Special Story :
सैय्यद अबू साद
Special Story : कानपुर। किसी ने सच कहा कि प्रेम को जितना बांटो वो उतना ही बढ़ता जाता है। ये बात उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर का प्रेम फाउंडेशन सच भी कर रहा है। 6 साल पहले प्रेम फाउंडेशन ने कानपुर के सरकारी अस्पताल में हैलट में प्रतिदिन 200 पैकेट भोजन वितरण शुरू किया था, अब प्रतिदिन 2700 पैकेट वितरण तक बढ़ चुका है। प्रेम फाउंडेशन के सदस्य मरीज और तीमारदारों को 5 रुपए में भरपेट भोजन उपलब्ध करा रहे हैं। वह रोजाना कानपुर शहर के सरकारी अस्पतालों में सुबह व शाम को भोजन का वितरण करते हैं।
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5 रुपए लेने का कारण
फाउंडेशन के सचिव राजेंद्र पाल ने बताया कि भोजन के पैकेट का 5 रुपए इसलिए लेते हैं कि ताकि फ्री समझकर उसे फेंक न दें। पैसा लेने से लोगों को खाने की अहमियत पता चले, जबरदस्ती खाना न लें। फ्री में खाना बंटता है तो लोग एक की वजह 2 पैकेट ले लेते हैं, मगर खा नहीं पाते हैं। भोजन का मेन्यू भी प्रतिदिन अलग होता है। कभी छोला चावल, कभी राजमा चावल, कभी दाल चावल। इसके साथ बिस्किट भी देते हैं।
3 मित्रों से शुरू हुए अभियान में अब 125 सदस्य
सरकारी अस्पतालों के हालातों से हर कोई वाकिफ होगा लेकिन वहां पर लोगों को सुविधा मिल सके इसके लिए कोई भी आगे नहीं आता है। ऐसे में मरीजों और तीमारदारों को अच्छा भोजन मिल सके इसके लिए प्रेम फाउंडेशन ने ये अभियान शुरू किया था। कानपुर के रावतपुर निवासी राजेंद्र पाल कपड़ा कारोबारी हैं। उन्होंने 2017 में 200 पैकेट भोजन का वितरण शुरू किया था, आज 2700 पैकेट का वितरण कर रहे हैं। राजेंद्र पाल ने बताया कि लोगों को पेट भर और पौष्टिक भोजन मिले यही हमारी संस्था का लक्ष्य है। 6 साल पहले मैंने अपने मित्र आरके जिंदल और अरुणपुरी के साथ सरकारी अस्पताल में भोजन के बांटने का अभियान शुरू किया था। छह माह बाद कार्डियोलॉजी और टीबी अस्पताल में भी एक-एक काउंटर लगाया। वर्तमान में शहर के 5 हॉस्पिटल में हम लोग सुबह और शाम दोनों टाइम भोजन का वितरण कर रहे हैं। हमारी संस्था में कुल 125 सदस्य काम कर रहे हैं। महीने में 80 हजार पैकेट का वितरण किया जाता है।
कोई भूखा ना रहे
राजेंद्र पाल ने कहा कि जब से यह काम शुरू किया है उस दिन से लेकर आज दिन तक एक भी दिन ऐसा नहीं हुआ है जिस दिन खाना न बंटा हो। लोग संस्थान के साथ जुड़ते जा रहे हैं और मिलकर सभी भोजन तैयार कराते हैं। इसलिए आज दिन तक किसी एक व्यक्ति के ऊपर कोई बोझ नहीं पड़ा। मैंने तो बस एक पहल शुरू की थी और राम जी की कृपा से आज सदस्यों की लंबी ट्रेन बन चुकी है, जिनकी मदद से इतनी बड़ी संख्या में हम लोग भोजन वितरण कर रहे हैं। हमारा मकसद है कि अस्पतालों में आने वाला कोई भी व्यक्ति पैसे के अभाव में भूखा ना रहे।
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धीरे धीरे बढ़ रहा कारवां
राजेंद्र पाल ने बताया कि पहले मैं परिवर्तन संस्थान के साथ जुड़ा था। वहां पर समाज सेवा के कार्यक्रम हुआ करते थे। फिर मुझे लगा कुछ ऐसा काम करें, जिससे अस्पतालों में दूरदराज से आने वाले लोगों का भी पेट भर सके। सरकारी अस्पतालों में दूरदराज से लोग आते हैं जो कि ग्रामीण क्षेत्र के होते हैं और गरीब घर के होते हैं। यदि उनका पेट भरेगा तो ज्यादा संतुष्टि मिलेगी। यह सोच कर प्रेम फाउंडेशन के तहत लोगों को भोजन वितरण करना शुरू किया। अपने घर का शुभ कार्यक्रम भी अब लोग हम लोगों के साथ मिलकर करने लगे हैं। किसी के घर में बर्थडे होती है, शादी की सालगिरह होती है या माता पिता की पुण्यतिथि होती है तो इस मौके पर लोग हमारी संस्था के साथ मिलकर भोजन तैयार कराते हैं। इसके बाद उसका वितरण अस्पतालों में करने के लिए आते हैं।
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