Joshimath Latest Update मौसम बिगड़ने से जोशीमठ में कड़ाके की ठंड, पीड़ितों की मुश्किलें बढीं




Joshimath Latest Update: उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव का संकट लगातार गहराता जा रहा है। मकानों में दरार आने की समस्या भी विकराल रूप धारण करती जा रही है। दरार वाले मकानों की संख्या बढ़ती जा रही है और यह 725 तक पहुंच गई है। जिन मकानों में दरार आ रही है, उन पर लाल निशान लगाकर तीन दिन के भीतर मकान खाली कराए जाने की अपील की जा रही है। उधर, प्रशासन ने यहां के दो होटलों को ध्वस्त करने की तैयारी कर ली है। इसे लेकर संपत्ति मालिकों और स्थानीय लोगों का विरोध प्रदर्शन जारी है।
आपको बता दें कि जोशीमठ में भू-धंसाव के कारण यहां स्थित मकानों, दुकानों और अन्य प्रतिष्ठानों में लगातार दरार आ रही है। यहां के दो होटल की इमारत आपस में टकरा रही हैं, जिसे देखते हुए प्रशासन ने इन होटलों को ध्वस्त करने की सूचना होटल मालिकों को दी थी, लेकिन होटल मालिक और स्थानीय लोगों ने इसका विरोध और प्रदर्शन किया। इसे लेकर प्रशासनिक अधिकारी और स्थानीय लोगों के बीच बैठक हुई।
चमोली जनपद के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना का कहना है कि प्रभावित परिवारों को अंतरिम तौर पर 1.5 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जोशीमठ के लिए राहत पैकेज का ऐलान जल्द किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले 2 दिनों से ज्यादा दरारें नहीं आई हैं और हालात जल्द सामान्य होने की उम्मीद है।
जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने बताया कि आपदा अधिनियम के तहत जान-माल की सुरक्षा को देखते हुए होटलों को डिसमेंटलॉ करने का निर्णय लिया गया है। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो आसपास के आवासीय भवनों और हाईवे को क्षति पहुंच सकती है। साथ ही बिजली और पेयजल की लाइनों को भी नुकसान पहुंच सकता है।
प्रशासन के साथ मीटिंग में शामिल जोशीमठ के प्रभावित परिवारों ने बताया कि अभी कोई फाइनल बातचीत नहीं हुई है। एक बार फिर से बातचीत होगी. प्रशासन ने हमारी बात ध्यान से सुनी है, हम होटल गिराने को तैयार हैं, लेकिन बस हमें मुआवजा मिल जाए।
Joshimath Latest Update: उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव का संकट लगातार गहराता जा रहा है। मकानों में दरार आने की समस्या भी विकराल रूप धारण करती जा रही है। दरार वाले मकानों की संख्या बढ़ती जा रही है और यह 725 तक पहुंच गई है। जिन मकानों में दरार आ रही है, उन पर लाल निशान लगाकर तीन दिन के भीतर मकान खाली कराए जाने की अपील की जा रही है। उधर, प्रशासन ने यहां के दो होटलों को ध्वस्त करने की तैयारी कर ली है। इसे लेकर संपत्ति मालिकों और स्थानीय लोगों का विरोध प्रदर्शन जारी है।
आपको बता दें कि जोशीमठ में भू-धंसाव के कारण यहां स्थित मकानों, दुकानों और अन्य प्रतिष्ठानों में लगातार दरार आ रही है। यहां के दो होटल की इमारत आपस में टकरा रही हैं, जिसे देखते हुए प्रशासन ने इन होटलों को ध्वस्त करने की सूचना होटल मालिकों को दी थी, लेकिन होटल मालिक और स्थानीय लोगों ने इसका विरोध और प्रदर्शन किया। इसे लेकर प्रशासनिक अधिकारी और स्थानीय लोगों के बीच बैठक हुई।
चमोली जनपद के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना का कहना है कि प्रभावित परिवारों को अंतरिम तौर पर 1.5 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जोशीमठ के लिए राहत पैकेज का ऐलान जल्द किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले 2 दिनों से ज्यादा दरारें नहीं आई हैं और हालात जल्द सामान्य होने की उम्मीद है।
जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने बताया कि आपदा अधिनियम के तहत जान-माल की सुरक्षा को देखते हुए होटलों को डिसमेंटलॉ करने का निर्णय लिया गया है। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो आसपास के आवासीय भवनों और हाईवे को क्षति पहुंच सकती है। साथ ही बिजली और पेयजल की लाइनों को भी नुकसान पहुंच सकता है।
प्रशासन के साथ मीटिंग में शामिल जोशीमठ के प्रभावित परिवारों ने बताया कि अभी कोई फाइनल बातचीत नहीं हुई है। एक बार फिर से बातचीत होगी. प्रशासन ने हमारी बात ध्यान से सुनी है, हम होटल गिराने को तैयार हैं, लेकिन बस हमें मुआवजा मिल जाए।

Joshimath Crisis: उत्तराखंड में के जोशीमठ में जमीन धीरे धीरे धंस रही हैं मकानों, दुकानों और अन्य प्रतिष्ठानों में लगातार दरारें आ रही हैं। लोगों के सामने ये कैसी मजबूरी है कि जिस जगह जन्म हुआ, बचपन बीता और जवानी गुजार दी, उसी जगह को छोड़ना पड़ रहा है। जिस आशियानें को जिंदगीभर की खून पसीने की कमाई से सजाया और संवारा था, उसी आशियानें को छोड़ते वक्त लोगों की आंखों से जो आंसू टपक रहे हैं, वह उनके "दर्दे दिल" की कहानी को बखूबी बयां कर रहे हैं। कुछ महिलाएं तो ऐसी भी थी जो अपना घर छोड़ते वक्त दहाड़ दहाड़ कर रो रही थी।
हर किसी की जिंदगी का एक सपना होता है, जिसे लोग सपनों का महल कहते हैं, अपने इस आशियाने को सजाते हैं और जिंदगीभर की खून पसीने की कमाई लगाकर संवारते हैं। इसी उम्मीद के साथ कि जिस घर में जन्म हुआ, उसी घर से दुनिया की अंतिम विदाई हो। लेकिन जोशीमठ में इसके विपरित हो रहा है। उनके सामने एक ऐसी मजबूरी आ खड़ी हुई, जहां वह मौन हैं, केवल मौन और अपने सपनों के आशियाने को छोड़ते वक्त केवल और केवल आंसू ही बहा रहे हैं। हालांकि उत्तराखंड सरकार ने दावा किया कि जो लोग अपना घर छोड़कर जा रहे हैं, उन्हें दूसरी जगह रहने के लिए 4 हजार रुपये प्रति माह किराये के लिए प्रदान किए जाएंगे।
[caption id="attachment_57638" align="alignnone" width="700"]
joshimath[/caption]
जोशीमठ निवासी महिला बिंदु की आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। उनकी पूरी उम्र ही यहां पर गुजर गई। उनका कहना था कि ''हमारा 60 साल का आशियाना एक पल में खत्म हो गया। हमें नहीं पता कि हम कहां जाएंगे। हमें सरकार से कुछ भी मदद नहीं मिली। सरकारी अधिकारी आए और लाल निशान लगाया और घर खाली करने के लिए कह दिया।'' वह बताती हैं कि यह मेरा मायका है। 19 साल की उम्र में मेरी शादी हुई थी। मेरी मां 80 साल की हैं और मेरा एक बड़ा भाई है। हमने मेहनत करके और कमाई करके यह घर बनाया है। हम यहां 60 साल रहे लेकिन यह है सब अब खत्म हो रहा है।
शासन-प्रशासन को परवाह नहीं
इसके अलावा यहीं के रहने वाले मनीष भी अपने आंसू नहीं रोक पा रहे हैं। उनका कहना था कि हमारा बचपन यहीं बीता है। हमको अचानक घर खाली करने के लिए बोल रहे हैं। शासन-प्रशासन को परवाह नहीं है, अधिकारी हमारे पास आए और घर खाली करने के लिए बोले। हमारे परिवार में 7-8 लोग हैं। हमने पहले भी कई बार इसके बारे में सरकार को बताया था।
उधर, अधिकारियों का कहना है कि सभी निवासियों को 'असुरक्षित' क्षेत्रों से निकाला गया है। कम से कम 4,000 लोगों को बाहर स्थानांतरित कर दिया गया है। जोशीमठ के एक निवासी दीपक रावत, जिनका घर होटल माउंट व्यू के पीछे है, उनके घर में दरारें आने के बाद स्थानांतरित कर दिया गया था। अब दीपक रावत का कहना है कि सरकार को जोशीमठ के करीब एक स्थान पर हमारा पुनर्वास करना चाहिए।
joshimath elevation, joshimath altitude, joshimath heightJoshimath Crisis: उत्तराखंड में के जोशीमठ में जमीन धीरे धीरे धंस रही हैं मकानों, दुकानों और अन्य प्रतिष्ठानों में लगातार दरारें आ रही हैं। लोगों के सामने ये कैसी मजबूरी है कि जिस जगह जन्म हुआ, बचपन बीता और जवानी गुजार दी, उसी जगह को छोड़ना पड़ रहा है। जिस आशियानें को जिंदगीभर की खून पसीने की कमाई से सजाया और संवारा था, उसी आशियानें को छोड़ते वक्त लोगों की आंखों से जो आंसू टपक रहे हैं, वह उनके "दर्दे दिल" की कहानी को बखूबी बयां कर रहे हैं। कुछ महिलाएं तो ऐसी भी थी जो अपना घर छोड़ते वक्त दहाड़ दहाड़ कर रो रही थी।
हर किसी की जिंदगी का एक सपना होता है, जिसे लोग सपनों का महल कहते हैं, अपने इस आशियाने को सजाते हैं और जिंदगीभर की खून पसीने की कमाई लगाकर संवारते हैं। इसी उम्मीद के साथ कि जिस घर में जन्म हुआ, उसी घर से दुनिया की अंतिम विदाई हो। लेकिन जोशीमठ में इसके विपरित हो रहा है। उनके सामने एक ऐसी मजबूरी आ खड़ी हुई, जहां वह मौन हैं, केवल मौन और अपने सपनों के आशियाने को छोड़ते वक्त केवल और केवल आंसू ही बहा रहे हैं। हालांकि उत्तराखंड सरकार ने दावा किया कि जो लोग अपना घर छोड़कर जा रहे हैं, उन्हें दूसरी जगह रहने के लिए 4 हजार रुपये प्रति माह किराये के लिए प्रदान किए जाएंगे।
[caption id="attachment_57638" align="alignnone" width="700"]
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जोशीमठ निवासी महिला बिंदु की आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। उनकी पूरी उम्र ही यहां पर गुजर गई। उनका कहना था कि ''हमारा 60 साल का आशियाना एक पल में खत्म हो गया। हमें नहीं पता कि हम कहां जाएंगे। हमें सरकार से कुछ भी मदद नहीं मिली। सरकारी अधिकारी आए और लाल निशान लगाया और घर खाली करने के लिए कह दिया।'' वह बताती हैं कि यह मेरा मायका है। 19 साल की उम्र में मेरी शादी हुई थी। मेरी मां 80 साल की हैं और मेरा एक बड़ा भाई है। हमने मेहनत करके और कमाई करके यह घर बनाया है। हम यहां 60 साल रहे लेकिन यह है सब अब खत्म हो रहा है।
शासन-प्रशासन को परवाह नहीं
इसके अलावा यहीं के रहने वाले मनीष भी अपने आंसू नहीं रोक पा रहे हैं। उनका कहना था कि हमारा बचपन यहीं बीता है। हमको अचानक घर खाली करने के लिए बोल रहे हैं। शासन-प्रशासन को परवाह नहीं है, अधिकारी हमारे पास आए और घर खाली करने के लिए बोले। हमारे परिवार में 7-8 लोग हैं। हमने पहले भी कई बार इसके बारे में सरकार को बताया था।
उधर, अधिकारियों का कहना है कि सभी निवासियों को 'असुरक्षित' क्षेत्रों से निकाला गया है। कम से कम 4,000 लोगों को बाहर स्थानांतरित कर दिया गया है। जोशीमठ के एक निवासी दीपक रावत, जिनका घर होटल माउंट व्यू के पीछे है, उनके घर में दरारें आने के बाद स्थानांतरित कर दिया गया था। अब दीपक रावत का कहना है कि सरकार को जोशीमठ के करीब एक स्थान पर हमारा पुनर्वास करना चाहिए।
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