Monday, 2 December 2024

गीता प्रेस के ट्रस्टी वैजनाथ अग्रवाल का निधन पर मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने जताया दु:ख

Uttar Pradesh  News गोरखपुर। दुनिया का सबसे बड़ा सनातन धर्म से जुड़ी पुस्तकें प्रकाशित करने वाला प्रकाशन गीता प्रेस के…

गीता प्रेस के ट्रस्टी वैजनाथ अग्रवाल का निधन पर मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने जताया दु:ख

Uttar Pradesh  News गोरखपुर। दुनिया का सबसे बड़ा सनातन धर्म से जुड़ी पुस्तकें प्रकाशित करने वाला प्रकाशन गीता प्रेस के ट्रस्टी वैजनाथ अग्रवाल का निधन हो गया। वैजनाथ अग्रवाल की उम्र 90 वर्ष थी। परिवार वालों ने बताया कि शुक्रवार को देर रात करीब 2:30 बजे गोरखपुर में अपने आवास पर वैजनाथ अग्रवाल ने अंतिम सांस ली। आपको बता दें कि वैजनाथ अग्रवाल का अंतिम संस्कार वाराणसी के गंगा घाट पर संपन्न किया जाएगा। निधन के बाद परिवार समेत तमाम शुभचिन्तकों में शोक लहर है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने शोक व्यक्त किया

मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने भी शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने Twitter पर शोक जताते हुए लिखा, “गीता प्रेस, गोरखपुर के ट्रस्टी श्री बैजनाथ अग्रवाल जी का निधन अत्यंत दुःखद है। विगत 40 वर्षों से गीता प्रेस के ट्रस्टी के रूप में बैजनाथ जी का जीवन सामाजिक जागरूकता और मानव कल्याण के लिए समर्पित रहा है। उनके निधन से समाज को अपूरणीय क्षति हुई है। प्रभु श्री राम दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान तथा शोकाकुल परिजनों और संपूर्ण गीता प्रेस परिवार को यह अथाह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें।”

संस्कृति मंत्रालय द्वारा 2021 में गीता प्रेस को गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गीता प्रेस का महत्व बताते हुए बोले, ”गीता प्रेस विश्व का ऐसा इकलौता प्रिंटिंग प्रेस है, जो सिर्फ एक संस्था नहीं है बल्कि एक जीवंत आस्था भी है। गीता प्रेस का कार्यालय करोड़ों लोगों के लिए किसी भी मंदिर से जरा भी कम नहीं है।”

गीता प्रेस ने अपने सौ वर्षों के इतिहास में पहली बार कोई सम्मान स्वीकार किया लेकिन सम्मान में मिलने वाली राशि लेने से इंकार कर दिया था।

गीता प्रेस की स्थापना का हो गया सौ वर्ष

गीता प्रेस की स्थापना सन 1923 में की गई थी। इसे शुरू करने वाले महान गीता-मर्मज्ञ श्री जयदयाल गोयन्दका थे। यह दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है, जिसने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की हैं, जिनमें केवल श्रीमद्‍भगवद्‍गीता की 16.21 करोड़ प्रतियां शामिल हैं।

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