Wednesday, 6 November 2024

गोपाष्टमी पर विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय की चर्चा जरूरी

Gopasthami : गोपाष्टमी का पावन पर्व 9 नवंबर 2024 (शनिवार) को मनाया जाएगा। गोपाष्टमी (Gopasthami ) के पर्व पर गऊशाला…

गोपाष्टमी पर विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय की चर्चा जरूरी

Gopasthami : गोपाष्टमी का पावन पर्व 9 नवंबर 2024 (शनिवार) को मनाया जाएगा। गोपाष्टमी (Gopasthami ) के पर्व पर गऊशाला में जाकर गाय माता की सेवा करने की परम्परा है। ऐसे में हम आपको एक ऐसे अस्पताल के विषय में बता रहे हैं जहां इंसानों का नहीं बल्कि गाय माताओं का मुफ्त इलाज किया जाता है। भारत के राजस्थान प्रदेश में स्थित गाय का इलाज करने वाला यह विश्व स्तर का अस्पताल है। विश्व स्तर के गो-चिकित्सालय (Cow Hospital) की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस अस्पताल में गाय माता का इलाज इंसानों की तरह ही किया जाता है।

गोपाष्टमी पर जरूर जाएं गौ-माता के विश्व स्तरीय अस्पताल में

जी हां राजस्थान (Rajasthan) के नागौर (Nagaur) में विश्व स्तरीय गो-चिकित्सालय स्थापित है। गाय माता की सेवा करने का यह दुनिया का सबसे अनूठा स्थान है। यदि आप भी गऊ माता के भक्त हैं तथा गोपाष्टमी पर गऊ माता के दर्शन तथा गाय माता की सेवा करने की योजना बना रहे हैं तो आपको गोपाष्टमी के पर्व पर गायों के विश्व स्तरीय गो-चिकित्सालय में जाकर गाय माता की सेवा करनी चाहिए। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि गाय माता की सेवा के लिए दुनिया में इस अस्पताल से अनूठा कोई भी स्थल आपको नहीं मिलेगा।

हर मामले में अनूठा है विश्व स्तरीय गो-चिकित्सालय

आपको बता दें कि राजस्थान (Rajasthan) के नागौर (Nagaur) में विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय स्थापित है जहां बीमार गायों को निशुल्क उपचार दिया जाता है। दरअसल नागौर (Nagaur)  में 12 साल पहले बना यह गौ चिकित्सालय अब इतना बड़ा हो चुका है और इतना अनूठा है कि इसमें अब एक साथ 15 सौ बीमार गायों को रखा जा सकता है। यहां बीमार गाय जिसमें चाहे वह घायल हो या फिर उसका कोई अंग भंग हो उसका पूरा इलाज किया जाता है। अगर किसी गाय का इलाज होना संभव नहीं होता है तो तब तक इस गो चिकित्सालय में उसकी सेवा और इलाज किया जाता है। जब तक कि उसकी मृत्यु ना हो जाए। वहीं स्वस्थ हो जाने पर उसे वापस उसके मालिक को दे दिया जाता है।

Gopasthami :

अगर कोई व्यक्ति बीमार गाय लाकर इस गो चिकित्सालय में देता है तो उसे उसके बदले में स्वस्थ गाय दे दी जाती है. दुर्गेश गो चिकित्सालय में एक साथ 1800 बीमार गायों को रखने की क्षमता है और इन बीमारियों के उपचार भी पूरे आधुनिक तरीके से किया जाता है। बकायदा गायों के लिए ऑपरेशन थिएटर से लेकर आईसीयू तक बने हुए हैं। यहां पर लगी 18 एंबुलेंस हर समय बीमार गायों और जानवरों को लाती रहती है और 200 किलोमीटर तक भी यदि किसी व्यक्ति का फोन बीमार गाय को लेकर आता है तो वहां से भी यह एंबुलेंस बीमार गाय को लेकर आती है। इतना ही नहीं अगर कोई व्यक्ति बीमार गाय को अपने खर्च से इस गो चिकित्सालय में लेकर आता है तो उसका भुगतान भी उस व्यक्ति को किया जाता है। यहां ना केवल गाय बल्कि अन्य कोई जंगली जानवर भी बीमार होता है और इस गो चिकित्सालय में लाया जाता है तो उसका भी पूरा इलाज किया जाता है। खास बात यह है इन जानवरों में हिरण, बाज, कछुए, बंदर सभी जानवर शामिल है. जिन्हें उनकी आवश्यकता अनुसार उपयुक्त भोजन दिया जाता है। इस गौ चिकित्सालय का पूरा खर्च दानदाताओं के दान के आधार पर चलता है। रोजाना इस गौ चिकित्सालय पर करीब 5 से 6 लाख का खर्च आ रहा है। जो केवल दानदाताओं के हिसाब से ही हो रहा है। गो चिकित्सालय में बीते 12 साल में 800 डॉक्टर और कंपाउंडर प्रशिक्षित होकर अपने क्षेत्र में काम कर रहे हैं। गो चिकित्सालय का लक्ष्य है कि जल्द ही 5000 से प्रशिक्षित तैयार कर दिया जाए। अगर कोई चिकित्सक डॉ यहां रहकर गायों की सेवा करना चाहता है तो उसे इसका भी मौका दिया जाता है।
अब आप समझ गए होंगे कि हम गोपाष्टमी के मौके पर विश्व स्तरीय गो-चिकित्सालय की चर्चा क्यों कर रहे हैं? यह भी समझ गए होंगे कि हम आपको गोपाष्टमी पर नागौर जाकर इस अनोखे अस्पताल को देखने की राय क्यों दे रहे हैं। एक बार फिर बोलें कि- “गाय हमारी माता है, जन्म-जन्म का नाता है।” Gopasthami :

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