Friday, 19 April 2024

super exclusive : एमबीबीएस में दाखिला लेने वाले छात्र सावधान, दाखिला दिलाने के नाम करोड़ों ठगने वाले गिरोह का पर्दाफाश

Super Exclusive : नोएडा । एमबीबीएस (MBBS) में दाखिला (Admission) दिलाने के नाम पर छात्रों से करोड़ों रुपए की ठगी…

super exclusive : एमबीबीएस में दाखिला लेने वाले छात्र सावधान, दाखिला दिलाने के नाम करोड़ों ठगने वाले गिरोह का पर्दाफाश

Super Exclusive : नोएडा । एमबीबीएस (MBBS) में दाखिला (Admission) दिलाने के नाम पर छात्रों से करोड़ों रुपए की ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने दो जालसाजो (counterfeiters) को गिरफ्तार किया है। इस गिरोह का मास्टरमाइंड (Mastermind) अभी पुलिस की पकड़ से बाहर है जिसकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। पकड़े गए आरोपी नोएडा (Noida) के अलावा पूर्व में लखनऊ, कानपुर व दिल्ली (Lucknow, Kanpur and Delhi) के मालवीय नगर में ऑफिस खोलकर एमबीबीएस (MBBS)  में दाखिला (Admission)  दिलाने के नाम पर ठगी की वारदातों को अंजाम दे चुके हैं।
एडीसीपी आशुतोष द्विवेदी (ADCP Ashutosh Dwivedi) ने बताया कि गत दिनों लखनऊ की रहने वाली दर्शिका ने मुकदमा दर्ज कराया था कि सेक्टर-125 में ट्रूथ एडवाइजर कैरियर कंसल्टेंसी चलाने वाले जय मेहता व दीपेंद्र आदि ने एमबीबीएस में दाखिला दिलाने के नाम पर उससे 17 लाख रुपए रुपए ठग लिए हैं। पीडि़ता की शिकायत पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की। जांच पड़ताल के दौरान पुलिस को पता चला कि जय मेहता व दीपेंद्र ने दर्शिका को अपने फर्जी नाम बताए थे उनके असली नाम यश चतुर्वेदी और दीपक हैं। इस दौरान मुखबिर की सूचना के आधार पर थाना सेक्टर 126 के प्रभारी सत्येंद्र कुमार व उनकी टीम ने दीपक उर्फ दीपेंद्र व राजेश कुमार को गिरफ्तार कर लिया।

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पूछताछ में आरोपियों ने छात्र छात्राओं से एमबीबीएस (MBBS)  में दाखिला (Admission) दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपए की ठगी की वारदात को अंजाम देना स्वीकार किया। आरोपियों ने नोएडा के सेक्टर 125 में ट्रूथ एडवाइजर कैरियर कंसल्टेंसी का ऑफिस खोलने से पूर्व उत्तर प्रदेश के कानपुर, लखनऊ व दिल्ली (Lucknow, Kanpur and Delhi) के मालवीय नगर में भी ऑफिस खोल कर इस तरह की ठगी की वारदातों को अंजाम दिया है। पूछताछ में दीपक व राजेश ने कबूल किया कि वह एमबीबीएस में दाखिला दिलाने के नाम पर छात्र छात्राओं के परिजनों से 30 से 40 लाख रुपए तक वसूलते थे।

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एडीसीपी ने बताया कि आरोपी नीट के एग्जाम में अनक्वालिफाइड छात्रों की लिस्ट लेकर उनसे संपर्क कर एमबीबीएस (MBBS)  में दाखिला (Admission) दिलाने का आश्वासन देते थे। छात्रों को अपने ऑफिस बुलाकर उन्हे बेंगलुरु व अन्य राज्यों के मेडिकल कॉलेजों  (Medical Colleges) में कम पैसों में दाखिला दिलाने झांसा देते थे। छात्रों व उनके परिजनों का भरोसा जीतने के लिए यह उनका बकायदा एयर टिकट करा कर देते थे और उन्हें आईटीसी के लग्जरी होटलों में रुकवाते थे। अन्य राज्य में पहुंचने पर यश चतुर्वेदी उर्फ जय मेहता का एक आदमी छात्रों के परिजनों से संपर्क कर उन्हें खुद को मेडिकल कॉलेज का अधिकारी बताकर दाखिला दिलाने का पूरा आश्वासन देता था। इसके बाद होटल में बैठकर एडमिशन की एवज में रकम तय की जाती थी। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि आरोपियों ने उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान, दिल्ली व हरियाणा के दर्जनों लोगों को दाखिला दिलाने के नाम पर ठगी का शिकार बनाया है। आरोपी इतने शातिर है कि यह एक मोबाइल से केवल एक ही पार्टी से बात करते थे। उक्त मोबाइल का इस्तेमाल यह किसी अन्य से बात करने के लिए नहीं करते थे। जांच में पता चला है कि आरोपी करीब 13 बैंक अकाउंट प्रयोग में ला रहे थे। एडीसीपी ने बताया कि पुलिस ने ठगी के पैसों से दीपेंद्र द्वारा खरीदी गई अर्टिगा कार को सीज किया गया है। इनके पास से ठगी में प्रयुक्त मोबाइल फोन, सिम कार्ड, आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज बरामद हुए हैं। आरोपियों द्वारा ठगी में प्रयुक्त किए जाने वाले बैंक अकाउंट को भी सीज कराया गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है कि अब तक इन लोगों ने कितने लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाया है।

दो से तीन महीने में बंद कर देते थे ऑफिस
पकड़े गए आरोपी ठगी की वारदात को अंजाम देने के तुरंत बाद अपना ठिकाना बदल लेते थे। किसी भी स्थान पर यह 2 से 3 माह से अधिक अपना ऑफिस नहीं रखते थे।
जांच में पता चला है कि आरोपियों ने कानपुर, लखनऊ, (Lucknow, Kanpur and Delhi) मालवीय नगर में भी ठगी का ऑफिस खोला था। यहां भी यह 2 से 3 महीने के भीतर ही ऑफिस बंद कर रफूचक्कर हो गए थे। पकड़े गए आरोपी दीपक, राजेश व यश चतुर्वेदी ऑफिस आने वाले लोगों से खुद ही डील करते थे और अपने स्टाफ को इस गोरखधंधे की भनक तक नहीं लगने देते थे। स्टाफ को भी यह लंबे समय तक ऑफिस में नहीं टिकने देते थे। ऑफिस में काम करने वाले स्टाफ को 15 से 20 दिनों के भीतर ही नौकरी से निकाल कर नया स्टाफ नियुक्त कर देते थे।

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