Noida : एमिटी लॉ स्कूल द्वारा (Amity Law School )’वैश्विक स्थिरता का समन्वयक- आगे का मार्ग’ विषय पर दो दिवसीय ट्रांसडिसिप्लिनरी अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन (पांचवे एडिशन) का आयोजन किया गया। इस अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ फॉरेन ट्रेड के सेंटर फॉर ट्रेड एंड इनवेस्टमेंट के प्रमुख डा जेम्स जे नेदुम्परा, संयुक्त राष्ट्र के नीति सलाहकार पार्थ रमन, एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला और एमिटी लॉ स्कूल नोएडा के चेयरमैन डा डी के बंद्योपाध्याय द्वारा किया गया।
अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ फॉरेन ट्रेड के सेंटर फॉर ट्रेड एंड इनवेस्टमेंट के प्रमुख डा जेम्स जे नेदुम्परा ने कहा कि वैश्विक स्थिरता केवल 17 सतत विकास लक्ष्य तक सीमित नही है। हमें अपनी आवश्यकताओं को पूर्ण करना है किंतु भावी पीढ़ीयों के लिए उपलब्ध संसाधनों से समझौता नही करना है। संसाधनों का उपयोग पूर्ण जिम्मेदारी के साथ करना है। उन्होनें कहा कि जब आप व्यापार की बात करते है तो कई पहलु दिखते है जिसमें उत्पाद और उत्पादन दोनो शामिल है। कृषि उत्पादन के लिए उपयोग में लाये गये कीटनाशक का पर्यावरण एवं स्वास्थय पर प्रभाव भी देखना होगा। बहुव्यवस्था को मिल कर कार्य करना होगा। डा नेदुम्परा ने कहा कि वैश्विक स्थिरता के लिए पारिस्थितिक स्थिरता, वित्तीय स्थिरता और पर्यावरणीय स्थिरता आवश्यक है।
संयुक्त राष्ट्र के नीति सलाहकार श्री पार्थ रमन ने संबोधित करते हुए कहा कि हमें समाज की आवश्यकताओं को समझना होगा और इसके आधार पर नीति का निर्माण करना होगा। कानून किसी भी समाज को सीधे प्रभावित करता है और इसलिए स्थायित्व या वैश्विक स्थिरता के लिए समाज को समझना आवश्यक है।
एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला ने अतिथियों को संबोधित करते हुए कहा कि समन्वयक, सीखने का एक बेहतरीन माध्यम है जो आपको बेहतरीन अभ्यास और अनवारण प्रदान करता है। वैश्विक स्थायित्व के लिए सभी शोधार्थियों, अकादमिको, निती निर्धारकों आदि का हिस्सा लेना आवश्यक है।