Baba Ramdev: बाबा रामदेव की 5 दवाओं के उत्पादन पर प्रतिबंध, जानें पूरा मामला

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 11:30 AM
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Baba Ramdev: योग गुरु बाबा रामदेव की दवा उत्पादन कंपनी पतंजलि ग्रुप की पांच दवाओं के उत्पादन पर उत्तराखंड सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है। इस प्रतिबंध के बाद बाबा रामदेव की कंपनी इन दवाओं का उत्पादन नहीं कर सकेगी। उत्तराखंड सरकार ने भ्रामक प्रचार का हवाला देते हुए इन दवाओं के उत्पादन रोक लगाई है। वहीं पतंजलि ग्रुप ने एक आयुर्वेद विरोधी ड्रग माफिया पर साजिश का आरोप लगाया है।

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आपको बता दें कि योग गुरु बाबा रामदेव की दवा कंपनी पंतजलि समूह द्वारा सैकड़ों प्रकार की आयुर्वेदिक दवाओं का उत्पादन किया जाता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, देहरादून, उत्तराखंड में आयुर्वेद और यूनानी लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने निर्माता पतंजलि समूह की दिव्य फार्मेसी को मधुग्रित, आईग्रिट, थायरोग्रिट, बीपीग्रिट और लिपिडोम का उत्पादन बंद करने का निर्देश दिया है। केरल के नेत्र रोग विशेषज्ञ केवी बाबू द्वारा इस साल की शुरुआत में जुलाई में दायर एक शिकायत के जवाब में कार्रवाई की गई थी। केवी बाबू ने 11 अक्टूबर को ईमेल के जरिए राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण (एसएलए) को एक और शिकायत भेजी।

उधर, पतलंलि समूह की दिव्या फार्मेसी के समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी करके एक बयान में कहा गया है कि पतंजलि द्वारा बनाए गए सभी उत्पादों और दवाओं को 500 से अधिक वैज्ञानिकों की मदद से आयुर्वेद परंपरा में उच्चतम अनुसंधान और गुणवत्ता के साथ सभी वैधानिक प्रक्रियाओं और अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करते हुए निर्धारित मानकों का पालन किया जाता है। यह भी कहा गया है कि आयुर्वेद और यूनानी सेवा उत्तराखंड द्वारा प्रायोजित तरीके से 09 अक्टूबर 2022 को जो पत्र षडयंत्रपूर्वक लिखा और प्रसारित किया गया था वह अब तक किसी भी रूप में पतंजलि संस्थान को उपलब्ध नहीं कराया गया है।

आगे कहा गया कि या तो विभाग अपनी गलती सुधार कर इस साजिश में शामिल व्यक्ति के खिलाफ उचित कार्रवाई करे, अन्यथा इस साजिश के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को दंडित करने के साथ-साथ पतंजलि को हुए संस्थागत नुकसान की भरपाई के लिए संगठन कानूनी कार्रवाई करेगा। 10 नवंबर को कई अखबारों की रिपोर्ट में कहा गया था कि उत्तराखंड प्राधिकरण ने रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद को उन पांच उत्पादों का निर्माण बंद करने के लिए कहा था। इन पांच उत्पादों को कंपनी ने ब्लड प्रेशर, शुगर,घेंघा, ग्लूकोमा और उच्च कोलेस्ट्रॉल के इलाज के रूप में प्रचारित किया है।

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मुंबई में रुबेला और खसरा संक्रमण का कहर, बढ़ते मामले को देख सजग हुआ स्वास्थ्य मंत्रालय, शुरू हुआ वैक्सीनेशन

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 04:53 AM
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Mumbai- देश की आर्थिक राजधानी मुंबई कि स्लम इलाकों में खसरा और रूबेला संक्रमण का मामला बढ़ने की वजह से राज्य में दहशत का माहौल है। कोरोना और स्वाइन फ्लू के बाद अब स्लम इलाकों में फैल रहे खसरा और रूबेला संक्रमण कि पढ़ते हुए मामले को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय एक्टिव मोड पर आ गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से एक खास टीम तैयार की गई है जो राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ मिलकर संक्रमण को फैलने से रोकने व आवश्यक रोकथाम के उपायों पर काम करेगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा मुंबई (Mumbai) में खसरा और रूबेला के मामलों में रोकथाम के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित की गई है। इस टीम में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र नई दिल्ली, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज नई दिल्ली, व स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के क्षेत्रीय कार्यालय पुणे महाराष्ट्र के विशेषज्ञ शामिल है।bइस टीम का नेतृत्व कर रहे हैं डॉक्टर अनुभव श्रीवास्तव, उपनिदेशक एकीकृत रूप निगरानी कार्यक्रम एनसीडीसी मंत्रालय की तरफ से।

बढ़ते मामलों को देखते हुए शुरू किया गया वैक्सीनेशन -

बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) की तरफ से शहर के कई वार्डों में संक्रमण के बढ़ते हुए मामले को देखते हुए वैक्सीनेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक परेल, बांद्रा पूर्व, सांताक्रुज पूर्व, कुर्ला, गोवंडी चेंबूर और मलाड पश्चिम इलाकों में वैक्सीनेशन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। गौरतलब है रूबेला और खसरा संक्रमण का मामला अधिकतर 0 से 5 वर्ष की आयु के बच्चों में देखने को मिल रहा है। इसे मद्देनजर रखते हुए छोटे बच्चों के माता-पिता से या अपील की जा रही है कि 9 महीने से लेकर 16 महीने तक के बच्चों टीकाकरण करवाएं। कोशिश की जा रही है कि अधिक से अधिक बच्चों का टीकाकरण किया जा सके।

संक्रमण से अब तक तीन बच्चों की हुई मौत-

अधिकारियों के मुताबिक मुंबई में इस खसरा संक्रमण के लगभग 90 मामले सामने आए हैं, जिनमें से तीन बच्चों की खसरा की वजह से मृत्यु की आशंका जताई जा रही है। बीएमसी के कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी मंगला गोमारे ने बताया कि जनवरी से अब तक विभिन्न इलाकों में खसरे के कई मामले सामने आ चुके हैं। अधिकारियों के अनुसार खसरे का सर्वाधिक संक्रमण गोवंडी क्षेत्र में पाया गया, जहां अब तक खसरे के 23 मरीज मिल चुके हैं। जबकि तीन बच्चों की मौत हो चुकी है, जिनकी आयु क्रमशः 3 व 5 वर्ष बताई जा रही है। कस्तूरबा अस्पताल में खतरे के लिए बनाए गए 1 वार्ड में 35 लोगों का इलाज चल रहा है। बताया जा रहा है जो भी संक्रमण के मामले सामने आए हैं, उनमें से 10% मामले ऐसे हैं जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है।
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गुड हैल्थ टिप्स

भूख लगे तो संतरा खाओ ।
locationभारत
userचेतना मंच
calendar08 Nov 2022 06:43 PM
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गुड हैल्थ टिप्स

कुछ सुझाव ऐसे होते हैं । जिन्हें दिनचर्या में अपना लेने से फायदा ही फायदा होता है । ऐसी जानकारियों को साझा करने से हम बहुत से और लोगों का भी फायदा कर सकते हैं । इनका हम सबकी दिनचर्या पर बहुत ही प्रभाव पड़ता है । अब हर समय दवा की गोली निगल लेना ही तो उपाय नहीं होता न ? इसीलिए कभी कुछ घरेलू नुस्खे आप भी अपनाएं और फिर खुद जान जाएँ –

भूख लगे तो संतरा खाओ

मेरी भाभी की पहली गर्भावस्था थी। हर कोई उनसे कहता बहु सेहत का ध्यान रखना खुराक अच्छी लेना वो भी सबका कहना मानती। अच्छी महंगी खुराक खाती। अभी उनका 6 वाँ महिना चल रहा था भाभी 60 से 72 किलो पर पहुंच गई थी। उनहीं  दिनों मेरी एक सहेली अमेरिका से आई। उसकी गर्भावस्था का आठवाँ महीना था। अकेले परदेस में कोई परेशानी न हो जाये इसलिए मा के घर डिलीवरी के लिए आई थी। उसका वजन भी कुछ बढ़ा था! लेकिन देखने में पहले सी ही लगती थी। पेट पर नज़र जाये तो ही पता चलता था। मैंने उससे जब उसकी चुस्ती का कारण पूछा तो उसने डाइट और डाइट - मैनेजमेंट ही इसका कारण बताया। भूख लगे तो संतरा खाओ उसका उपाय भी। गुड हैल्थ टिप्स

गर्मी या भूख सताये तो संतरा दोनों ही बुझाये। बिना वजन बढ़ाए भूख प्यास मिटाने वाला स्वादिष्ट फल है संतरा। 16 वीं व 17 वीं शताब्दी में तो जो नाविक लंबी समुंदरी यात्राओं पर जाते थे। उन्होने भी आजमाया था कि बहुत लंबे  समय तक ताजे फल न मिलने से वे एक बीमारी के शिकार हो जाते थे और वो भी खट्टे फलों के अभाव में यानि स्कर्वी बीमारी से। शायद इसी कारण लोकप्रियता में नंबर एक है संतरा तथा खपत में भी केले के बाद इसी का स्थान आता है। क्योंकि जैसे केला पूर्ण भोजन प्रदान करता है वैसे ही संतरा भी केवल विटामिन सी ही नहीं प्रदान करता। बल्कि ये कई विटामिनों, खनिजों और फाइबर का भी अच्छा स्रोत है।

गुड हैल्थ टिप्स

यूएसडीए के अनुसार, 100 ग्राम (नेवल, संतरे का प्रकार) कच्चे संतरे में -

पानी: 97 ग्राम, ऊर्जा: 49 से 60 कैलोरी, प्रोटीन: 91 ग्राम, कुल लिपिड (वसा): 15 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट: 54 ग्राम, फाइबर: 2 ग्राम, कुल शुगर: 5 ग्राम, पोटेशियम: 166 मिग्रा, कैल्शियम: 43 मिग्रा, आयरन: 13 मिग्रा, मैग्नीशियम: 11 मिग्रा, फास्फोरस: 23 मिग्रा, सोडियम: 1 मिग्रा विटामिन सी: 1 मिग्रा, नियासिन: 425 मिग्रा, फोलेट डीएफई: 34 माइक्रोग्राम, विटामिन ए: 247 आईयु पाया जाता है।

संतरे के लाभ

पोटैशियम के सेवन से उच्च रक्तचाप, हार्ट-अटैक और स्ट्रोक का जोखिम तो कम होता ही है। विटामिन-सी भी कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित कर ह्रदय को स्वस्थ रखने में मदद करता है। संतरे में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो कैंसर से लड़ते हैं। संतरे में घुलनशील, अघुलनशील फाइबर तथा सैलूलोज होता है जब खाओ तो पेट भर जाता है। फ़ाइबर को पचाने में शरीर को समय लगता है इससे बहुत देर तक भूख भी नहीं लगती। हम कम खाते हैं और फालतू वजन भी नहीं बढ़ता। फ़ाईबरस मल त्‍याग की क्रिया को नियंत्रित करते हैं। जिससे कब्ज दूर होती है। आंतड़ियाँ साफ तो कोलन कैंसर भी नहीं होता है। पेट साफ तो मुह से गंध भी नहीं आती। पाचन तंत्र सही रहने से हमारी त्वचा में भी निखार आता है ।  संतरे में आयरन तो अधिक नहीं पर विटामिन सी अच्छी मात्रा में होता है। विटामिन सी शरीर में आयरन के अवशोषण को बढ़ाता है। जिससे एनीमिया की समस्या से बचाव होता हैहमारा इम्यून सिस्टम मजबूत होता है ।एंटी-एजिंग व यूवी प्रोटेक्शन के साथ त्वचा में निखार आता है। डार्क स्पॉट भी नहीं बनते। संतरे में लगभग 70% विटामिन सी पाया जाता है. दिनभर में सिर्फ एक ताजा संतरा खा लेने से शरीर में विटामिन सी की पूर्ति हो जाती है। अब जैसे डेंगू बुखार चल रहा है। स्वस्थ लोग खाएंगे तो वैसे ही ठीक रहेंगे। डेंगू पीड़ित खाएँगे तो वे भी स्वस्थ होंगे।

गुड हैल्थ टिप्स 

गर्भावस्था में संतरे का अपना ही महत्व है

गर्भावस्था में तनाव तथा कब्ज सबसे ज्यादा परेशान करते हैं। संतरे में पोटेशियम होता है। जिससे ब्लड प्रेशर  नियंत्रित रहता है और गर्भवती महिलाओं को तनाव नहीं होता। फ़ाईबरस की वजह से कब्ज नहीं होती । प्रेगनेंट महिला को प्रतिदिन 85 मि.ग्रा विटामिन सी की खुराक लेने की सलाह दी जाती है। अत: गर्भावस्था में महिला 2 या 3 संतरे खा सकती हैं। प्राकृतिक विटामिन सी लेने से उन्हें खांसी, जुकाम इत्यादि भी नहीं होता। माँ स्वस्थ तो बच्चे का विकास भी सही होता है ।

नुकसान

अति तो हर चीज की बुरी होती है। ऐसे ही संतरे भी अधिक नहीं नहीं खाने चाहियेँ। ज्यादा संतरा खाने से कभी कभी पेट खराब हो जाता है। मितली सी होने लगती है। इसलिए बस 2 या तीन संतरे वो भी अलग अलग समय खाएं।

यकीन मानिए आज भी दूर-दराज गाँव देहात में इलाज की कोई सुविधा नहीं है। परेशानियाँ तो किसी को भी कहीं भी हो सकती हैं । कहीं भी हो सकता है। ऐसे में प्राकृतिक चीजों का सेवन तथा स्वास्थ्यवर्धक भोजन ही हमारा इलाज होता है। आज के लिए इतना ही आपचेतना मंचद्वारा प्रकाशित इन टिप्स के साथ स्वस्थ रहें, सआनंद रहें। मिलते है गुड हेल्थ टिप्स के साथ अगले लेख में।