Site icon चेतना मंच

UP by-election : मैं स्वार्थी नहीं, यादव परिवार की ‘एकता’ के खिलाफ लोग एकजुट : रघुराज सिंह शाक्य

UP by-election

I am not selfish, people united against 'unity' of Yadav family: Raghuraj Singh Shakya

By-election : मैनपुरी। उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के खिलाफ किस्मत आजमा रहे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार रघुराज सिंह शाक्य ने कहा कि उन्हें ‘स्वार्थी’ और ‘अवसरवादी’ कहना गलत है, क्योंकि उन्होंने 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले ही भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी, जब चाचा-भतीजा (शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव) एक साथ थे। शाक्य ने एक साक्षात्कार में कहा कि वह पांच साल पहले शिवपाल यादव के साथ खड़े थे, जब अखिलेश यादव के साथ सत्ता संघर्ष के दौरान कोई भी उनका (शिवपाल) साथ नहीं दे रहा था।

UP by-election :

कभी शिवपाल के करीबी माने जाने वाले शाक्य (58) ने साल 2022 की शुरुआत में उनकी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया (प्रसपा) को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। भाजपा उम्मीदवार ने यह प्रतिक्रिया प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव द्वारा हाल ही में उन्हें महत्वाकांक्षी, अवसरवादी और स्वार्थी करार देने और उन पर चुपके से भाजपा में शामिल होने का आरोप लगाने के बाद दी।

अखिलेश और शिवपाल के एक बार फिर साथ आने से मैनपुरी उपचुनाव में सपा को भारी मतों से जीत मिलने के पार्टी नेताओं के दावे पर शाक्य ने ठहाका लगाते हुए कहा कि अगर वे (चाचा-भतीजा) एकजुट हुए हैं तो लोग (आम जनता) भी एकजुट हुए हैं। यह सुनिश्चित करेगा कि मैनपुरी में भाजपा को ही जीत मिले। मैनपुरी से भाजपा उम्मीदवार के रूप में शाक्य के चयन को राजनीतिक गलियारों में शिवपाल से उनकी नजदीकियों को भुनाने की सत्तारूढ़ दल की रणनीति के रूप में देखा गया था। दरअसल, शिवपाल ने उस वक्त तक सपा प्रत्याशी के प्रति अपना समर्थन नहीं जताया था। हालांकि, भाजपा का गणित अब गड़बड़ाता नजर आ रहा है। क्योंकि शिवपाल ने अखिलेश के साथ अपने पुराने गिले-शिकवों को भुलाते हुए बहू डिंपल का समर्थन करने का भरोसा जताया है। वह डिंपल के पक्ष में धुआंधार प्रचार करते भी नजर आ रहे हैं।

Gorakhpur Film City: गोरखपुर में होगी राज्य की पहली रीजनल फिल्म सिटी की स्थापना

चुनाव पर्यवेक्षकों के मुताबिक, लगभग 17 लाख मतदाताओं वाले मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में यादवों के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के शाक्य वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है। शाक्य ने सपा संस्थापक दिवंगत मुलायम सिंह यादव के प्रतिनिधित्व वाली मैनपुरी सीट पर पार्टी उम्मीदवार डिंपल यादव को सहानुभूति की लहर का फायदा मिलने की अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि लोग अब परिवारवाद के खिलाफ खड़े हो रहे हैं। शाक्य ने दावा किया कि भाजपा आजमगढ़ और रामपुर की तरह ही मैनपुरी सीट को भी सपा से छीन लेगी।

शिवपाल पर पलटवार करते हुए शाक्य ने कहा कि मुझे स्वार्थी व्यक्ति कैसे कहा जा सकता है? मैं 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ही भाजपा में शामिल हो गया था, जब चाचा-भतीजा एक बार फिर साथ आ चुके थे। उन्‍होंने कहा कि 2017 में, जब कोई भी शिवपाल सिंह यादव के साथ नहीं था, तब सिर्फ रघुराज सिंह शाक्य ही थे, जो मजबूती से उनके साथ खड़े थे। 2017 में, मुझे (विधानसभा चुनाव के लिए) कोई टिकट नहीं मिला, लेकिन मैंने इस बात को दिल पर नहीं लिया। लेकिन, अब आप हमें छोड़कर फिर एक हो गए हैं।

UP by-election :

हाल ही में जसवंत नगर में आयोजित एक रैली में डिंपल के लिए प्रचार करते हुए शिवपाल ने कहा था कि एक व्यक्ति आपके बीच घूम रहा है और वोट मांग रहा है। वह कह रहा है कि वह मेरा ‘शिष्य’ है। उन्होंने शाक्य का नाम लिए बिना कहा था कि शिष्य तो छोड़िए, वह मेरा चेला भी नहीं है। अगर होता तो चुपके से नहीं जाता। वह महत्वाकांक्षी, स्वार्थी और अवसरवादी व्यक्ति है। यह पूछे जाने पर कि क्या इस उपचुनाव में भावनाओं का बोलबाला होगा, खासकर मुलायम सिंह के निधन के कारण? जवाब में शाक्य ने कहा कि सिर्फ उन्हीं के लोगों (सपा कार्यकर्ताओं) में यह भावना है। बाकी लोगों में ऐसी कोई भावना नहीं है। लोगों का भावनात्मक झुकाव उनकी तरफ नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर लोगों के मन में उनके (डिंपल के) प्रति कोई सहानुभूति होती तो उन्हें (सपा नेताओं को) एक गली से दूसरी गली में जाकर लोगों से नहीं मिलना पड़ता, आखिर अब वे घर-घर क्यों जा रहे हैं?

Moradabad: ससुराल पहुंचते ही दुल्हन ने देहरी लांघने से किया इनकार, हैरान करने वाली है वजह

शाक्य ने सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि लोग मैनपुरी में उसके (सपा) द्वारा फैलाए गए आतंक और ‘गुंडा राज’ से तंग आ चुके हैं, जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अंकुश लगाया है। उन्होंने दावा किया कि मैनपुरी में लोग इस बार बदलाव चाह रहे हैं। शाक्य ने कहा कि जनता ने पहली बार 2014 (लोकसभा चुनाव), फिर 2017 (उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव) और 2019 (लोकसभा चुनाव) में अपना गुस्सा जाहिर किया। उन्होंने कहा कि 2019 के संसदीय चुनावों में, बसपा के साथ चुनावी गठबंधन के बावजूद नेताजी (मुलायम सिंह यादव) की जीत का अंतर केवल 90,000 वोटों से अधिक था। भाजपा उम्मीदवार ने कहा कि जनता सपा के खिलाफ है और वह बहुत अच्छी तरह से जानती है कि जब भी (यादव) परिवार एकजुट हुआ है, उसने केवल लोगों को धोखा देने के लिए ऐसा किया है।

यह पूछे जाने पर कि वह समाजवादी पार्टी, खासकर ‘नेताजी’ के पारिवारिक गढ़ में स्थित इस लोकसभा सीट को लेकर इतना बड़ा दावा किस आधार पर कर रहे हैं? जवाब में शाक्य ने कहा कि जब वह अपने इलाके में आयोजित चुनावी सभाओं में जाते हैं तो लोगों का उत्साह देखकर उनमें जबरदस्त ‘आत्मविश्वास’ पैदा होता है। सपा की मैनपुरी इकाई के जिलाध्यक्ष नियुक्त किए गए आलोक शाक्य को लेकर भाजपा प्रत्याशी ने कहा कि वह (आलोक शाक्य) राज्य स्तर के नेता थे, जो जिले में सिमटकर रह गए, जबकि समुदाय चाहता था कि उन्हें सपा की प्रदेश इकाई का प्रमुख बनाया जाए।

मैनपुरी लोकसभा सीट 10 अक्टूबर को सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के कारण रिक्त हो गई थी। इस सीट पर उपचुनाव के लिए पांच दिसंबर को मतदान होना है, जबकि वोटों की गिनती आठ दिसंबर को की जाएगी।

Exit mobile version