Karauli Baba : बाबा का फिल्मिस्तान, यहां है उनके कलाकार, कैमरा, साउंड और शानदार स्क्रिप्ट

Karauli Baba :
इन्हीं का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया जाता है। झांसे में आए लोग उसे देखकर बाबा के चंगुल में फंसकर लाखों रुपये गवां देते हैं। आश्रम के एक पूर्व कर्मचारी के अनुसार जिस हॉल में करौली बाबा लोगों से मुलाकात करते हैं। वहां कैमरा, साउंड सिस्टम और लाइट की पूरी व्यवस्था है। बाबा के सभा में आते ही समर्थक तय जगह पर बैठ जाते हैं। इसके बाद वहां मौजूद बाबा के गुर्गे एक-एक करके सभा में आए लोगों को उनकी समस्या बताने के लिए माइक पर बुलाते हैं। इसके बाद बाबा सभी से आंख बंद कर ध्यान लगाने को कहते हैं। कलाकारों को दी जाती है ट्रेनिंग इस बीच भीड़ से कुछ महिलाएं चीखने लगती हैं। वो बाल खोलकर खुद पर भूत का साया बताती हैं, तभी अन्य कलाकार भी अपने रोल में आ जाते हैं, सिर और हाथ पटकने लगते हैं। यह करने वाले 'कहने को भक्त' लेकिन बाबा के कलाकारों को बाकायदा नाटक की ट्रेनिंग दी जाती है। भूतप्रेत-बाधाएं दूर करने का होता नाटक इस बीच म्यूजिक से ऐसा डरावना माहौल बनाया जाता है ताकि लोगों को भ्रम जाल सच लगे। इसके बाद उन्हें बाबा के सामने खड़ा कर उनका वीडियो बनाया जाता है। इसके बाद वह झूमते हुए भूत प्रेत से मुक्ति समेत बाबा की कृपा से सब दुखों के निवारण के बारे में कहती हैं। इसकी पटकथा पहले ही उन्हें रटा दी जाती है। इन कलाकारों को दो से ढाई हजार रुपये प्रतिदिन के दिए जाते हैं। मंडली का एक ठेकेदार भी होता है। इसके बाद बाबा उन महिलाओं पर सवार भूतप्रेत की बाधाएं नाटकीय ढंग से दूर करने का नाटक करते हैं। ऐसे ही भ्रामक वीडियो को लोग सच मान बाबा के जाल में फंस जाते हैं।
5100 रुपए की है एक ईंट
करौली सरकार के आश्रम की ईंट भी खूब चर्चा में बनी हुई है। वैसे तो भट्टे में तैयार होने वाली एक ईंट की कीमत 10 से 12 रुपए होती है, लेकिन करौली सरकार के आश्रम में मिलने वाली एक ईंट की कीमत 5100 रुपए हैं। यह चमत्कारी ईंट बाबा के लवकुश आश्रम में ही तैयारी की जाती है। इस ईंट को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच में रखा जाता है।
Political : सामाजिक न्याय पर चर्चा के लिए स्टालिन ने बुलाई विपक्षी नेताओं की बैठक
बाबा का दावा है कि इस ईंट को मकान की नींव में लगाने से बाधाएं दूर होती हैं, इसके साथ ही बीमारियां भी दूर होती हैं। इस ईंट के लगाने से नाकारात्मक शक्तियां घर में प्रवेश नहीं कर सकती हैं। इसके साथ ही गंभीर बीमारियों को घर के अंदर प्रवेश नहीं करने देती हैं। आश्रम की ईंट को विभिन्न प्रकार के अनुष्ठानों से सिद्ध किया जाता है। कई भक्त तो ईंट को नींव में लगाने के साथ ही घरों की दीवारों और छतों पर भी लगाते हैं। कई भक्त सात, ग्यारह या फिर पांच ईंट मकानों में लगाते हैं।
आश्रम में पांचवीं बार पहुंची पुलिस
वहीं बुधवार को पांचवीं बार पुलिस ने आश्रम पहुंचकर साक्ष्य एकत्रित किए। एसीपी घाटमपुर दिनेश कुमार शुक्ला ने बताया कि जांच चल रही है। पुलिस लगातार आश्रम से घटना से जुड़े साक्ष्य एकत्र करने का प्रयास कर रही है। डॉक्टर के बयान दर्ज होने के बाद कार्रवाई आगे बढ़ाई जाएगी। डॉक्टर ने सोमवार को आने की बात कही है। पुलिस टीम के द्वारा आश्रम की जानकारियां भी जुटाई जा रही हैं।
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Karauli Baba :
इन्हीं का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया जाता है। झांसे में आए लोग उसे देखकर बाबा के चंगुल में फंसकर लाखों रुपये गवां देते हैं। आश्रम के एक पूर्व कर्मचारी के अनुसार जिस हॉल में करौली बाबा लोगों से मुलाकात करते हैं। वहां कैमरा, साउंड सिस्टम और लाइट की पूरी व्यवस्था है। बाबा के सभा में आते ही समर्थक तय जगह पर बैठ जाते हैं। इसके बाद वहां मौजूद बाबा के गुर्गे एक-एक करके सभा में आए लोगों को उनकी समस्या बताने के लिए माइक पर बुलाते हैं। इसके बाद बाबा सभी से आंख बंद कर ध्यान लगाने को कहते हैं। कलाकारों को दी जाती है ट्रेनिंग इस बीच भीड़ से कुछ महिलाएं चीखने लगती हैं। वो बाल खोलकर खुद पर भूत का साया बताती हैं, तभी अन्य कलाकार भी अपने रोल में आ जाते हैं, सिर और हाथ पटकने लगते हैं। यह करने वाले 'कहने को भक्त' लेकिन बाबा के कलाकारों को बाकायदा नाटक की ट्रेनिंग दी जाती है। भूतप्रेत-बाधाएं दूर करने का होता नाटक इस बीच म्यूजिक से ऐसा डरावना माहौल बनाया जाता है ताकि लोगों को भ्रम जाल सच लगे। इसके बाद उन्हें बाबा के सामने खड़ा कर उनका वीडियो बनाया जाता है। इसके बाद वह झूमते हुए भूत प्रेत से मुक्ति समेत बाबा की कृपा से सब दुखों के निवारण के बारे में कहती हैं। इसकी पटकथा पहले ही उन्हें रटा दी जाती है। इन कलाकारों को दो से ढाई हजार रुपये प्रतिदिन के दिए जाते हैं। मंडली का एक ठेकेदार भी होता है। इसके बाद बाबा उन महिलाओं पर सवार भूतप्रेत की बाधाएं नाटकीय ढंग से दूर करने का नाटक करते हैं। ऐसे ही भ्रामक वीडियो को लोग सच मान बाबा के जाल में फंस जाते हैं।
5100 रुपए की है एक ईंट
करौली सरकार के आश्रम की ईंट भी खूब चर्चा में बनी हुई है। वैसे तो भट्टे में तैयार होने वाली एक ईंट की कीमत 10 से 12 रुपए होती है, लेकिन करौली सरकार के आश्रम में मिलने वाली एक ईंट की कीमत 5100 रुपए हैं। यह चमत्कारी ईंट बाबा के लवकुश आश्रम में ही तैयारी की जाती है। इस ईंट को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच में रखा जाता है।
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बाबा का दावा है कि इस ईंट को मकान की नींव में लगाने से बाधाएं दूर होती हैं, इसके साथ ही बीमारियां भी दूर होती हैं। इस ईंट के लगाने से नाकारात्मक शक्तियां घर में प्रवेश नहीं कर सकती हैं। इसके साथ ही गंभीर बीमारियों को घर के अंदर प्रवेश नहीं करने देती हैं। आश्रम की ईंट को विभिन्न प्रकार के अनुष्ठानों से सिद्ध किया जाता है। कई भक्त तो ईंट को नींव में लगाने के साथ ही घरों की दीवारों और छतों पर भी लगाते हैं। कई भक्त सात, ग्यारह या फिर पांच ईंट मकानों में लगाते हैं।
आश्रम में पांचवीं बार पहुंची पुलिस
वहीं बुधवार को पांचवीं बार पुलिस ने आश्रम पहुंचकर साक्ष्य एकत्रित किए। एसीपी घाटमपुर दिनेश कुमार शुक्ला ने बताया कि जांच चल रही है। पुलिस लगातार आश्रम से घटना से जुड़े साक्ष्य एकत्र करने का प्रयास कर रही है। डॉक्टर के बयान दर्ज होने के बाद कार्रवाई आगे बढ़ाई जाएगी। डॉक्टर ने सोमवार को आने की बात कही है। पुलिस टीम के द्वारा आश्रम की जानकारियां भी जुटाई जा रही हैं।
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संतान सुख की प्राप्ति
नवरात्रि में सुबह से लेकर देरशाम तक लाखों की संख्या भक्त आते हैं मां बारा देवी के दर्शन कर पुण्य कमाते हैं। मंदिर के पुजारी दीपक कुमार बताते हैं कि मंदिर लगभग 1700 वर्ष पुराना है। मंदिर में जिन दंपत्ति को संतान सुख की प्राप्ती नहीं होती। वह मां के दर पर आते हैं और चुनरी बांध कर मन्नत मांगते हैं। मातारानी की कृपा से उनके आंगन में किलकारियों की गूंज सुनाई देती है। अगले नवरात्रि पर बच्चे का पहला मंडन मंदिर परिसर पर ही होता है। मुंडन के बाद दंपत्ति चुनरी खोल लेते हैं।
सप्तमी से नवमी तक निकलते हैं जवारे
नवरात्र की सप्तमी से नवमी तिथि तक श्रद्धालु मां बारा देवी को जवारा निकालते हैं। मंदिर के आसपास आस्था का सैलाब उमड़ता है। इस दौरान मां काली और भगवान शिव के तांडव नृत्य को देख लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। बारादेवी को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु खतरनाक करतब भी कर दिखाते हैं। कोई आग से खेलता है तो कोई अपने गाल के आरपार नुकीली धातु पार कर दिखाता है। नाचते गाते श्रद्धालुओं का जगह-जगह स्वागत कर फूल बरसाए जाते हैं। यहां बड़ों के साथ बच्चों और महिलाओं ने भी सांग लगाती हैं।
पहले जीभ काटकर चढ़ा देते थे भक्त
आपको शायद इस बात पर विश्वास नहीं होगा लेकिन ये सच है। आज से महज 15 साल पहले मंदिर में नवरात्रित में आने वाले भक्त अपनी जीभ काटकर मंदिर में चढ़ा देते थे। इतना ही नहीं भक्त मंदिर में अपनी गर्दन भी रेतते थे।
इससे कई लोगों की जान पर बन आती थी। इसके बाद से जिला प्रशासन ने इस प्रथा को कड़ी मशक्कत से बंद कराया। अब सिर्फ गाल में भाला आर-पार करके भक्त पहुंचते हैं। इसके साथ ही अलग-अलग करतब भी करते हैं।

Kanpur News : Police of Kanpur Dehat is saying keep awake[/caption]