Bihar : बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री मोदी को एक खत लिखा है। उन्होंने अपने पत्र में जातिगत जनगणना कराने को लेकर बड़ा बयान दिया है। तेजस्वी यादव की मानें तो जातिगत जनगणना कराना सामाजिक न्याय की तरफ पहला कदम साबित हो सकता है।
तेजस्वी ने पत्र में क्या लिखा ?
RJD नेता तेजस्वी यादव ने कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार द्वारा जातिगत जनगणना कराए जाने के फैसले पर पीएम मोदी को एक ख़ास पत्र लिखा है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा – माननीय प्रधानमंत्री जी, देशव्यापी जातिगत जनगणना कराने की आपकी सरकार की हालिया घोषणा स्वागतयोग्य कदम है, और मैं इस पत्र के माध्यम से एक आशावादी दृष्टिकोण के साथ आपसे संवाद कर रहा हूँ।
वर्षों तक एनडीए सरकार ने इस मांग को खारिज करते हुए इसे विभाजनकारी करार दिया था। जब बिहार सरकार ने अपने स्तर पर जाति-आधारित सर्वेक्षण की पहल की, तो केंद्र सरकार और उसके विधिक प्रतिनिधियों ने निरंतर रुकावटें उत्पन्न कीं। यहां तक कि आपके गठबंधन के कई नेता इस प्रक्रिया की उपयोगिता पर प्रश्नचिह्न लगाते रहे। अब जबकि केंद्र सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है, उम्मीद है कि यह निर्णय सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में एक ठोस शुरुआत साबित होगा।
बिहार का दिया उदारहण
तेजस्वी यादव ने अपने पत्र में बिहार में कराए गयजातिगत जनगणना का भी उदारहण दिया। उन्होंने कहा – समाज के उपेक्षित वर्गों की आवाज़ अब दबाई नहीं जा सकती। बिहार में हुए जातिगत सर्वेक्षण ने यह साफ कर दिया है कि ओबीसी और ईबीसी वर्ग राज्य की जनसंख्या का लगभग 63% हिस्सा हैं, लेकिन इसके बावजूद इन वर्गों का हर क्षेत्र में प्रतिनिधित्व नहीं है।
यह सर्वेक्षण लंबे समय से प्रचलित असमानता और भ्रम को उजागर करता है। पूरे देश में भी यही तस्वीर उभरने की संभावना है। यह एक नई लोकतांत्रिक चेतना का संकेत है, जहाँ बहुसंख्यक वंचित वर्ग अब अपने अधिकारों के लिए एकजुट होकर आवाज़ उठा रहे हैं। देर से ही सही, यह निर्णय समाज में समावेशिता और न्याय की दिशा में एक अहम कदम है।
जातिगत जनगणना को बताया ऐतिहासिक कदम
तेजस्वी यादव की मानें तो जातीय जनगणना सामाजिक न्याय की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है, जो समानता की आधारशिला रख सकती है। इस जनगणना के आंकड़े केवल आंकड़े नहीं, बल्कि नीति निर्धारण का भी आधार बन सकते हैं। इसके अतरिक्त तेजस्वी यादव ने आरक्षण पर भी जोड़ देते हुए इसे आबादी के अनुरूप बढ़ाने की बात कही। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान राज्य को आर्थिक असमानताओं को कम करने और सभी संसाधनों का न्यायसंगत तरिके से वितरण करने का आदेश देता है। Bihar :
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