पुलिस का अभियान जारी, मुठभेड़ के बाद घायल बदमाश कहां गया
बुलंदशहर में पुलिस की बदमाश से मुठभेड़ हो गई। इस मुठभेड़ में बदमाश पुलिस की जवाबी कार्रवाई में घायल हो गया


बुलंदशहर में पुलिस की बदमाश से मुठभेड़ हो गई। इस मुठभेड़ में बदमाश पुलिस की जवाबी कार्रवाई में घायल हो गया


UP News : उत्तर प्रदेश में स्थित मदरसों की SIT जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। जांच के दौरान बड़े पैमाने पर विदेशी फंडिंग के सबूत मिले हैं। रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो साल में पूरे प्रदेश के 108 मदरसों में 150 करोड़ की फंडिंग हुई। इन मदरसों को खाड़ी देशों से फंडिंग हुई।
यूपी के जिन जिलों के मदरसे को विदेशों से आर्थिक मदद मिलती रही है। उनमें बहराइच, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती के साथ-साथ सहारनपुर, देवबंद, आजमगढ़, मुरादाबाद, रामपुर और अलीगढ़ समेत दर्जनों जिले शामिल हैं। जिन मदरसों को खाड़ी देशों से बड़ी फंडिंग के सबूत मिले हैं।
एसआईटी ने अब यूपी मदरसों की जांच के लिए केंद्रीय खुफिया जांच एजेंसियों की भी मदद मांगी है। फंडिंग भेजने वाली संस्था कौन-सी है, कहां से ये रकम भेजी गई? किस तरीके से रकम भेजी गई? इस रकम को किस अकाउंट से भेजी गई ? अब एसआईटी इस तरह के सवालों के जवाब जानने की कोशिश करेगी। इसके अलावा फंडिंग मिलने के बाद रकम मदरसे में कहां खर्च हुई ? खर्च की पूरी रसीद ? खरीदारी का पूरा बिल ? सभी जांच के दायरे में होगा। मदरसों में पढ़ने वाले कुल बच्चे और मिलने वाली फंडिंग के कनेक्शन की भी जांच होगी। एटीएस ने भी फंडिग का पूरा ब्यौरा मांगा है।
प्रदेश के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों और मंडलीय उप निदेशकों को जांच रिपोर्ट 30 दिसंबर तक बोर्ड के रजिस्ट्रार को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। जांच में मदरसों के मान्यता प्रमाण पत्र के निर्गमन में दर्ज मान्यता का स्टार मदरसे में स्वीकृत पदों की संख्या, शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की शैक्षिक योग्यता, कक्षाओं की संख्या और मानक के अनुसार माप, शिक्षकों के सापेक्ष छात्रों का अनुपात, एनसीईआरटी पाठ्यक्रम चल रहा है या नहीं? इन बिंदुओं की जांच की जाएगी। शासन द्वारा जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी और मंडलीय उपनिदेशकों को जांच रिपोर्ट 30 दिसंबर तक बोर्ड के रजिस्ट्रार को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।
वहीं, इन मदरसों की जांच पर उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि इससे परीक्षाएं बाधित होंगी। उन्होंने अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह से मिलकर उन्हें पत्र सौंपा और जांच बोर्ड परीक्षा तक स्थगित करने का अनुरोध किया है। इफ्तिखार अहमद जावेद का कहना है कि बार-बार जांच और सर्वे से मदरसे के कामकाज प्रभावित होते हैं। चेयरमैन ने सामान लोकसभा निर्वाचन का भी हवाला दिया है। उनका कहना है कि जांच प्रक्रिया लंबित कार्य को और लंबित कर सकती है। उन्होंने कहा कि मदरसों की जांच अब एक नियमित प्रक्रिया बन गई है और बार-बार जांच होने से मदरसों में शिक्षण कार्य तथा अन्य गतिविधियों में व्यवधान पड़ता है।
दरअसल बीते अक्टूबर में उत्तर प्रदेश सरकार ने एडीजी एटीएस और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अफसरों की तीन सदस्य एसआईटी गठित कर मदरसों की विदेशी फंडिंग की जांच के आदेश के दिए थे। अभी तक राज्य के गैर मान्यता प्राप्त मदरसे ही जांच के घेरे में थे। लेकिन अब राज्य सरकार मान्यता प्राप्त मदरसों की भी जांच कराएगी। मदरसा शिक्षा परिषद ने मान्यता प्राप्त 4394 मदरसों की जांच कराने का फैसला किया है। सरकारी अनुदान प्राप्त 560 मदरसों की जांच से इसकी शुरुआत होगी। माइनॉरिटी डिपार्टमेंट ने इसके लिए दो सदस्ययों वाली कमेटी बना दी है।
UP News : उत्तर प्रदेश में स्थित मदरसों की SIT जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। जांच के दौरान बड़े पैमाने पर विदेशी फंडिंग के सबूत मिले हैं। रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो साल में पूरे प्रदेश के 108 मदरसों में 150 करोड़ की फंडिंग हुई। इन मदरसों को खाड़ी देशों से फंडिंग हुई।
यूपी के जिन जिलों के मदरसे को विदेशों से आर्थिक मदद मिलती रही है। उनमें बहराइच, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती के साथ-साथ सहारनपुर, देवबंद, आजमगढ़, मुरादाबाद, रामपुर और अलीगढ़ समेत दर्जनों जिले शामिल हैं। जिन मदरसों को खाड़ी देशों से बड़ी फंडिंग के सबूत मिले हैं।
एसआईटी ने अब यूपी मदरसों की जांच के लिए केंद्रीय खुफिया जांच एजेंसियों की भी मदद मांगी है। फंडिंग भेजने वाली संस्था कौन-सी है, कहां से ये रकम भेजी गई? किस तरीके से रकम भेजी गई? इस रकम को किस अकाउंट से भेजी गई ? अब एसआईटी इस तरह के सवालों के जवाब जानने की कोशिश करेगी। इसके अलावा फंडिंग मिलने के बाद रकम मदरसे में कहां खर्च हुई ? खर्च की पूरी रसीद ? खरीदारी का पूरा बिल ? सभी जांच के दायरे में होगा। मदरसों में पढ़ने वाले कुल बच्चे और मिलने वाली फंडिंग के कनेक्शन की भी जांच होगी। एटीएस ने भी फंडिग का पूरा ब्यौरा मांगा है।
प्रदेश के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों और मंडलीय उप निदेशकों को जांच रिपोर्ट 30 दिसंबर तक बोर्ड के रजिस्ट्रार को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। जांच में मदरसों के मान्यता प्रमाण पत्र के निर्गमन में दर्ज मान्यता का स्टार मदरसे में स्वीकृत पदों की संख्या, शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की शैक्षिक योग्यता, कक्षाओं की संख्या और मानक के अनुसार माप, शिक्षकों के सापेक्ष छात्रों का अनुपात, एनसीईआरटी पाठ्यक्रम चल रहा है या नहीं? इन बिंदुओं की जांच की जाएगी। शासन द्वारा जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी और मंडलीय उपनिदेशकों को जांच रिपोर्ट 30 दिसंबर तक बोर्ड के रजिस्ट्रार को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।
वहीं, इन मदरसों की जांच पर उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि इससे परीक्षाएं बाधित होंगी। उन्होंने अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह से मिलकर उन्हें पत्र सौंपा और जांच बोर्ड परीक्षा तक स्थगित करने का अनुरोध किया है। इफ्तिखार अहमद जावेद का कहना है कि बार-बार जांच और सर्वे से मदरसे के कामकाज प्रभावित होते हैं। चेयरमैन ने सामान लोकसभा निर्वाचन का भी हवाला दिया है। उनका कहना है कि जांच प्रक्रिया लंबित कार्य को और लंबित कर सकती है। उन्होंने कहा कि मदरसों की जांच अब एक नियमित प्रक्रिया बन गई है और बार-बार जांच होने से मदरसों में शिक्षण कार्य तथा अन्य गतिविधियों में व्यवधान पड़ता है।
दरअसल बीते अक्टूबर में उत्तर प्रदेश सरकार ने एडीजी एटीएस और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अफसरों की तीन सदस्य एसआईटी गठित कर मदरसों की विदेशी फंडिंग की जांच के आदेश के दिए थे। अभी तक राज्य के गैर मान्यता प्राप्त मदरसे ही जांच के घेरे में थे। लेकिन अब राज्य सरकार मान्यता प्राप्त मदरसों की भी जांच कराएगी। मदरसा शिक्षा परिषद ने मान्यता प्राप्त 4394 मदरसों की जांच कराने का फैसला किया है। सरकारी अनुदान प्राप्त 560 मदरसों की जांच से इसकी शुरुआत होगी। माइनॉरिटी डिपार्टमेंट ने इसके लिए दो सदस्ययों वाली कमेटी बना दी है।
साइबर क्राइम/उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से बड़ी खबर है। अपराध जगत में साइबर क्राइम से निपटने के लिए जनपद के सभी 75 जिलों के प्रत्येक थाने में साइबर सेल गठित किए जाने के निर्देश दिए गए हैं
