UP News : केन्द्र सरकार की एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) जल्दी ही उत्तर प्रदेश में लागू हो जाएगी। उत्तर प्रदेश के साथ ही साथ यूपीएस योजना भाजपा शासित अन्य प्रदेशों में भी अतिशीघ्र लागू हो सकती है। उत्तर प्रदेश सरकार ने यूपीएस को अपने उत्तर प्रदेश में लागू करने के लिए विचार-विमर्श शुरू कर दिया है।
केन्द्र ने घोषित की है यूपीएस
आपको बता दें कि भारत सरकार ने हाल ही में अपने कर्मचारियों के लिए एकीकृत पेंशन योजना शुरू करने की घोषणा की है। केन्द्र सरकार की तर्ज पर ही यूपीएस को उत्तर प्रदेश में लागू करने पर विचार किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश ही नहीं देश भर के सरकारी कर्मचारियों को एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) को ठीक से समझने की आवश्यकता है। यहां हम यूपीएस का पूरा लेखा-जोखा आपके सामने रख रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के एक आला अधिकारी का दावा है कि यूपीएस को जल्दी ही उत्तर प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा।
यह है यूपीएस का पूरा इतिहास तथा वर्तमान UP News
करीब दो वर्ष पहले प्रख्यात अर्थशास्त्री और नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढय़िा ने कुछ पार्टियों द्वारा चुनावी घोषणा पत्र में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की ओर बहाली के वादे को ‘नैतिक रूप क से गलत’ और ‘पाप’ बताते हुए कहा था कि इससे केंद्र और राज्यों की अगली सरकारों पर देनदारी का दबाव बढ़ेगा।
पनगढिय़ा के इस दृढ़ दृष्टिकोण को पूर्व केंद्रीय वित्त सचिव और पूर्व सीएजी राजीव महर्षि ने भी राजस्थान की पूर्व कांग्रेस सरकार द्वारा 2022 में ओपीएस की ओर लौटने का फैसला करने पर कहा था कि यह वित्तीय रूप से आत्मघाती कदम होगा। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी ओपीएस चुनने वाले राज्यों को चेतावनी दी थी कि यह भविष्य में अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर देगा।
इसी पृष्ठभूमि में हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावों के मद्देनजर केंद्र की मोदी सरकार अपने 23 लाख कर्मचारियों के लिए राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के स्थान पर एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) लेकर आई है। राज्यों के कर्मचारियों के असंतोष को दूर करने के लिए भाजपा शासित राज्य इसे तत्काल या निकट भविष्य में अपना सकते हैं। 2003 में वाजपेयी सरकार ने ओपीएस की जगह एनपीएस लागू की थी, जिसे तत्कालीन भाजपा सरकारों ने लागू किया था, लेकिन कांग्रेस शासित राज्यों के कर्मचारियों ने इसका विरोध किया था।
सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ा तोफा है यूपीएस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपीएस को लेकर कहा कि यह सरकारी कर्मचारियों के सम्मान और वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करती है। यूपीएस कर्मचारियों के भविष्य को सुनिश्चित करने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे मोदी सरकार का यूटर्न बताया। कांग्रेस प्रवक्ता ने भी कहा कि यह काम बहुत पहले हो जाना चाहिए था, अब दबाव में हो रहा है। साथ ही मूल वेतन के 50 फीसदी के बजाय 100 फीसदी पेंशन देनी चाहिए। इस संबंध में केंद्रीय कर्मचारियों के नेताओं ने कहा कि अब इस मुद्दे का राजनीतिकरण न कर राज्यों को भी यूपीएस लागू करनी चाहिए।
हालांकि उन्होंने कहा कि ओपीएस का विकल्प अच्छा है, लेकिन हमें व्यावहारिक होना चाहिए। यूपीएस 1 अप्रैल, 2025 से लागू होगी और इसे लागू करने वाला एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) शासित महाराष्ट्र पहला राज्य बन गया है। एनडीए के शीर्ष पदाधिकारियों के अनुसार, ओपीएस और एनपीएस का मिश्रित स्वरूप है यूपीएस, जो सेवानिवृत्त कर्मचारियों को आधुनिक दृष्टिकोण के वित्तीय जिम्मेदारी और साथ सुरक्षा, दोनों प्रदान करती है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2020 से मार्च 2023 तक तीन वर्षों में 28 राज्यों की बकाया पेंशन देनदारियां 43 फीसदी से अधिक बढ़ गईं, जो चिंताजनक है, क्योंकि इससे भविष्य में आर्थिक संकट हो सकता है।
राजनीतिक पंडित कहते हैं कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ओपीएस लागू करने के बावजूद कांग्रेस सत्ता में वापसी नहीं कर पाई। हालांकि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सराकर ने ओपीएस लागू की है, लेकिन इससे राज्य में वित्तीय संकट पैदा हो गया है और वह केंद्र से आर्थिक सहायता मांग रहा है। ऐसा ही राजस्थान की तत्कालीन गहलोत सरकार ने किया था और केंद्र सरकार से 37,000 करोड़ रुपये मांगे थे, जिसे केंद्र ने ठुकरा दिया था। यूपीए सरकार में योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे मॉटेक सिंह अहलूवालिया ने भी राज्यों द्वारा ओपीएस लागू करने को बेतुका बताया था। विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले तीन दशकों में केंद्र और राज्य सरकारों पर पेंशन की देनदारियां बढ़ी हैं। केंद्र सरकार का अनुमानित पेंशन बिल 2024-25 के लिए लगभग 2.53 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। राज्य सरकारों के लिए संयुक्त अनुमानित पेंशन बिल 2024-25 में लगभग 5.73 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
यह राज्यों के बजट के एक बड़े हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल, जैसे कुछ राज्यों पर विशेष रूप से बड़ी पेंशन देनदारियां हैं। यूपीएस कर्मचारी और सरकार, दोनों के संयुक्त पेंशन फंड में योगदान का मॉडल है। ओपीएस के विपरीत यूपीएस एक वित्त पोषित योजना है। पेंशन का बढ़ता बोझ चिंता का कारण है, क्योंकि इससे विकास और कल्याण के काम सीमित हो जाते हैं। कैग ने भी राज्यों और केंद्र सरकार को पेंशन सुधारों पर विचार करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला था, जैसे कि इन बढ़ती लागतों को प्रबंधित करने के लिए परिभाषित लाभ से परिभाषित योगदान योजनाओं में बदलाव, जो यूपीएस में परिलक्षित होता है। UP News
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