UP News : भारत सरकार की तरफ से एक बड़ा फैसला लिया गया है। भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में गंगा नदी के तट पर स्थित एक बेहद ही खूबसूरत और प्राचीन शहर वाराणसी, जिसे काशी और बनारस भी कहा जाता है। हिन्दुओं के लिए एक बहुत ही खास तीर्थ स्थलों में जाना जाता है और बौद्ध व जैन धर्मों का भी एक तीर्थ है।। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में देश का सबसे बड़ा और अनोखा पुल बनने जा रहा है।
वाराणसी में होगा सिग्नेचर ब्रिज का आगाज़
इस सिग्नेचर ब्रिज का निर्माण मालवीय पुल के बगल में किया जाएगा, जो गंगा के किनारे एक महत्वपूर्ण ट्रांसपोर्ट हब के रूप में काम करेगा। पुल में ऊपर छह लेन की सड़क और नीचे चार रेल लाइनें होंगी। जिससे यातायात की भीड़ को काफी हद तक कम किया जा सकेगा। यह पुल नमो घाट के पास बनाया जाएगा। इसकी योजना को मोदी कैबिनेट द्वारा अनुमति दी जा चुकी है।
किन राज्यों को मिलेगा फायदा
जानकारी के मुताबिक, इस सिग्नेचर ब्रिज को बनाने में तकरीबन 2642 करोड़ रुपए खर्च होगा। इसे साल 2028 तक पूरा करने का टार्गेट रखा गया है। इस पुल के निर्माण से ना केवल वाराणसी बल्कि आस-पास के राज्यों, खासकर बिहार और पश्चिम बंगाल, को भी फायदा होगा। यह पुल सड़क और रेल मार्ग दोनों से सीधे जुड़ने के चलते इन राज्यों के लिए यात्रा को अधिक सुविधाजनक बनाएगा। इससे व्यापारियों को भी फायदा होगा, क्योंकि यह क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देगा और माल के ट्रांसपोर्ट में तेजी लाएगा।
आटोमेटिक सिग्नल की व्यवस्था
पुल की लंबाई 1 किलोमीटर से ज्यादा होगी। इसके अलावा इस पुल को इतना हाईटेक बनाया जाएगा कि रेल यातायात में भी सुगमता बढ़े। इस सिग्नेचर ब्रिज के नीचे बनने वाले 4 लाइन ट्रैक पर ऑटोमेटिक सिग्नल की व्यवस्था होगी। वाराणसी के 137 साल पुराने मालवीय पुल के तर्ज पर ही इसे बनाया जा रहा है।
तकनीकी उन्नति के साथ निर्माण
बढ़ते समय के साथ इस रूट पर ट्रेन और गाड़िया का दवाब बढ़ता गया है। जिसके कारण अब 137 साल बाद इस पुल के समानांतर एक और सिग्नेचर ब्रिज बनाया जा रहा है। यह सिग्नेचर ब्रिज गंगा पर बनने वाला अब तक का सबसे चौड़ा रेल और सड़क पुल होगा। वाराणसी में गंगा पर स्थित मौजूदा मालवीय पुल का निर्माण 1887 में ब्रिटिश शासन के दौरान हुआ था। उस समय, इस पुल में ऊपर सड़क और नीचे दो रेल लाइनें थीं।
प्रस्ताव से निर्माण तक का सफर UP News
इस पुल के निर्माण का प्रस्ताव 2018 में तैयार किया गया था। इसके बाद, मोदी कैबिनेट से हरी झंडी मिलने के बाद टेंडर प्रक्रिया में तेजी लाई गई है। उत्तर रेलवे को इस परियोजना की जिम्मेदारी सौंपी गई है, और इसकी डिजाइन लगभग तैयार है। इस पुल के निर्माण के बाद वाराणसी और आस-पास के क्षेत्रों में परिवहन की स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है, जिससे आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। वाराणसी में बनने वाला यह सिग्नेचर ब्रिज क्षेत्रीय विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। UP News
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