UP NEWS : विधायक विनय वर्मा ने गरीबों के इलाज का उठाया बीड़ा


उत्तर प्रदेश की सियासत में लगातार कमजोर पड़ रही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अब दोबारा ‘मिशन रिवाइवल’ मोड में है। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी सुप्रीमो मायावती ने 2027 विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए नया राजनीतिक फार्मूला पेश किया है ‘दलित-मुस्लिम गठजोड़’, जिसे वह ‘DM फॉर्मूला’ कह रही हैं। मायावती का मानना है कि अगर 22 फीसदी दलित और 20 फीसदी मुस्लिम एकजुट हो जाएं तो बीजेपी को सत्ता से बेदखल किया जा सकता है। लेकिन बड़ा सवाल यही है क्या अब भी मुस्लिम समाज बसपा पर भरोसा करेगा? UP News
लखनऊ में बुधवार को हुई ‘मुस्लिम भाईचारा कमेटी’ की बैठक बसपा के लिए महज़ एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं थी, बल्कि 2027 की चुनावी रणनीति का ट्रेलर थी। मायावती ने यहां अपने नेताओं को दो टूक संदेश दिया 2027 की तैयारी अभी से शुरू करो।” उन्होंने हर विधानसभा सीट पर कम से कम 100 प्रभावशाली मुस्लिम नेताओं को पार्टी से जोड़ने का टारगेट दिया और साफ कहा कि अब वक्त है दलित-मुस्लिम एकता को सियासी ताक़त में बदलने का। बैठक में मुस्लिम नेताओं को मंच के बिल्कुल सामने बैठाया गया । UP News
इस दौरान मायावती ने एक बुकलेट भी जारी की, जिसमें उनके शासनकाल में मुस्लिम समाज के लिए किए गए 100 से ज़्यादा विकास कार्यों और निर्णयों का ब्यौरा दिया गया। पार्टी कार्यकर्ताओं को साफ निर्देश मिला इस बुकलेट को हर बस्ती, हर मोहल्ले तक पहुंचाओ और लोगों को बताओ कि जब बसपा की सरकार थी, तब मुसलमानों के लिए सबसे ज़्यादा काम हुए थे। UP News
मायावती ने अब खुलकर मुस्लिम वोट बैंक पर दांव लगाना शुरू कर दिया है। उन्होंने सपा और कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि इन दलों ने दशकों तक मुसलमानों को सिर्फ़ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया वोट तो लिए, लेकिन हालात बदलने की कभी सच्ची कोशिश नहीं की। मायावती ने दावा किया कि बसपा ही वह पार्टी है जिसने यूपी को दंगों, अन्याय और सांप्रदायिक तनाव से राहत दिलाई थी। अब वह खुद मोर्चे पर उतरने की तैयारी में हैं हर महीने ‘मुस्लिम भाईचारा कमेटी’ की बैठक की कमान मायावती अपने हाथ में लेंगी।
मायावती का ‘DM फॉर्मूला’ दरअसल यूपी की बदलती सियासी ज़मीन को समझने की कोशिश है। एक दौर था जब बसपा सत्ता की सीढ़ियाँ चढ़कर शिखर पर थी 2007 में 30.43 फीसदी वोट के साथ मायावती ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। मगर उसके बाद से बसपा की ताकत लगातार ढलान पर है 2012 में 25%, 2017 में 22%, 2022 में महज़ 12%, और 2024 लोकसभा में तो वोट शेयर घटकर सिर्फ़ 9% पर सिमट गया।
उधर, बीजेपी लगातार 40 फीसदी से ज़्यादा वोट शेयर बनाए रखने में सफल रही है, जबकि सपा-कांग्रेस गठबंधन ने 2024 में 43% वोट शेयर के साथ आधे से ज़्यादा लोकसभा सीटें जीतकर बसपा को सियासी हाशिए पर धकेल दिया। अब मायावती को एहसास हो गया है कि यूपी की राजनीति में सिर्फ़ समीकरण नहीं, मजबूत जनाधार और 40% से ऊपर वोट शेयर ही सत्ता की चाबी है और उसी चाबी को पाने के लिए वह अब ‘दलित-मुस्लिम गठजोड़’ का नया ताला आजमा रही हैं।
मायावती का कोर वोट बैंक खासकर गैर-जाटव दलित वर्ग पहले ही छिटक चुका है। जाटव मतदाता भी अब उतने ठोस नहीं रहे, जितने 2007 में थे। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि मुस्लिम समाज अब उसी दल के साथ जाता है जो बीजेपी को टक्कर देता दिखे, और फिलहाल बसपा उस रेस में पीछे है। इसके अलावा मायावती के बीजेपी के साथ पहले के गठबंधनों ने भी मुस्लिम मतदाताओं के बीच अविश्वास की भावना पैदा की है। UP News
मायावती की चुनौती दोहरी है — दलित वोटरों को वापस लाना और मुस्लिमों को भरोसे में लेना। अगर वह अपने पुराने वोट बैंक को फिर से एकजुट करने में कामयाब हो जाती हैं, तभी मुस्लिम समुदाय उनके साथ खुलकर आ सकता है। वरना बसपा का ‘DM फॉर्मूला’ भी वही हश्र देखेगा जो 2017 और 2022 के प्रयोगों का हुआ सियासी पोस्टर तो बने, पर वोट ट्रांसफर नहीं हुआ। UP News



Ritu Suhas: Administrative Officer Ritu Suhas is a treasure of versatility[/caption]
रितु का पीसीएस अधिकारी बनने का सफर भी कम प्रेरणादाई नहीं है। ऋतु का जन्म 16 अप्रैल 1983 को लखनऊ में हुआ था उनके पिता लखनऊ हाई कोर्ट में वकील हैं और मां हाउसवाइफ । रितु की एक बहन और एक भाई हैं ।अपनी पढ़ाई और पीसीएस की तैयारी के लिए रितु को काफी संघर्ष करना पड़ा था। जब 2003 में उन्होंने पीसीएस परीक्षा में बैठने का फैसला किया तब उनके पास आर्थिक संसाधन भी कम थे, इसलिए किसी कोचिंग के बजाय उन्होंने self-study को चुना और पढ़ाई के पैसे जुटाने के लिए छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। तैयारी के लिए वह अपने दोस्त के कोचिंग के नोट्स देखा करती थी। 2004 में रितु ने पीसीएस की परीक्षा में सफलता पाई ।रितु की पहली पोस्टिंग मथुरा में एसडीएम के तौर पर हुई थी। 2008 में रितु की शादी एल वाई सुहास के साथ हुई थी । इनके दो बच्चे हैं। ऋतु सुहास तब सुर्खियों में आई थी जब इन्होंने लखनऊ विकास प्राधिकरण में रहते हुए माफिया मुख्तार अंसारी के अवैध निर्माण को गिरवाया था।
Ritu Suhas: Administrative Officer Ritu Suhas is a treasure of versatility[/caption]
रितु का पीसीएस अधिकारी बनने का सफर भी कम प्रेरणादाई नहीं है। ऋतु का जन्म 16 अप्रैल 1983 को लखनऊ में हुआ था उनके पिता लखनऊ हाई कोर्ट में वकील हैं और मां हाउसवाइफ । रितु की एक बहन और एक भाई हैं ।अपनी पढ़ाई और पीसीएस की तैयारी के लिए रितु को काफी संघर्ष करना पड़ा था। जब 2003 में उन्होंने पीसीएस परीक्षा में बैठने का फैसला किया तब उनके पास आर्थिक संसाधन भी कम थे, इसलिए किसी कोचिंग के बजाय उन्होंने self-study को चुना और पढ़ाई के पैसे जुटाने के लिए छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। तैयारी के लिए वह अपने दोस्त के कोचिंग के नोट्स देखा करती थी। 2004 में रितु ने पीसीएस की परीक्षा में सफलता पाई ।रितु की पहली पोस्टिंग मथुरा में एसडीएम के तौर पर हुई थी। 2008 में रितु की शादी एल वाई सुहास के साथ हुई थी । इनके दो बच्चे हैं। ऋतु सुहास तब सुर्खियों में आई थी जब इन्होंने लखनऊ विकास प्राधिकरण में रहते हुए माफिया मुख्तार अंसारी के अवैध निर्माण को गिरवाया था।