चेन्नई। देश के दूसरे राज्यों की तरह ही अब तमिलनाडु में सरकार और राज्यपाल के बीच तलवारें खिंच गई हैं। यहां सत्तारूढ़ द्रमुक और तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि के बीच राज्य विधानसभा में हुए विवाद के एक दिन बाद शहर के कुछ हिस्सों में हैशटैग ‘गेटआउट रवि’ (रवि बाहर जाओ) लिखे पोस्टर दिखाई दिए। इन पोस्टरों में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की तस्वीर को प्रमुखता दी गई है।
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विधानसभा में रवि के राज्य सरकार के साथ ‘गतिरोध’ के बाद ट्विटर पर यह हैशटैग (गेटआउट रवि) ट्रेंड कर रहा था। विधानसभा में सत्तारूढ़ द्रमुक के अध्यक्ष स्टालिन ने राज्यपाल के विधानमंडल में अपने पारंपरिक अभिभाषण से विचलन के खिलाफ और उनकी सरकार द्वारा तैयार किए गए मूल अभिभाषण को बरकरार रखने के पक्ष में एक प्रस्ताव पेश किया था।
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पुडुकोट्टई में हालांकि स्थानीय भाजपा पदाधिकारियों द्वारा रवि की प्रशंसा में पोस्टर लगाए गए थे। भारतीय जनता पार्टी के कई ट्विटर खातों ने उनका समर्थन किया और इस मामले को लेकर सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) की आलोचना की।
स्टालिन के बेटे और राज्य मंत्री उदयनिधि ने विधानसभा में जो हुआ, उसकी सराहना की और कहा कि यह सदन के इतिहास में एक ‘अभूतपूर्व घटना’ थी। उन्होंने एक कार्यक्रम में चुटकी लेते हुए कहा, ‘आम तौर पर हमारे नेता (स्टालिन) विपक्ष को अपने जवाब से (विधानसभा में) मैदान छोड़ने पर मजबूर कर देते हैं, लेकिन इस बार राज्यपाल को मैदान छोड़ना पड़ा।’ उन्होंने कहा कि जब भी ‘हमारे अधिकार’ प्रभावित होते हैं तो मुख्यमंत्री सबसे पहले चिंता व्यक्त करते हैं।
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तमिलनाडु में भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने सत्ताधारी द्रमुक के कुछ विधायकों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। प्रदेश सचिव ए. अश्वतथामन ने एक ट्वीट में कहा कि उन्होंने भादंवि की धारा 124 के तहत शिकायत दर्ज कराई है, जो ‘किसी भी वैध शक्ति के प्रयोग को रोकने के लिये मजबूर करने के इरादे से राष्ट्रपति, राज्यपाल आदि पर हमला करने” से संबंधित है।
इस बीच, राजभवन के पोंगल समारोह के निमंत्रण पर कथित रूप से राज्य सरकार का प्रतीक चिन्ह नहीं होने पर एक और विवाद छिड़ गया। कई लोगों ने आरोप लगाया कि आमंत्रण में केवल राष्ट्रीय प्रतीक था।