सकता है, किडनी और लिवर दोनों अंग फेल हो सकते हैं। ब्लड प्रेशर भी कम हो सकता है। इसमें भी लक्षण समान ही होते हैं, इसमें व्यक्ति को हॉस्पिटल में भर्ती कराने की जरूरत भी पड़ सकती है और जल्द से जल्द प्रॉपर इलाज न दिया जाए, तो मरीज की मौत भी हो सकती है।
मलेरिया के लक्षण
-तेज बुखार के साथ ही सिर दर्द, बदन दर्द, ठंड लगना
-103 डिग्री से लेकर 105 डिग्री तक लगातार बुखार बने रहना
-कई बार मलेरिया का बुखार आता है और ठीक हो जाता
मलेरिया का इलाज
मलेरिया की पहचान के लिए मलेरियल पैरासाइट और मलेरियल एंटीजन टेस्ट किया जाता है। सामान्य मलेरिया में सही इलाज के साथ व्यक्ति तीन से पांच दिन में ठीक हो सकता है। यदि सीवियर फैल्सीपेरम मलेरिया में सही समय से इलाज ना मिले तो परिणाम घातक हो सकता है और मौत भी हो सकती है।
मच्छरों से बचाव के उपाय
-घर के आसपास सफाई रखें।
-कहीं भी पानी ना जमने दें।
-मच्छरदानी लगाकर सोएं।
-मॉस्किटो रेपलेंट का इस्तेमाल करें।-
-मच्छरों को भगाने वाली क्रीम व लेप लगाएं।
-पूरी आस्तीन के कपड़े पहने।
Covid Vaccination : भारत में बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगवाना क्यों है जरुरी?
Covid Vaccination : भारत में बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगवाना क्यों है जरुरी?
भारत
चेतना मंच
02 Dec 2025 04:38 AM
Covid Vaccination for Kids : कोरोना की चौथी लहर का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर की बात करें तो यहां पर कोरोना पीड़ितों की संख्या में इजाफा हो रहा है। ऐसे में एक राहतभरी खबर यह है कि अब 6 से 12 साल तक के बच्चों को भी वैक्सीन लगाए जाने की अनुमति मिल गई है।
Covid Vaccination for Kids
आपको बता दें कि देश में अब तक 12 वर्ष से ज्यादा उम्र की आयुवर्ग का वैक्सीनेशन हो रहा था, लेकिन वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद अब बहुत जल्द इससे कम उम्र की आयुवर्ग के बच्चों का वैक्सीनेशन भी शुरू हो जाएगा। यहां जानते हैं कि बच्चों के लिए वैक्सीन क्यों जरुरी है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि ऐसा कोई डेटा नहीं है, जिससे ये साबित हो कि 18 साल से कम उम्र वालों को कोरोना का खतरा नहीं है।
- WHO का 30 दिसंबर 2019 से 25 अक्टूबर 2021 तक का डेटा बताता है कि इस दौरान दुनियाभर में 5 साल से कम उम्र के 18.90 लाख बच्चे संक्रमित हुए और उनमें से 1,797 की मौत हो गई। वहीं, 5 से 14 साल की उम्र के बच्चों में 70.58 लाख मामले आए और 1,328 मौतें हुईं।
- WHO का कहना है कि भले ही 18 से कम उम्र वालों में संक्रमण की गंभीरता और मौत का खतरा कम हो, लेकिन उन्हें भी वैक्सीन की उतनी ही जरूरत है, जितनी वयस्कों को है।
- इसके अलावा वैक्सीन सेफ्टी पर बनी ग्लोबल एडवाइजरी कमेटी का कहना है कि कोरोना संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती होने और मौतों को रोकने के लिए सभी एजग्रुप का वैक्सीनेट होना जरूरी है।
- मार्च 2020 में जब कोरोना आया था, तब स्कूल बंद कर दिए गए थे। पहली और दूसरी लहर के शांत होने के बाद स्कूल खुले भी तो ज्यादा बच्चे स्कूल नहीं गए। तीसरी लहर शांत होने के बाद फिर से स्कूलों को खोल दिया गया, लेकिन स्कूल खुलते ही बच्चों में संक्रमण के मामले सामने आने लगे।
- एक बार फिर जब कोरोना के मामलों में तेजी आने लगी है तो बच्चों में भी संक्रमण बढ़ने लगा है। दिल्ली-एनसीआर के कई स्कूलों में सैकड़ों बच्चे कोरोना संक्रमित मिले हैं। बच्चों में संक्रमण का खतरा होने के बाद फिर से स्कूलों के बंद होने के आसार बनने लगे हैं, जिससे पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है।
- बच्चों का वैक्सीनेशन इसलिए भी जरूरी है क्योंकि बड़ों के मुकाबले बच्चों के लिए कोविड एप्रिप्रोएट बिहेवियर मेंटेन करना मुश्किल है। इसके अलावा अगर बच्चे संक्रमित होते हैं तो उससे घर के बड़े-बुजुर्गों के संक्रमित होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
बच्चों को वैक्सीन कब से लगना शुरु होगी, अभी इसकी जानकारी सरकार की ओर से नहीं दी गई है। अभी सिर्फ 5 से 12 साल की उम्र के बच्चों पर वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी मिली है। माना जा रहा है कि सरकार जल्द ही 5 से 12 साल वालों का वैक्सीनेशन भी शुरू कर सकती है।
वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी है। भारत में वैक्सीन लगवाने के लिए सभी को CoWin प्लेटफॉर्म पर अपना रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है। अभी रजिस्ट्रेशन को लेकर गाइडलाइन आ सकती है। सरकारी अस्पतालों और सरकारी केंद्रों में वैक्सीन फ्री में ही लगाई जाएगी. लेकिन निजी अस्पतालों में इसके लिए पैसे देने होंगे।
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भारत
चेतना मंच
02 Dec 2025 04:38 AM
Covid Vaccination for Kids : कोरोना की चौथी लहर का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर की बात करें तो यहां पर कोरोना पीड़ितों की संख्या में इजाफा हो रहा है। ऐसे में एक राहतभरी खबर यह है कि अब 6 से 12 साल तक के बच्चों को भी वैक्सीन लगाए जाने की अनुमति मिल गई है।
Covid Vaccination for Kids
आपको बता दें कि देश में अब तक 12 वर्ष से ज्यादा उम्र की आयुवर्ग का वैक्सीनेशन हो रहा था, लेकिन वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद अब बहुत जल्द इससे कम उम्र की आयुवर्ग के बच्चों का वैक्सीनेशन भी शुरू हो जाएगा। यहां जानते हैं कि बच्चों के लिए वैक्सीन क्यों जरुरी है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि ऐसा कोई डेटा नहीं है, जिससे ये साबित हो कि 18 साल से कम उम्र वालों को कोरोना का खतरा नहीं है।
- WHO का 30 दिसंबर 2019 से 25 अक्टूबर 2021 तक का डेटा बताता है कि इस दौरान दुनियाभर में 5 साल से कम उम्र के 18.90 लाख बच्चे संक्रमित हुए और उनमें से 1,797 की मौत हो गई। वहीं, 5 से 14 साल की उम्र के बच्चों में 70.58 लाख मामले आए और 1,328 मौतें हुईं।
- WHO का कहना है कि भले ही 18 से कम उम्र वालों में संक्रमण की गंभीरता और मौत का खतरा कम हो, लेकिन उन्हें भी वैक्सीन की उतनी ही जरूरत है, जितनी वयस्कों को है।
- इसके अलावा वैक्सीन सेफ्टी पर बनी ग्लोबल एडवाइजरी कमेटी का कहना है कि कोरोना संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती होने और मौतों को रोकने के लिए सभी एजग्रुप का वैक्सीनेट होना जरूरी है।
- मार्च 2020 में जब कोरोना आया था, तब स्कूल बंद कर दिए गए थे। पहली और दूसरी लहर के शांत होने के बाद स्कूल खुले भी तो ज्यादा बच्चे स्कूल नहीं गए। तीसरी लहर शांत होने के बाद फिर से स्कूलों को खोल दिया गया, लेकिन स्कूल खुलते ही बच्चों में संक्रमण के मामले सामने आने लगे।
- एक बार फिर जब कोरोना के मामलों में तेजी आने लगी है तो बच्चों में भी संक्रमण बढ़ने लगा है। दिल्ली-एनसीआर के कई स्कूलों में सैकड़ों बच्चे कोरोना संक्रमित मिले हैं। बच्चों में संक्रमण का खतरा होने के बाद फिर से स्कूलों के बंद होने के आसार बनने लगे हैं, जिससे पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है।
- बच्चों का वैक्सीनेशन इसलिए भी जरूरी है क्योंकि बड़ों के मुकाबले बच्चों के लिए कोविड एप्रिप्रोएट बिहेवियर मेंटेन करना मुश्किल है। इसके अलावा अगर बच्चे संक्रमित होते हैं तो उससे घर के बड़े-बुजुर्गों के संक्रमित होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
बच्चों को वैक्सीन कब से लगना शुरु होगी, अभी इसकी जानकारी सरकार की ओर से नहीं दी गई है। अभी सिर्फ 5 से 12 साल की उम्र के बच्चों पर वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी मिली है। माना जा रहा है कि सरकार जल्द ही 5 से 12 साल वालों का वैक्सीनेशन भी शुरू कर सकती है।
वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी है। भारत में वैक्सीन लगवाने के लिए सभी को CoWin प्लेटफॉर्म पर अपना रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है। अभी रजिस्ट्रेशन को लेकर गाइडलाइन आ सकती है। सरकारी अस्पतालों और सरकारी केंद्रों में वैक्सीन फ्री में ही लगाई जाएगी. लेकिन निजी अस्पतालों में इसके लिए पैसे देने होंगे।
Health : स्वाद के साथ हैं -लहसुन में हैं बड़े-बड़े गुण !
भारत
चेतना मंच
01 Dec 2025 10:45 AM
विनय संकोची
Health : प्याज(Onion) फैमिली का सदस्य 'लहसुन' तीखा और गंध युक्त होने के बावजूद अपने औषधीय गुणों के कारण भी लोकप्रिय है। इसका वैज्ञानिक नाम एलियम सैटिवुम सेट एल है और यह पुरातन काल से औषधीय और पाक प्रयोजनों में उपयोग में लाया जाता रहा है। इसकी मांसल पुथी (कली या फांक) के अतिरिक्त इसकी पत्तियां और फूलों का भी इस्तेमाल किया जाता है। चीन के बाद भारत में दुनिया में सबसे ज्यादा उगाए जाने वाले लहसुन की तीखी गंध इसमें प्रचुरता से पाए जाने वाले गंधक के कारण होती है। लहसुन में 6.3 % प्रोटीन, 21% कार्ब्स, 1% खनिज पदार्थ, विटामिन ए, बी, सी, आयरन, कैल्शियम, सल्फ्यूरिक एसिड के अतिरिक्त एलीसिन भी पाया जाता है। एलीसिन एक अच्छा बैक्टीरिया रोधक(Antibacterial), फफूंद रोधक( Antifungal) और एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidant) होता है।
आइए आयुर्वेद और किचन दोनों के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण लहसुन के गुण और उपयोग के बारे में जानते हैं-
• लहसुन एक बहुत जबरदस्त इम्यूनिटी बूस्टर है। इसमें मौजूद विटामिन बी6 और विटामिन- सी तथा अन्य अनेक खनिज पदार्थ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। लहसुन संक्रमण से बचाव में भी सहायक है।
• गठिया का दर्द बहुत कष्टदायक होता है। गठिया पीड़ितों के लिए लहसुन रामबाण औषधि के समान है। लहसुन का एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण गठिया के दर्द में राहत दिलाता है। गठिया रोगी लहसुन को अपनी खुराक में शामिल कर गठिया की पीड़ा से मुक्ति पा सकते हैं।
• लहसुन उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक है। सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर से छुटकारा दिलाने में लहसुन विशेष रूप से मदद कर सकता है।
• लहसुन के नियमित सेवन से बैड कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) में 10 से 15% की कमी हो सकती है। लहसुन कोलस्ट्रोल स्तर को सुधार कर दिल की बीमारियों का खतरा घटाता है। लहसुन में मौजूद पॉली सल्फाइड कंपाउंड हृदय की धमनियां खोलने और खून के प्रवाह को बढ़ाने में सहायता करता है।
• दाद, खाज, फंगल इन्फेक्शन में लहसुन का तेल ही नहीं, इसका सेवन भी बहुत फायदेमंद है।
• लहसुन के नियमित सेवन से शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थ निकल जाते हैं, जिससे शरीर स्वस्थ बना रहता है। विषाक्त पदार्थ की अनुपस्थिति से रक्त शुद्ध रहता है और किडनी में लीवर संक्रमण से बचे रहते हैं।
• लहसुन का नियमित सेवन करने से शरीर में खून की कमी नहीं होती है। एनीमिया के खतरे से बचाता है लहसुन।
• लहसुन का सेवन पेट में किसी भी तरह की जलन, सूजन और दर्द से बचाता है। इतना ही नहीं लहसुन पाचन तंत्र को मजबूत बनाकर अनेक अनचाहे रोगों से बचाने का काम भी करता है।
• मोटापा एक आम समस्या है। वजन घटाने में लहसुन सहायता कर सकता है। यदि सुबह उठकर खाली पेट कच्चे लहसुन का सेवन किया जाए तो तेजी से वजन घटने का चमत्कार होते हुए देखा जा सकता है।
• कच्चा लहसुन खाने से रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित होता है। लहसुन ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित कर मधुमेह के खतरे को कम करता है।
• लहसुन का एंटीबैक्टीरियल गुण न केवल दांतों को सड़न से बचाता है अपितु दांतों को मजबूत भी बनाता है।
• लहसुन में पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट त्वचा की नमी को बरकरार रखते हैं और त्वचा में निखार लाते हैं।
• लहसुन में मौजूद एलीसिन नामक पदार्थ पुरुषों के मेल हारमोंस को ठीक रखता है। लहसुन में प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले विटामिन और सेलेनियम पुरुषों को की स्पर्म क्वालिटी को बढ़ाने का काम करते हैं।
• लहसुन बंद नाक, छींक आना और आंखों से पानी आने जैसी एलर्जी के लक्षणों से आराम दिलाने में सहायता कर सकता है। लहसुन एलर्जी वाली कोशिकाओं पर हमला कर एलर्जी को खत्म करने का गुण रखता है।
जरूरी बात : लहसुन रक्त पतला करता है, इसलिए रक्त पतला करने वाली दवा लेने वालों को लहसुन के उपयोग में अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। गर्भवती महिलाओं को लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए। लहसुन की तासीर गर्म होती है, इसलिए सीमित मात्रा में ही इसका उपयोग करना उचित रहता है। लहसुन के अधिक सेवन से पेट की कई समस्याएं हो सकती हैं।विशेष : यहां लहसुन के गुण और उपयोग के बारे में विशुद्ध सामान्य जानकारी दी गई है, जिसे चिकित्सकीय परामर्श का विकल्प नहीं माना जा सकता है। हम भी किसी उपाय की सफलता का दावा नहीं करते हैं। लहसुन को औषधि के रूप में सेवन करने से पूर्व योग्य आयुर्वेदाचार्य / आहार विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है।
भारत
चेतना मंच
01 Dec 2025 10:45 AM
विनय संकोची
Health : प्याज(Onion) फैमिली का सदस्य 'लहसुन' तीखा और गंध युक्त होने के बावजूद अपने औषधीय गुणों के कारण भी लोकप्रिय है। इसका वैज्ञानिक नाम एलियम सैटिवुम सेट एल है और यह पुरातन काल से औषधीय और पाक प्रयोजनों में उपयोग में लाया जाता रहा है। इसकी मांसल पुथी (कली या फांक) के अतिरिक्त इसकी पत्तियां और फूलों का भी इस्तेमाल किया जाता है। चीन के बाद भारत में दुनिया में सबसे ज्यादा उगाए जाने वाले लहसुन की तीखी गंध इसमें प्रचुरता से पाए जाने वाले गंधक के कारण होती है। लहसुन में 6.3 % प्रोटीन, 21% कार्ब्स, 1% खनिज पदार्थ, विटामिन ए, बी, सी, आयरन, कैल्शियम, सल्फ्यूरिक एसिड के अतिरिक्त एलीसिन भी पाया जाता है। एलीसिन एक अच्छा बैक्टीरिया रोधक(Antibacterial), फफूंद रोधक( Antifungal) और एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidant) होता है।
आइए आयुर्वेद और किचन दोनों के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण लहसुन के गुण और उपयोग के बारे में जानते हैं-
• लहसुन एक बहुत जबरदस्त इम्यूनिटी बूस्टर है। इसमें मौजूद विटामिन बी6 और विटामिन- सी तथा अन्य अनेक खनिज पदार्थ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। लहसुन संक्रमण से बचाव में भी सहायक है।
• गठिया का दर्द बहुत कष्टदायक होता है। गठिया पीड़ितों के लिए लहसुन रामबाण औषधि के समान है। लहसुन का एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण गठिया के दर्द में राहत दिलाता है। गठिया रोगी लहसुन को अपनी खुराक में शामिल कर गठिया की पीड़ा से मुक्ति पा सकते हैं।
• लहसुन उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक है। सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर से छुटकारा दिलाने में लहसुन विशेष रूप से मदद कर सकता है।
• लहसुन के नियमित सेवन से बैड कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) में 10 से 15% की कमी हो सकती है। लहसुन कोलस्ट्रोल स्तर को सुधार कर दिल की बीमारियों का खतरा घटाता है। लहसुन में मौजूद पॉली सल्फाइड कंपाउंड हृदय की धमनियां खोलने और खून के प्रवाह को बढ़ाने में सहायता करता है।
• दाद, खाज, फंगल इन्फेक्शन में लहसुन का तेल ही नहीं, इसका सेवन भी बहुत फायदेमंद है।
• लहसुन के नियमित सेवन से शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थ निकल जाते हैं, जिससे शरीर स्वस्थ बना रहता है। विषाक्त पदार्थ की अनुपस्थिति से रक्त शुद्ध रहता है और किडनी में लीवर संक्रमण से बचे रहते हैं।
• लहसुन का नियमित सेवन करने से शरीर में खून की कमी नहीं होती है। एनीमिया के खतरे से बचाता है लहसुन।
• लहसुन का सेवन पेट में किसी भी तरह की जलन, सूजन और दर्द से बचाता है। इतना ही नहीं लहसुन पाचन तंत्र को मजबूत बनाकर अनेक अनचाहे रोगों से बचाने का काम भी करता है।
• मोटापा एक आम समस्या है। वजन घटाने में लहसुन सहायता कर सकता है। यदि सुबह उठकर खाली पेट कच्चे लहसुन का सेवन किया जाए तो तेजी से वजन घटने का चमत्कार होते हुए देखा जा सकता है।
• कच्चा लहसुन खाने से रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित होता है। लहसुन ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित कर मधुमेह के खतरे को कम करता है।
• लहसुन का एंटीबैक्टीरियल गुण न केवल दांतों को सड़न से बचाता है अपितु दांतों को मजबूत भी बनाता है।
• लहसुन में पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट त्वचा की नमी को बरकरार रखते हैं और त्वचा में निखार लाते हैं।
• लहसुन में मौजूद एलीसिन नामक पदार्थ पुरुषों के मेल हारमोंस को ठीक रखता है। लहसुन में प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले विटामिन और सेलेनियम पुरुषों को की स्पर्म क्वालिटी को बढ़ाने का काम करते हैं।
• लहसुन बंद नाक, छींक आना और आंखों से पानी आने जैसी एलर्जी के लक्षणों से आराम दिलाने में सहायता कर सकता है। लहसुन एलर्जी वाली कोशिकाओं पर हमला कर एलर्जी को खत्म करने का गुण रखता है।
जरूरी बात : लहसुन रक्त पतला करता है, इसलिए रक्त पतला करने वाली दवा लेने वालों को लहसुन के उपयोग में अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। गर्भवती महिलाओं को लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए। लहसुन की तासीर गर्म होती है, इसलिए सीमित मात्रा में ही इसका उपयोग करना उचित रहता है। लहसुन के अधिक सेवन से पेट की कई समस्याएं हो सकती हैं।विशेष : यहां लहसुन के गुण और उपयोग के बारे में विशुद्ध सामान्य जानकारी दी गई है, जिसे चिकित्सकीय परामर्श का विकल्प नहीं माना जा सकता है। हम भी किसी उपाय की सफलता का दावा नहीं करते हैं। लहसुन को औषधि के रूप में सेवन करने से पूर्व योग्य आयुर्वेदाचार्य / आहार विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है।