Thursday, 5 December 2024

कश्मीर को खामोश कर गए शब्दों के जादूगर फारूक नाजकी, जानें क्या थी वजह

Farooq Nazki Death : वरिष्ठ पत्रकार, कवि और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित मीर मोहम्मद फारूक नाजकी ने मंगलवार को…

कश्मीर को खामोश कर गए शब्दों के जादूगर फारूक नाजकी, जानें क्या थी वजह
Farooq Nazki Death : वरिष्ठ पत्रकार, कवि और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित मीर मोहम्मद फारूक नाजकी ने मंगलवार को कटरा के एक अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली है। उन्होने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया है। उनकी मौत से कश्मीर बेहद खामोश हो गया है। फारूक नाजकी के आखिरी सफर में जम्मू-कश्मीर के शीर्ष नेताओं, कवियों, पत्रकारों सहित तमाम नागरिक संगठनों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।

वरिष्ठ पत्रकार, कवि और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित मीर मोहम्मद फारूक नाजकी ने मंगलवार को कटरा के एक अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली। वह 83 साल के थे, और लम्बे समय से कटरा के एक अस्पताल मेंअपनी खराब तबियत से जंग लड़ रहे थे। मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने के कारण उनका निधन हो गया, और उन्होंने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया है।

‘जमींदार’ से की थी करियर की शुरूआत

मोहम्मद फारूक नाजकी ने अपने करियर की शुरूआत ‘जमींदार’ नामक समाचारपत्र से एक पत्रकार के रूप में किया था। फारूक नाजकी अच्छे लेखक होने के साथ-साथ, एक अच्छे पत्रकार भी थे। फारूक नाजकी ने रेडियो कश्मीर के निदेशक, दूरदर्शन के उप महानिदेशक समेत दूरदर्शन केंद्र, श्रीनगर के निदेशक के रूप में भी अपनी जिम्मेदारी निभाई थी। इसके अलावा फारूक नाजकी ने लम्बे समय तक समाचार पत्र ‘दैनिक मजदूर’ के संपादक के रूप में अपनी सेवाएं दी थी। फारूक नाज़की की मौत की खबर सुनकर विभिन्न वर्गों को गहरा दुःख पहुंचा है। उनके अंतिम सफर में जम्मू-कश्मीर के शीर्ष नेताओं, कवियों, पत्रकारों सहित तमाम नागरिक संगठनों ने उनकी मौत का शोक जताया और उन्हें श्रद्धांजलि दी।

फारूक नाजकी के परिवार में कौन-कौन है?

मशहूर कवि फारूक नाजकी के परिवार में उनकी दो बेटियां और एक बेटा है। पिछले कुछ सालों से फारूक नाजकी की सेहत ठीक नहीं थी जिसके बाद वो अपने बेटे के साथ जम्मू-कश्मीर में रह रहे थे।

साहित्य अकादमी पुरस्कार से किए गए थे सम्मानित

साल 1995 में फारूक नाजकी को कविता संग्रह ‘नार ह्युतुन कंज़ल वानास’ (फायर इन द आईलैशेज) के लिए कश्मीरी भाषा के साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया था। फारूक नाजकी कश्मीरी और उर्दू भाषा के विद्वान होने के साथ-साथ एक कवि, लेखक, शिक्षक, नाटककार और प्रसारक भी थे।

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