Tuesday, 24 December 2024

कौन है उत्तराखंड UCC बिल तैयार करने वाली समिति के 5 सदस्य ?

Uttarakhand UCC Bill : लंबे समय से देश में समान नागरिक संहिता यानि UCC लागू करने की मांग की जा…

कौन है उत्तराखंड UCC बिल तैयार करने वाली समिति के 5 सदस्य ?

Uttarakhand UCC Bill : लंबे समय से देश में समान नागरिक संहिता यानि UCC लागू करने की मांग की जा रही है। वहीं इसी बीच उत्तराखंड सरकार ने अपने राज्य में UCC को विधानसभा में पेश कर दिया गया। जिसको उत्तराखंड मंत्रिमंडल की ओर से भी मंजूरी मिल चुकी है। बताया जा रहा है कि इस बनाने में लगभग 20 महीने का समय लगा, जिसे पांच सदस्यीय एक समिति ने मिल कर तैयार किया है। आपको बता दें इस समिति का गठन साल 2022 में मई के महीने में किया गया था। वहीं अब उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी की अगुवाई में 06 फरवरी को इस विधेयक को विधानसभा में पेश किया गया। आइए जानते हैं कौन है पांच सदस्यीय समिति के वो लोग जिन्होंने 20 महीने में राज्य के लिए UCC बना कर तैयार किया है।

हिंदी में अनुवादित है Uttarakhand UCC Bill

आपको बता दें उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति बनाई थी। जानकारी के अनुसार इस समिति को काफी समय पहले ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपनी थी। लेकिन रिपोर्ट को पहले इंग्लिश में तैयार किया गया था, जिसके baad इसे हिंदी में बनाने का फैसला लिया गया और इस पूरे ड्राफ्ट का हिंदी में अनुवाद किया गया। इस काम की जिम्मेदारी भी पांच सदस्यीय समिति के तीन लोगों ने उठाई। जिसके बाद इसके हिंदी में अनुवाद को राज्य सरकार को सौंपा गया।

1. न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई (लोकपाल अध्यक्ष चुनने वाली कमेटी की पूर्व प्रेसिडेंट)

उत्तराखंड UCC बिल की समिति में सुप्रीम कोर्ट की रिटायर न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई है। जिन्होंने गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से साल 1973 में कानून की डिग्री हासिल की थी। साल 1979 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट में सरकारी वकील बनाया गया । इसके बाद हाईकोर्ट में ही निवारक हिरासत मामलों के लिए उन्हें विशेष सरकारी वकील नियुक्त कर दिया गया। साल 1996 में न्यायमूर्ति देसाई को बॉम्बे हाईकोर्ट में पदोन्नति मिली। जिसके बाद साल 2011 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति मिली थी। केंद्र सरकार की ओर से न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई को एक पैनल की सिफारिश के लिए बनाई गई सर्च कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। आपको बता दें इस पैनल से लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों का चुनाव किया जाता है। न्यायमूर्ति देसाई जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, असम, नगालैंड और मणिपुर के लिए परिसीमन आयोग के अध्यक्ष का पदभार भी संभाल चुकी हैं।

2. रिटायर IAS अफसर शत्रुघ्न सिंह (राम मंदिर निर्माण समिति के सदस्य)

समिति के दूसरे सदस्य के तौर पर आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियर और उत्तराखंड कैडर के 1983 बैच के आईएएस अधिकारी शत्रुघ्न सिंह है। उन्हें नवंबर 2015 में उत्तराखंड का 13वां मुख्य सचिव बनाया गया था, जिस पद पर वह साल भर रहे। अपने रिटायरमेंट के बाद उनको राज्य का मुख्य सूचना आयुक्त बनाया गया, जिस पद से उन्होंने इस्तीफा देने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के मुख्य सलाहकार के रूप में भी नामांकित किया गया था। रिटायर IAS अफसर शत्रुघ्न सिंह फिलहाल अयोध्या में राम मंदिर निर्माण समिति के भी सदस्य हैं।

3. रिटायर जस्टिस प्रमोद कोहली (श्राइन बोर्ड के कानूनी सलाहकार)

समान नागरिक संहिता की ड्राफ्ट कमेटी के तीसरे सदस्य हैं रिटायर जस्टिस प्रमोद कोहली, जिन्होंने 1972 में जम्मू विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की है। राज्यपाल शासन के दौरान साल 1990 में उन्हें जम्मू-कश्मीर का एडिश्नल एडवोकेट जनरल बनाया गया था। वहीं बाद में वह जम्मू-कश्मीर के एडवोकेट जनरल भी बने।

4. डॉ. सुरेखा डंगवाल (दून विश्वविद्यालय की कुलपति)

समिति की चौथी सदस्य है डॉक्टर सुरेखा डंगवाल, जो देहरादून स्थित दून विश्वविद्यालय की कुलपति हैं। वह हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में अंग्रेजी, आधुनिक यूरोपीय और अन्य विदेशी भाषाओं की विभागाध्यक्ष भी रह चुकी हैं।

5. मनु गौड़ (2012 से समान नागरिक संहिता पर काम कर रहे हैं)

Uttarakhand UCC Bill बनाने वाली समिति के अखिरी और पांचवे सदस्य है मनु गौड़। जो टैक्सपेयर्स एसोसिएशन ऑफ भारत के चेयरमैन भी हैं। टैक्सपेयर्स एसोसिएशन ऑफ भारत वास्तव में करदाताओं की भलाई के लिए काम करने वाला एक पंजीकृत संगठन है। राष्ट्रीय स्तर पर पंजीकृत यह संगठन सुरक्षा, जनसंख्या नियंत्रण और प्राकृतिक संसाधनों के लिए भी काम करता है। यही नहीं, मनु गौड़ इससे पहले पॉपुलेशन कंट्रोल के लिए पहले पितृत्व विधेयक का ड्राफ्ट बनाने में भी अहम भूमिका निभा चुके हैं और अब वह 2012 से समान नागरिक संहिता और पॉपुलेशन कंट्रोल के लिए काम कर रहे हैं।

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