Kannauj News: वो महक जो याद रहे बरसो बरस,"कन्नौज"जिसकी मिट्टी से भी इत्र बनता है !

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Kannauj News:
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 01:45 AM
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Kannauj News : जब एक मनमोहक खुशबू हवा मे चारों तरफ फैलती है तो जहन मे सबसे पहले एक ही नाम आता है वो है कन्नौज । कन्नौज को इत्र नगरी भी कहा जाता है और यह शहर अपनी बेहतरीन खुशबुओं के लिये पूरी दुनिया मे मशहूर है । कहा जाता है कि कन्नौज की हवाएं अपने साथ खुशबू लिए चलती हैं । यहां के इत्र की डिमांड देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी है। इसकी डिमांड सबसे ज्यादा खाड़ी देशों में है । कई पुराणों और महाकाव्य में कन्नौज का नाम आता है। ऐसे में कन्नौज में इत्र के इतिहास की बात की जाए तो यह 5000 साल से ज्यादा पुराना कहा जाता है। यहाँ आज भी इत्र बनाने मे देसी तरीके का इस्तेमाल किया जाता है ।इतिहास के जानकर बताते हैं कि कन्नौज को इत्र बनाने का ये नुस्खा फारसी कारीगरों से मिला था। कन्नौज में इत्र मुगल काल में आया । मुगल सल्तनत में खुशबू का प्रयोग ज्यादा होता था। उसके बाद यह प्रचलन में आया।  इन फारसी कारीगरों को नूरजहां ने गुलाब के फूलों से बनने वाले एक विशेष प्रकार के इत्र के निर्माण के लिए बुलवाया थाकन्नौज को भारत की इत्र की राजधानी भी कहते है एक लेखक ने कहा कि "कन्नौज भारत के लिए वही है जो ग्रासे फ्रांस के लिए है"।  एक विशेषज्ञ ने कहा कि " कन्नौज हजारों वर्षों से देश का सुगंधित शहर रहा है "। कन्नौज मे इत्र करोबार की करीब 200 से ज्यादा इकाइयां मौजूद है । इनमें ज्यादातर इकाइयों में बड़े पैमाने पर इत्र बनाया जाता है। इत्र बनाने के लिए कई शहरों से यहां फूल और लकड़ियां मंगाई जाती हैं।

Kannauj News फूलो के प्राकृतिक गुणों से महकता इत्र:

आज भी कन्नौज मे अलीगढ़ के दश्मक गुलाबों का इत्र विश्व प्रसिद्ध है । जिस तरह से आज फ्रांस के ग्रास शहर का परफ्यूम लोगों की पहली पसंद है, उसी तरह से कभी किसी दौर में कन्नौज का इत्र पहली पसंद हुआ करता था। कन्नौज का बना इत्र पूरी तरह प्राकृतिक गुणों वाला और एल्कोहल मुक्त होता है। इसका इस्तेमाल कई तरह की बिमारियों को ठीक करने मे भी किया जाता है । इसी वजह से कुछ रोगों जैसे नींद न आना, एंग्जाइटी और स्ट्रेस आदि में यहां के इत्र की खुशबू रामबाण इलाज मानी जाती है।

Kannauj News खास तरीके से बना इत्र लोगो की पहली पसंद:

यहा आज भी परंपरागत तरीके से बना इत्र पूरी दुनिया को महकता है । जिसमें गुलाब, बेला, केवड़ा, केवड़ा, चमेली, मेहंदी, और गेंदा को पसंद करने वाले लोगों की कमी नहीं है। इन इत्र के साथ और भी कई बेहतरीन और मनमोहक खुशबू वाले  इत्र है जैसे शमामा, शमाम-तूल-अंबर और मास्क-अंबर भी हैं। सबसे कीमती इत्र अदर ऊद है, जिसे असम की एक विशेष लकड़ी 'आसामकीट' से बनाते है. साथ ही यहां के जैसमिन, खस, कस्तूरी, चंदन और मिट्टी अत्तर बेहद मशहूर हैं। देश के साथ-साथ विदेशों में भी इन इत्रों की खुशबू फैली हुई है। दुबई, फ्रांस, यूके और गल्फ देशों में इन इत्रों की बहुत ज्यादा मांग होती है। जिसमें शमामा सबसे ज्यादा प्रयोग में आता है।

यहां की मिट्टी से इत्र बनाने की खास परंपरा:

[caption id="attachment_99435" align="aligncenter" width="482"]kannauj news kannauj news[/caption] कहा जाता है कि इस शहर की मिट्टी मे खास तरह की खुशबू होती है और जब बारिश की बूंदें यहाँ की मिट्टी पर पड़ती है तो वो खुशबू चारो तरफ फैल जाती है । खास बात यह है कि यहां मिट्टी से भी इत्र बनाया जाता है। इसके लिए तांबे के बर्तनों में मिट्टी को पकाया जाता है। इसके बाद मिट्टी से निकलने वाली खुशबू को बेस ऑयल के साथ मिलाया जाता है। इस तरह से मिट्टी से इत्र बनाने कि प्रक्रिया चलती है। इस इत्र की अपनी खास पहचान है ।

कैसे तैयार किया जाता है इत्र:

[caption id="attachment_99436" align="aligncenter" width="640"]kannauj news kannauj news[/caption] आज के इस आधुनिक दौर में भी यहां इत्र को भट्टियों में ही बनाते है। फूलो को इकट्टा किया जाता है,फिर उन्हे साफ करके इसके बाद एक बड़े से मटके जैसे आकार के डेग में फूलो को भर दिया जाता है। फिर इसे ऊपर से ढक कर मिट्टी का लेप लगा कर चारों तरफ से बंद कर दिया जाता है । फिर उसके ही अंदर से एक पाइप नुमा छड़ लेकर दूसरे मटके जैसे आकार की छोटे डेग में डाल दिया जाता है। जिसको ठंडे पानी मे रखा जाता है। वहीं अंदर वाष्पीकरण होकर फूलों से इत्र निकल कर उस छोटे से मटके जैसे आकार वाले डेग में आ जाता है, जिसके बाद यह इत्र तैयार हो जाता है।

इत्र की कीमत:

यहाँ  के इत्र की बात की जाये तो अकेले गुलाब की रूह ही इतर 15 से 20 लाख रुपए किलो तक में आता है। ऐसे ही लगभग सभी इत्र लाखों रुपए लीटर में अपनी क्वालिटी के हिसाब से बनाये जाते हैं। यह सभी इत्र ऑर्डर देने पर बनाए जाते हैं। जिसको जिस तरह की क्वालिटी चाहिए होती है, उसी के आधार पर इसका मानक और पैसा होता है।

देश और विदेशों तक फैला इत्र का करोबार:

[caption id="attachment_99437" align="aligncenter" width="739"]kannauj news kannauj news[/caption] कन्नौज मे इत्र निर्माण की 350 से ज्यादा फैक्ट्रियां मौजूद है। यहाँ  के इत्र 60 से ज्यादा देशों मे भेजे जाते है । इस इत्र के कारोबार मे 50 हजार से ज्यादा किसान जुड़े है । कन्नौज में करीब 60 हजार से ज्यादा लोग इस व्यापार से जुड़े हैं । इस कारोबार से कई लोगो को रोजगार मिलता है  । लगभग यहां सभी तरह के इत्र बनाए जाते हैं। छोटे बड़े कारोबार की अगर बात की  जाए तो इसकी संख्या और भी ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में इन इत्रों का महीनों में करोड़ों रुपए का कारोबार होता है। #perfume #lifestyle #kannauj #breaking #up #upnews

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UP News : घर से भागे मासूम को आवारा कुत्तों ने नोच-नोचकर मार डाला

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Special Story: Why are dogs becoming ferocious, all treatments are useless, figures are frightening
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userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 02:08 AM
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UP News :  यू पी के कन्नोज जिले से एक दिल देहला देने वाली घटना सामने आयी है जहां आठ साल का मासूम बच्चा  अपने  नशेड़ी पिता की पिटाई से बचने के लिए घर से भाग गया था,  जिसे बाहर गली के आवारा कुत्तों ने  नोच-नोचकर मार डाला. पुलिस ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है.

UP News :

पूरा मामला कन्नौज के सदर कोतवाली का है. पुरानी पुलिस लाइन कॉलोनी के पास ओमकार परिवार के साथ रहता है. वो नशे का आदी है. मंगलवार रात वह घर पर शराब के नशे में पहुंचा और बच्चों के साथ मारपीट करने लगा. इसी के डर से उसके तीसरे नंबर का आठ साल का बेटा प्रिंस घर से भाग गया. देर रात तक जब वो घर नहीं लौटा तो मां पिंकी ने पड़ोस में तलाश की, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं लगा. पूरी रात परिवार परेशान रहा.
सुबह होने पर मकरंदनगर बिजली घर के करीब एक छात्र का शव पड़ा मिला. बाद में उसकी पहचान प्रिंस के रूप में हुई. मां पिंकी ने बताया कि पिता की मार के डर से प्रिंस घर से भागा था. इसी दौरान आवारा कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया. हमले में बेटे को गंभीर चोटें आईं और उसकी मौत हो गई.