Uttrakhand Tunnel Update : लगभग 15 दिन से उत्तराखण्ड के सिलक्यारा सुरंग में फंसे आठ राज्यों के 41 मजदूर अब तक बाहर नहीं आ सके हैं। हालांकि अब मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए सेना की इंजीनियरिंग टीम ने मोर्चा संभाल लिया है। पिछले दिनों में ऑगर मशीन के ब्लेड टूट जाने के कारण अब रेस्क्यू वर्कर्स के द्वारा यहाँ मैन्युअल वर्टीकल ड्रिलिंग की जा रही है।
Uttrakhand Tunnel Update
आपको बता दें कि इस समय टनल के चारों तरफ कार्य चालू है। टनल के दोनों तरफ समांतर रास्ते तैयार किये जा रहे हैं। वहीं यह भी माना जा रहा है अंदर फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए सबसे ज्यादा सुरक्षित रास्ता मुख्य सुरंग ही हो सकती है। प्राप्त ख़बर के अनुसार अब तक 27 मीटर तक की वर्टीकल ड्रिलिंग हो चुकी है।
टनल में तनाव कम करने को भेजे स्मार्टफोन्स…
रेस्क्यू टीम के साथ-साथ जनरल वी के सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी लगातार घटनास्थल पर दौरा कर रहे हैं और मजदूरों और उनके परिवार से बातचीत कर उन्हें जल्द बाहर निकालने का आश्वासन दे रहे हैं।
मजदूरों से हुई बातचीत में पता चला है कि अंदर फंसे हुए कुछ लोगों में अब बेचैनी बढ़ रही है। उन्हें तनाव मुक्त करने के लिए प्रशासन की रेस्क्यू टीम ने सभी मजदूरों को स्मार्टफोन्स भेजें हैं और उन्हें लूडो, सांप सीढ़ी जैसे गेम्स खेल कर अपना तनाव कम करने को कहा है। प्रशासन लगातार उन्हें भोजन, पानी, दवाएं भेज रहे हैं ताकि वे अंदर की परिस्थितियों से लड़ सकें।
लगभग चार दिन और चल सकती है वर्टीकल ड्रिलिंग
सुरंग में पंद्रह दिन पूरे कर चुके मजदूरों को अभी चार दिन का इंतज़ार और करना पड़ सकता है। प्रशासन ने बताया कि यह एक तरह की rat ड्रिलिंग है जिसका अर्थ है कि चूहे की तरीके थोड़ी थोड़ी मिट्टी हटा कर अंदर पहुंचने की जगह बनाना। इसमें लगभग चार दिन का वक़्त और लग सकता है एवं मजदूरों के 30 नवंबर तक बाहर आ सकने की उम्मीद है।
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उत्तराखण्ड के सिलक्यारा सुरंग में सभी तरह की तकनीकों का सहारा लेने के साथ -साथ, रेस्क्यू वर्कर्स, वी के सिंह और उत्तराखण्ड के cm धामी सुरंग के पास स्थापित किये गए मंदिर में भी प्रार्थना कर रहे हैं। लोगों का मानना है कि यहाँ पर बाबा बौखनाथ का मंदिर हुआ करता था जिसे चारधाम प्रोजेक्ट के चलते हटा दिया गया था। इसी कारण यह टनल ढह जाने जैसा बड़ा हादसा हो गया।