Saturday, 18 May 2024

बड़ी खबर : वर्ष 2026 से चलने लगेगी पॉड टैक्सी, खर्च होंगे 631 करोड़ रुपए

Greater Noida News : सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो नवनिर्मित शहर यमुना सिटी में 2026 में पॉड टैक्सी दौड़ने लगेंगी।…

बड़ी खबर : वर्ष 2026 से चलने लगेगी पॉड टैक्सी, खर्च होंगे 631 करोड़ रुपए

Greater Noida News : सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो नवनिर्मित शहर यमुना सिटी में 2026 में पॉड टैक्सी दौड़ने लगेंगी। यमुना विकास प्राधिकरण की इस विशेष योजना को उत्तर प्रदेश सरकार से हरी झंडी मिल गई है। जल्दी ही इस परियोजना के लिए ग्लोबल टेंडर जारी कर दिया जाएगा। यह पहला अवसर है जब भारत में बिना ड्राईवर के चलने वाली पॉड टैक्सी की योजना बनी है। पॉड टैक्सी किसी अजूबे से कम नहीं है। यह इलैक्ट्रोनिक कार बस की तरह दिखाई देती है और सड़क के किनारे बने ट्रैक पर बिना ड्राईवर के चलती है।

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क्या है 631 करोड़ की योजना

नोएडा एयरपोर्ट से फिल्म सिटी और औद्योगिक सेक्टरों को जोडऩे के लिए बिना चालक वाली पॉड टैक्सी परियोजना को शासन ने मंजूरी दे दी है। शासन ने मार्च 2026 तक परियोजना को पूरा करने के निर्देश दिए हैं। अगले सप्ताह परियोजना के लिए ग्लोबल टेंडर जारी किए जाएंगे। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर इसका निर्माण किया जाएगा। यमुना प्राधिकरण (यीडा) क्षेत्र में दुनिया का सबसे लंबा पॉड टैक्सी कॉरिडोर बनाया जाएगा। इसकी लंबाई 14.6 किमी. होगी। फिलहाल सबसे लंबा कॉरिडोर अमेरिका में मॉगर्नटाउन शहर में है, जिसकी लंबाई 12.2 किमी. है।

देश के पहले पॉड टैक्सी कॉरिडोर पर 12 स्टेशन बनाए जाएंगे। कॉरिडोर पर अधिकतम 40 किमी. प्रति घंटे की स्पीड 112 पॉड टैक्सियां दौड़ेंगी। यीडा के 60, 75 और 100 मीटर रोड पर 631 करोड़ रुपये की लागत से ट्रैक का निर्माण किया जाएगा। कॉरिडोर बन जाने के बाद नोएडा एयरपोर्ट से फिल्म सिटी तक का सफर 60 रुपये में पूरा किया जा सकेगा। वहीं पूरे कॉरिडोर का सफर करने के लिए करीब 160 रुपये देने होंगे। दरअसल, यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में एयरपोर्ट, फिल्म सिटी, मेडिकल डिवाइस पार्क, डाटा सेंटर समेत कई विदेशी टाउनशिप प्रस्तावित हैं। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से सितंबर-2024 में उड़ान भरने की तैयारी है।

ऐसे में यीडा के इस क्षेत्र को वाहन फ्री और कार्बन फ्री रखने के लिए पॉड टैक्सी परियोजना पर विचार किया गया था। करीब एक साल से लगातार कई बैठकों में किसी न किसी कारण से इसके प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिल पा रही थी। बुधवार देर शाम को लखनऊ में शासन की बैठक में परियोजना पर मुहर लगा दी गई। पॉड टैक्सी के विकासकर्ता कंपनी से 35 वर्ष का अनुबंध किया जाएगा। कंपनी का चयन करने के लिए आरएफपी निकालने पर जल्द ही फैसला लिया जाएगा।

क्या होती है पोड टैक्सी

पर्सनल रैपिड ट्रांसपोर्ट (पीआरटी) या पॉड कार या पॉड टैक्सी एक ही तकनीकी कार के नाम है। पॉड कार को सौर ऊर्जा की मदद से चलाया जाता है। इसको पूरी तरह से स्वचालित बनाया गया है, इसके जरिये 3 से लेकर 6 तक यात्रियों को एक बार में ले जाया जा सकता है।

पॉड टैक्सी के लाभ

पॉड कार के बारे में बताया जा रहा है, कि इसको सौर ऊर्जा से संचालित किया जा सकता है। मतलब साफ है कि देश में लगातार वाहनों की वजह से बढ़ रहे प्रदूषण पर काफी हद तक रोकथाम करने में सफलता मिल सकती है। दूसरा सबसे बड़ा फायदा घनी आबादी के कारण लोगों को ट्रैफिक का भी बहुत अधिक सामना करना पड़ता है, एवं अपने घर तक या मंजिल तक पहुंचने के लिए कई वाहनों को बदलना पड़ता है। इस पॉड कार के आने से इस समस्याओं का भी सामना आसानी से किया जा सकता है।

पॉड कार का इतिहास

सबसे पहले इसकी संरचना करने का विचार डॉन फिक्टर नाम के एक यातायात की योजना बनाने वाले व्यक्ति के दिमाग में आया था। इसके बाद सन् 1968 में इसको पहली बार एक प्रारूप दिया गया। इसमें काफी सालों से काम चल रहा है। 2010 में मैक्सिकन के एक कॉलेज ने इसका आर्टिफीसियल इंटेलीजेंट प्रारूप विकसित करके सन् 2014 में गौडलजारा नामक जगह पर इस कार का परिक्षण किया था। हालांकि पहली पॉड कार वेस्ट वर्जिनिया यूनिवर्सिटी में चलायी गयी थी, 1970 में यह कारनामा किया गया था। Greater Noida

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