Sunday, 28 April 2024

Study News: ऐसा शहर जहां बच्चों को बड़े-बड़े सपने दिखाकर “मारा” जा रहा है, हो जाएं सावधान !

Deadly Coaching Centers: हमारे देश में एक ऐसा शहर है जहां पर बच्चों को बड़े-बड़े सपने दिखाकर “मारा” जा रहा…

Study News: ऐसा शहर जहां बच्चों को बड़े-बड़े सपने दिखाकर “मारा” जा रहा है, हो जाएं सावधान !

Deadly Coaching Centers: हमारे देश में एक ऐसा शहर है जहां पर बच्चों को बड़े-बड़े सपने दिखाकर “मारा” जा रहा है। यह सब सरेआम चल रहा है। इस काम में “गुरूजी” से लेकर इन बच्चों के पैरेंटस तक सब सहयोग करते हैं। शहर से बार-बार बच्चों की मौत की खबर आती है फिर भी कोई कार्यवाही नहीं होती है।

 

दिल्ली से 500 किमी दूर है Kota शहर
देश की राजधानी दिल्ली से 500 किमी दूर राजस्थान के इस शहर का नाम कोटा है। इस शहर को शिक्षा का शहर या शैक्षिणक शहर भी कहा जाता है। राजस्थान प्रदेश के इस शहर में कोचिंग सेंटरों की पूरी “मंडी” विकसित हुई है। यहां 16-17 साल के बच्चों को कोई डाक्टर बनाने में लगा हुआ है तो कोई इंजीन्यरिंग की तैयारी करा रहा है। डाक्टर व इंजीनियर तैयार करने वाले शिक्षा की मंडी के “दलालों” को पता ही नहीं है कि जिन बच्चों को वें बड़े-बड़े सपने दिखाकर मशीन की भांति तैयार कर रहे हैं। दरअसल उनमें से अधिकतर बच्चे तिल-तिल करके रोज मर रहे हैं।

Kota Study News
Kota Coaching Centers killing students

Study News: कब शुरू हुई थी कोटा में शिक्षा की “मंडी”?
कोटा में कितने बच्चे मर रहे हैं इसके विस्तार में जाने से पूर्व थोड़ी सी नजर इस शहर के इतिहास पर डाल लेते हैं। वर्ष-1980 से पूर्व कोटा भी राजस्थान के आम शहरों की तरह से एक सामान्य सा शहर था। वर्ष-1981-82 की बात तक यहां खुले एक कोचिंग संस्थान में पढऩे वाले बच्चो का सलैक्शन IIT दिल्ली में हो गया था। उस संस्थान की तर्ज पर यहां आए दिन नए-नए कोचिंग सेंटर खुलते चले गए। चर्चा देश भर में फैल गई कि कोटा में कोचिंग करने वाले बच्चे बड़ी आसानी से प्रतिष्ठित विद्यालयों में डाक्टर बनने के लिए MBBS में दाखिला पा जाते हैं। यहां से पढऩे वाले IIT में बड़े आराम से सलैक्ट हो जाते हैं। फिर क्या था भेड़ चाल की तरह यहां छात्रों की संख्या सैकड़ों से हजारों और हजारों से लाखों में पहुंचने लगी।

एक सर्वे के अनुसासर इस वर्ष 2023 में कोटा शहर में 3 लाख बच्चे कोचिंग ले रहे हैं। ये सभी बच्चे देश के अलग-अलग शहरों से आए हुए हैं। ज्यादातर की उम्र 16 से 19 वर्ष के बीच में है। जितने लडक़े हैं लगभग उतनी ही लड़कियां भी शिक्षा की इस “मंडी” में कोचिंग ले रही हैं।

 

Deadly Coaching Centers: दो महीनों में 9 आत्महत्या
कोटा शहर में अकेले पिछले दो महीनों यानि मई व जून-2023 में 9 बच्चों ने आत्महत्या की है। आत्महत्या के ये वे मामले हैं जो पुलिस थाने तक पहुंचे हैं। जानकारों का दावा है कि आत्महत्या के अनेक मामले ऐसे भी हैं जिनका पुलिस रिकार्ड में कहीं जिक्र नहीं है। दरअसल बच्चों की आत्महत्या की सूचना पर बदहवास स्थिति में यहां पहुंचने वाले अनेक पैरेंटस बच्चों का पोस्टमार्टम होने के डर से पुलिस में शिकायत ही दर्ज नहीं कराते हैं। वे अपने बच्चों के शव को लेकर चुपचाप अपने गांव अथवा शहर चले जाते हैं। एक सर्वे में दावा किया गया है कि कोटा में हर साल 120 से 150 बच्चे आत्महत्या कर लेते हैं।

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कोटा कोचिंग सेंटर मे मरते हुये बच्चे

Deadly Coaching Centers: क्यों चुनते हैं बच्चे मौत को?
अगर आप कभी कोटा जाकर देखें तो आपको सहज ही अनुमान लग जाएगा कि शिक्षा की इस मंडी में हो क्या रहा है। यहां बच्चों को पढ़ाया नहीं जा रहा है बल्कि उन्हें मशीन बनाया जा रहा है। सुबह 6.30 बजे से रात के 2.00 बजे तक कोचिंग की क्लास चलती है। अगले दिन सुबह फिर वही स्थिति, बड़ी मुश्किल से बीच-बीच में खाने-पीने का थोड़ा-थोड़ा समय दिया जाता है। कोचिंग सेंटर वालों का बस एक ही प्रयास है कि उनके यहां पढऩे वाला बच्चा मशीन की तरह सब कुछ रट ले। उस रटे हुए को एंट्रेंस एग्जाम में लिखकर पास हो जाए। इस पूरी प्रक्रिया में बच्चा अंदर ही अंदर तिल-तिल मरता है। इसी बीच कोचिंग में होने वाले साप्ताहिक, पाक्षिक या मासिक टेस्ट में यदि वह फेल हो गया तो उसकी सूचना सीधी पैरेंटस को दी जाती है। पैरेंटस बवाल मचा देेते हैं।

जो बच्चे इस पूरी प्रक्रिया के दबाव को सहन कर जाते हैं वे तो किसी तरह से इस शहर से फेल अथवा पास होकर वापस चले जाते हैं। जो बच्चे मशीन बनने की इस प्रक्रिया को सहन नहीं कर पाते वे किसी न किसी तरीके से अपनी जान दे देते हैं। आये दिन बच्चे मरते रहते हैं और यहां कुकरमुत्ते की तरह फैले हुए कोचिंग सेंटर, सभी सुविधाएं देने के नाम पर बच्चों की जेल बन चुके हॉस्टल, पीजी, होटल, रेस्टोरेंट में सब कुछ वैसा का वैसा ही चलता रहता है।

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि पूरा कोटा शहर “बारूद के ढेर” पर बैठा है। किसी भी दिन यहां से खराब से खराब खबर आ सकती है। ज्यादातर मनोवैज्ञानिक पैरेंटस को राय देते हैं कि अपने बच्चों को कोटा जैसे शहर में भेजने से पहले हर पहलू पर गौर अवश्य कर लें। यदि बच्चे में डाक्टर या इंजीनियर बनने की इच्छा नहीं है तो उसे जबरन कोटा की तरफ बिल्कुल न धकेलें।

 

Kota Study News: आपकी राय

अपनी राय हुमे नीचे कमेंट सेक्शन मे लिखे। हम जानना चाहते है की आप किस शहर से है ओर क्या आपके यहा भी एसे कुकरमुत्तों की तरहा फैले coaching centers की भरमार है? क्या आप या आपका बच्चा भी एसे ही किसी कोचिंग सेंटर मे पड़ता है? हमे आपके कमेंट का इंतज़ार रहेगा।

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