Tuesday, 5 November 2024

Special Story : उन एड्स पीडित बच्चों की मां, जिनको अपनों ने ठुकराया

Special Story :   सैय्यद अबू साद Special Story : दुनिया में हमेशा उन मांओं का जिक्र होता है, जिन्होंने…

Special  Story : उन एड्स पीडित बच्चों की मां, जिनको अपनों ने ठुकराया

Special Story :

 

सैय्यद अबू साद

Special Story : दुनिया में हमेशा उन मांओं का जिक्र होता है, जिन्होंने अपने बच्चों के लिए बलिदान दिया और उनको जन्म देकर, पढ़ा-लिखा कर कुछ बनाया है, लेकिन आज हम आपको मिला रहे हैं एक ऐसी मां से जिसने दूसरों के बच्चों के जीवन को संवारने की जिम्मेदारी उठा रखी है। ये हैं महाराष्ट्र की 71 वर्षीया मंगल शाह, जो आज 100 से ज्यादा एचआईवी/एड्स प्रभावित बच्चों का जीवन संवार रही है।

Special Story :

 

एचआईवी/एड्स भारत में आज भी शर्म का विषय है और लोग इसके बारे में बात नहीं करते हैं, पर मंगल शाह 90 के दशक से इस दिशा में काम कर रही हैं और यह उनकी अटूट दृढ़ता और मानसिकता ही थी जो उन्हें आज इस मुकाम तक ले आई है। मंगल शाह हमेशा से ही जरूरतमंदों की मदद करने के लिए आगे रहती थीं। विकलांग व्यक्तियों, गर्भवती महिलाओं और एचआईवी पॉजिटिव महिलाओं की मदद के लिए सरकारी अस्पताल में जाने पर उन्हें अहसास हुआ कि महिलाओं को समाज में या परिवार से कोई सपोर्ट नहीं मिलता है। इसलिए, उन्होंने ऐसी महिलाओं की देखभाल और मदद करने का निश्चय किया। उन्होंने अस्पताल के बेसहारा मरीजों के लिए घर का बना खाना लाना शुरू किया। यहां पर उन्हें एचआईवी/एड्स से प्रभावित महिला सेक्सवर्कर्स के बारे में जानने का मौका मिला और उन्होंने समझा की इस क्षेत्र में काम करना बहुत ज्यादा जरूरी है।

बनीं बेसहारा बच्चों की मां
मंगल शाह और उनकी बेटी डिंपल, महाराष्ट्र के पंढरपुर में सेक्स वर्कर्स के बीच एचआईवी/एड्स जागरूकता बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे, जब उन्हें तीन और दो साल की दो छोटी लड़कियों के बारे में पता चला। इन बच्चियों को कोई खलिहान में छोड़कर चला गया था क्योंकि उनके माता-पिता की मौत एड्स के कारण हो गई थी। उनके रिश्तेदारों का मानना था कि लड़कियां परिवार के लिए बदनामी ला सकती हैं और संक्रमण का खतरा पैदा कर सकती हैं। मंगल शाह रिश्तेदारों को लड़कियों की देखभाल के लिए राजी करने में विफल रहीं, तो उन्होंने बच्चों को घर ले जाने का फैसला किया।

Special Story: Mother of those AIDS affected children who were rejected by their loved ones
Special Story: Mother of those AIDS affected children who were rejected by their loved ones

कुछ यूं शुरू हुआ सफर
मंगल शाह ने तब इन बच्चियों के साथ इन जैसे तमाम बच्चों की देखभाल करने का फैसला किया, जो एचआईवी पॉजीटिव हैं और उनको समाज द्वारा ठुकरा दिया जाता है। उन्होंने ऐसे एचआईवी पॉजीटिव बच्चों के बेहतर जीवन के लिए एक घर, ‘पलावी’ का निर्माण किया। उस दिन से मंगल शाह बच्चों और लोगों के लिए मंगल ताई बन गईं। मंगल शाह का मानना है कि हर एक बच्चा खुश, सुरक्षित, स्वस्थ और शिक्षित होने का हकदार है और ऐसे ही पालवी के ये असहाय बच्चों को भी ये सब अधिकार मिलना चाहिए। इसलिए ‘पलावी’ की टीम यह सुनिश्चित करती है कि यहां हर बच्चे को बुनियादी शिक्षा मिले ताकि वे अपने दम पर खड़े हो सकें। इतना ही नहीं, बल्कि बच्चों को सिलाई, प्लंबिंग और दूसरी स्किल्स भी सिखाई जाती हैं।

Special Story: Mother of those AIDS affected children who were rejected by their loved ones
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अब आगे बढ़ रहे बच्चे
‘पलावी’ पिछले कई सालों से समाज के विभिन्न वर्गों के बीच जागरूकता बढ़ा रहा है और अनाथ बच्चों और अन्य एचआईवी/एड्स रोगियों की देखभाल कर रहा है। वर्तमान में 100 से ज्यादा एचआईवी पॉजिटिव बच्चों की देखभाल यहां हो रही है। मंगल शाह ने अपने कई मीडिया इंटरव्यूज में बताया है कि वे अपने केयर होम में बच्चे को प्रोत्साहित करके उन्हें सशक्त बनाने में विश्वास करती हैं। स्थानीय स्तर पर एचआईवी पॉजिटिव बच्चों को औपचारिक शिक्षा हासिल करते देखना एक बहुत बड़ा बदलाव है। पिछले कई सालों में मंगल शाह के यहां से पले-बढे युवा लड़के और लड़कियों ने आजीविका कमाना शुरू किया है और समाज में अपने दम पर एक पहचान बनाई है। एचआईवी/एड्स बच्चों के लिए बेहतर जीवन बनाने के लिए मंगल शाह का समर्पण मानव जाति के लिए आशा की किरण देता है।

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