Wednesday, 18 December 2024

खतरे में है सरकारी कर्मचारियों का भविष्य! उत्तर प्रदेश के 42 जिलों की…

UP News : उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया शुरू की गई है,…

खतरे में है सरकारी कर्मचारियों का भविष्य! उत्तर प्रदेश के 42 जिलों की…

UP News : उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया शुरू की गई है, जिसके तहत 42 जिलों की बिजली व्यवस्था को पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर निजी कंपनियों को सौंपा जाएगा। इस परिवर्तन से जुड़े कर्मचारियों के लिए कई महत्वपूर्ण नियम तय किए गए हैं, जिन्हें दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में कार्यरत कर्मचारियों पर लागू किया जाएगा।

निजीकरण के तहत कर्मचारियों की क्या होगी स्थिति?

दोनों डिस्कॉम, दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के कर्मचारियों को एक साल तक निजी कंपनी में ही काम करना होगा। बता दें कि पहले साल में कर्मचारियों को किसी भी विकल्प का लाभ नहीं मिलेगा, और वे अपनी वर्तमान स्थिति में ही कार्य करते रहेंगे। अगले साल इन कर्मचारियों में से केवल एक-तिहाई को ही पावर कारपोरेशन के अन्य डिस्कॉम में स्थानांतरित किया जाएगा। बाकी दो-तिहाई कर्मचारियों को निजी कंपनी में ही काम करना होगा या फिर उन्हें बाहर निकाल दिया जाएगा।

कंपनी की जरूरतों का रखा जाएगा खास ध्यान

आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए भी स्थिति स्पष्ट की गई है। जिसके मुताबिक मौजूदा अनुबंध की अवधि तक उनकी नौकरी सुरक्षित रहेगी, लेकिन अनुबंध समाप्त होने के बाद निजी कंपनी के पास यह अधिकार होगा कि वह इन कर्मचारियों को रखें या नहीं। इसके लिए कर्मचारियों की कार्य दक्षता और कंपनी की जरूरतों का ध्यान रखा जाएगा। इस प्रक्रिया में निजी कंपनी को छटनी का पूरा अधिकार होगा। यह कदम पावर कारपोरेशन के बढ़ते घाटे के मद्देनजर उठाया गया है, और दोनों डिस्कॉम में लगभग 1.71 करोड़ उपभोक्ता हैं, जिनकी बिजली आपूर्ति के लिए 16 हजार नियमित अभियंता और 44 हजार संविदा कर्मचारी काम कर रहे हैं।

कर्मचारियों के भविष्य पर पड़ सकता है गहरा असर

हालांकि, कर्मचारियों के बीच निजीकरण के खिलाफ चिंता और विरोध है। वे डरते हैं कि इससे उनकी नौकरी और भविष्य पर असर पड़ सकता है। कारपोरेशन प्रबंधन का कहना है कि तीन विकल्पों के माध्यम से कर्मचारियों के हित सुरक्षित रहेंगे, और संविदा कर्मचारियों को हटा नहीं जाएगा। कर्मचारियों के लिए एक और विकल्प वीआरएस (वॉलंटरी रिटायरमेंट स्कीम) का भी रखा गया है, जो एक साल बाद लागू होगा। इसके तहत कर्मचारी अपनी इच्छा से रिटायरमेंट ले सकते हैं, लेकिन इस विकल्प का लाभ अगले एक साल तक नहीं मिलेगा। इस निजीकरण प्रक्रिया में प्रमुख रूप से बिजली आपूर्ति के सुधार की उम्मीद की जा रही है, लेकिन कर्मचारियों के लिए यह बदलाव चुनौतीपूर्ण हो सकता है। UP News

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