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UP News : IIT कानपुर ने ली बड़ी ज़िम्मेदारी, कम उम्र में हार्ट अटैक का होगा अध्ययन

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IIT Kanpur has taken a big responsibility, heart attack will be studied at a young age

अब से कोई लगभग तीन दशक पहले तक 40 की उम्र में भी हार्ट अटैक को लोग ताज्जुब मानते थे। लेकिन, अब 20 साल के युवक भी हार्ट अटैक के शिकार हो रहे हैं। साल 2000 के बाद से इसमें दो फीसदी प्रतिवर्ष की दर से इजाफा लोगों को डराने लगा है। कोरोना महामारी के बाद से इसमें और भी वृद्धि देखने को मिली है। इस हालात से चिंतित आईआईटी कानपुर ने हार्ट अटैक पर रिसर्च करने का फैसला किया है। इस रिसर्च में कई और प्रतिष्ठित संस्थान मदद करेंगे। इसके लिए दुनियाभर से हार्ट अटैक के कारणों पर स्टडी कर रहे लोगों को भी आमंत्रित किया जाएगा।

विशेषज्ञ भी समझ नहीं पा रहे अचानक हार्ट अटैक का कारण

वैसे तो लोगों में हार्ट अटैक आना कोई नई बात नहीं है। लेकिन जिस तरह से बीते 1 से 2 वर्षों के दौरान युवाओं और मध्यम उम्र के लोगों में हार्ट अटैक घटनाएं बढ़ी हैं। बीते दो तीन वर्षों में कई ऐसे वीडियो वायरल हुए हैं, जिसमें लोग नाचते, खेलते हार्ट अटैक का शिकार होकर गिरे और उनकी मौत हो गई। ऐसे अचानक हार्ट अटैक आने की वजह को विशेषज्ञ भी समझ में नहीं पा रहे हैं।

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चिंतित हैं चिकित्सा विशेषज्ञ

अचानक आने वाला हार्ट अटैक आम लोगों के साथ ही चिकित्सा विशेषज्ञों को भी सोचने पर मजबूर कर रहा है। नाचते-गाते, सही सलामत हालत में हार्ट अटैक लोगों की जान ले रहा है। हाल ही में सुहागरात पर पति-पत्नी दोनों की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। ये हालात लोगों को डरा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अचानक हार्ट अटैक के मामलों में इजाफे के लिए कई परिस्थितियां जिम्मेदार हो सकती हैं। इसके लिए विस्तृत शोध की जरूरत है।

पहले ही संकेत देने वाले सिस्टम बनाने पर काम

हार्ट अटैक की समस्या को गंभीरता से लेते हुए कानपुर आईआईटी में बन रहे गंगवाल स्कूल ऑफ मेडिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी हार्ट अटैक की वजह का पता लगाएगा। वह एक ऐसे सिस्टम को इजाद करने की कोशिश करेगा, जिससे हार्ट अटैक होने से पहले ही लोगों को इसका पता चल सके। इसके लिए विशेष ईसीजी और MRI के डाटा का अध्ययन करके कार्डियो इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी सिमुलेटर का इस्तेमाल किया जाएगा।

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साल 2000 से लगातार हो रहा दो ​फीसदी का इजाफा

यह हैरान करने वाली बात है कि साल 2000 से 2016 के बीच युवाओं में हार्ट अटैक के मामले में हर साल 2 प्रतिशत का इजाफा हो रहा है। यही वजह है कि 21, 25, 27 और 35 साल की उम्र में हार्ट अटैक जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं। दिलचस्प है कि हार्ट अटैक के शिकार वे लोग भी हो रहे हैं, जो न तो कोई नशा करते हैं और न ही उन्हें कोई बीमारी है।

कोरोना के चलते हार्ट अटैक के मामलों में इजाफा?

कोरोना ने हर किसी के मन में एक खौफ पैदा कर दिया है। इसके खौफ से अभी तक लोग पूरी तरह से उबर नहीं पाए हैं। कोरोना के दौरान किसी को सैकड़ों मील पैदल चलना पड़ा, किसी के माता-पिता, भाई-बहन या बच्चों की मौत हो गई, किसी के दोस्त ने दम तोड़ दिया, किसी की नौकरी चली गई। ये दर्द और डर अब तक लोगों के जेहन में है। इसका असर लोगों की मानसिक स्थिति पर भी पड़ा है। लोग एनजाइटी का शिकार हो रहे हैं। हर बात पर गुस्सा करने लगे हैं। लोगों का ब्लड प्रेशर हाई होने लगा है। लोग ज्यादा तनाव लेने लगे हैं। नींद भी कम आती है। इन बदलावों ने लोगों के शरीर में कई तरह की बीमारियां पैदा करनी शुरू कर दी हैं। इसके चलते ब्लड सर्कुलेशन पर असर पड़ता है। धीरे-धीरे ये बीमारियां दिल को काफी कमजोर कर देती हैं और हार्ट ब्लॉकेज की समस्या आ जाती है। इसके चलते अचानक मौत के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। कोरोना के समय जिन लोगों ने गंभीर संक्रमण झेला है, उन पर हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा है।

प्रदूषण और खान पान भी है बड़ा कारण

हार्ट अटैक के मामलों में इजाफे के लिए प्रदूषण और खान-पान को भी बड़ा कारण माना जा रहा है। लोग जंक फूड, नॉनवेज, तेल वाले खाद्य पदार्थ ज्यादा खाने लगे हैं। इससे शरीर का कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है। इसी तरह प्रदूषण का असर फेफड़ों पर तो पड़ता ही है, साथ में शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर देता है। एक शोध के मुताबिक दिल्ली एनसीआर व अन्य मेट्रो सिटी में रहने वाले लोगों की उम्र इन कारणों के चलते 10 साल कम हो जाती है।

तनाव से युवाओं में बढ़ रहा हार्ट अटैक का खतरा

युवाओं में इन दिनों बॉडी बनाने का जोश कुछ ज्यादा ही देखने का मिल रहा है। इसके लिए वे तमाम तरह के सप्लीमेंट्स का यूज करने लगे हैं। ये बहुत ही खतरनाक होते हैं। इससे शरीर के कई ऑर्गन फेल हो सकते हैं। इसके अलावा शराब, सिगरेट व अन्य नशीले पदार्थ भी लोगों के दिल को कमजोर बनाते हैं। इसके अलावा अधिक एक्सरसाइज भी करना खतरनाक है। इससे दिल की गति तेज हो जाती है तो ब्लॉकेज कर सकती है। इसके अलावा नौकरी व अन्य कारणों से युवा स्ट्रेस भी बहुत ज्यादा लेने लगे हैं। रात-रात तक काम करते हैं। नींद कम लेते हैं। स्ट्रेस का सीधा असर दिल पर पड़ता है। यही कारण है कि युवाओं में हार्ट अटैक के मामले बढ़ गए हैं।

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कोरोना ने किया इम्यून सिस्टम पर हमला

कोरोना ने लोगों के इम्यून सिस्टम पर काफी प्रहार किया है। इसके चलते लोग अंदर से कमजोर हो गए हैं। ऊपर से वह फिट दिखते हैं, लेकिन अंदर बीमारियों ने घर कर रखा है। यही बीमारियां जब ज्यादा बढ़ जाती हैं तो अचानक हार्ट फेल्योर का सामना करना पड़ता है।

पैदाइशी बीमारी से बच्चों में होता है हार्ट अटैक

आमतौर पर बच्चों को हार्ट अटैक की समस्या तभी आती है, जब उसे पहले से कोई दिक्कत हो। शरीर के अंदर एबनॉर्मलिटी अचालक मौत का कारण हो सकती है। इसमें पैदायशी बच्चों के अंदर कुछ न कुछ बीमारी होती है। ब्रेन में नसों का गुच्छा होता है। ये अचानक फट जाता है। बच्चों में ये समस्या कॉमन है। ब्रेन ट्यूमर या ब्रेन सिस्ट के चलते भी हार्ट अटैक आ सकता है। ऐसी परिस्थिति में सिरदर्द या बुखार आने के 24 घंटे के अंदर मौत हो सकती है।

कोरोना वैक्सीन से मौत का मामला नहीं

भारत में अब तक कोरोन वैक्सीन से कोई मौत का मामला आधिकारिक रूप से सामने नहीं आया है। ये भ्रम फैलाया जा रहा है कि वैक्सीन लगवाने वाले लोगों की हार्ट अटैक से मौत हो रही है। भारत में लोगों को जो वैक्सीन लगाई गई है, वो इम्युनिटी बूस्टर है। अगर इससे मौत होना होता, तो तुरंत होता। वैक्सीन लगवाने के कई दिन बाद मौत होने की संभावना बिल्कुल नहीं है।

विशेषज्ञों की सलाह

चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि हार्ट अटैक आने से पहले लोगों में कुछ लक्षण दिखने लगते हैं। इन्हें नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।

– ब्लड प्रेशर बढ़ना
– बार-बार पेशाब आना
– थॉयराड की समस्या होना
– सीने में भारीपन महसूस होना
– उलझन होना
– भूख ज्यादा लगना
– धड़कन बढ़ना0
– सीने में दर्द होना
– किसी एक बांह या दोनों में दर्द होना
– थोड़ी सी कसरत करने पर सांस फूलना
– पैरों में सूजन होना
– गले, जबड़े, पेट या कमर के ऊपरी हिस्से में दर्द होना
– सीने में खिंचाव या जलन महसूस होना
– अगर कुछ देर के लिए आंखों की रोशनी चली गई और फिर वापस आ गई हो
– हाथ-पैर में अचानक से कमजोरी महसूस हो
– अचानक मुंह डेढ़ा हो गया और फिर कुछ देर में सही हो गया हो
– दौरे का झटका पड़ा हो।

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