सबसे बड़ा सवाल : एक साथ कैसे बोल सकते हैं गांधी-गोडसे दोनों की जय

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Gandhi-Godse
locationभारत
userचेतना मंच
calendar15 Sep 2023 03:11 PM
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रवि अरोड़ा Gandhi-Godse : वे तस्वीरें और वीडियो आपने भी देखे होंगे जिनमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दुनिया के बड़े बड़े राष्ट्राध्यक्षों को लेकर बड़ी शान से राज घाट जा रहे हैं और वहां जाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। जी 20 की बैठक के आखरी दिन हुए इस इवेंट को पूरी दुनिया ने देखा होगा और अपने उसके अर्थ भी लगाए होंगे। जाहिर है कि अर्थ तो हम भारतीयों ने भी लगाए मगर पता नहीं क्यों मैं अर्थ लगाने की बजाय सवालों में मुब्तला रहा। सबसे बड़ा सवाल तो यह ही था कि गांधी जी की समाधि पर न केवल खुद जाने अपितु दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोगों को भी अपने साथ वहां ले जाने पर मोदी जी के मनोभाव क्या रहे होंगे ? चेहरे मोहरे से तो बिलकुल उनके मन की बात पता नहीं चल रही थी, मगर उस समय उनके मन में आखिर चल क्या रहा होगा ?

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महात्मा गांधी दुनिया के एकलौते हिंदुस्तानी हैं जिन्हें भारतीय ही नहीं पूरी दुनिया मानती है। उनकी हत्या पर पूरी दुनिया में शोक छा गया था और अनगिनत देशों ने अपने झंडे झुका दिए थे। उनकी याद में 70 से अधिक देशों में आज भी खड़ी उनकी विशाल प्रतिमाएं गवाही देती हैं कि गांधी जी के प्रति दुनिया का सम्मान एक सदी के बाद भी रत्तीभर कम नहीं हुआ है। जब भी, जहां भी शांति और प्रेम की बात होती है, गांधी जी का जिक्र लाजमी हो ही जाता है।

हालांकि अपने मुल्क ने भी गांधी जी को राष्ट्रपिता का दर्जा दे रखा है और इमारतों, संस्थानों, इदारों और सड़कों तक का नाम उनकी स्मृति में रखने के अतिरिक्त अपनी करेंसी पर भी उनकी तस्वीर सजा रखी है। मगर फिर भी सबको पता है कि गांधी जी का कद छोटा करने की साजिशें सर्वाधिक उनके अपने ही देश भारत में हुई हैं और कमोवेश आज भी हो रही हैं। सच्चाई तो यही है कि गांधी के सावरकर और नाथूराम गोडसे जैसों को खड़ा करने की कोशिशें आज पहले से अधिक हो रही हैं।

कमाल की बात है कि अटल बिहारी वाजपेई और स्वयं नरेन्द्र मोदी जैसे प्रधानमन्त्री गांधी जी के साथ साथ उस सावरकर की प्रतिमाओं पर भी फूल माला चढ़ाते रहे हैं, जिस पर गांधी जी की हत्या का षड़यंत्र रचने का आरोप लगा और तकनीकी कारण से वह बरी हो गया था। अनेक रिपोर्ट ही नहीं तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल भी मानते थे कि आरएसएस और हिन्दू महासभा ने ही गांधी जी की हत्या का षड्यंत्र रचा था। मोदी जी जिस भाजपा के सर्वोच्च नेता हैं, वह उसी विचारधारा की उपज है।

आज भी भाजपा में ऐसे नेताओं की कमी नहीं है जो गोडसे को महिमा मंडित करने का कोई अवसर नहीं छोड़ते। भाजपा शासन में ही देश के कई शहरों में गोडसे के मंदिर बनवाने के प्रयास हुए और उसे शहीद का दर्जा देने का अनवरत कुचक्र अब तक रचा जा रहा है। सावरकर को तो खैर स्थापित कर ही दिया गया है और शहर, शहर ही नहीं संसद तक में उनकी तस्वीर लगवा दी गई है।

भाजपा और हिन्दू राष्ट्रवाद की अवधारणा

कितना अजीब है कि भाजपा हिन्दू राष्ट्र की अवधारणा को मानती है और इसके लिए सावरकर को अपना आदर्श पुरुष भी बताती है। मगर अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उसे खुद को गांधी का अनुयायी बताना पड़ता है। पार्टी वीर सावरकर की जयंती के दिन नए संसद भवन का उद्घाटन कराती है और मोदी जी उस कोठरी को भी जाकर प्रमाण करते हैं जहां सावरकर काला पानी की सजा भोग रहे थे, मगर विदेश यात्राओं में गांधी जी की प्रतिमाओं के समक्ष सिर भी जाकर झुकाते हैं। पार्टी की नेता प्रज्ञा ठाकुर गांधी के हत्यारे गोडसे को राष्ट्र भक्त बताती हैं और बदले में पार्टी उन्हें भोपाल सीट से सांसद चुनवा देती है। दुनिया जानती है कि गांधी समावेशी विचारधारा के थे और सभी धर्मों और जातियों के बीच समानता की बात करते थे।

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उधर, भाजपा सावरकर के एजेंडे हिंदुत्व को लेकर चलती है और मुस्लिमों के प्रति उसके दुराग्रह जग जाहिर हैं। मगर राजनीतिक मजबूरी देखिए कि बीच बीच में इन लोगों को गांधी जी की जय भी बोलनी पड़ती है। चलिए अपना सवाल आपसे पूछता हूं- गांधी जी की हत्या के बाद पहली बार ऐसा हुआ कि एक साथ दुनिया के इतने बड़े नेता राजघाट गए। यह कार्यक्रम तय करने और उसे संपन्न कराते समय हमारे मोदी जी के मन में क्या चल रहा होगा ??? Gandhi-Godse

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बड़ी खबर : एक अक्टूबर से देश में होने जा रहा बड़ा बदलाव, जानें पूरा मामला

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Single Document
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Nov 2025 06:15 AM
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Single Document / नई दिल्ली। सितंबर का महीना समाप्त होते ही देश में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। यह बदलाव उन लोगों के लिए परेशानी पैदा करेगा, जिनका जन्म प्रमाण पत्र नहीं होगा। क्योंकि 1 अक्टूबर से जन्म प्रमाण पत्र को एक ऐसे दस्तावेज के रुप में मान्यता मिल जाएगी, जो आपके तमाम प्रमाण पत्रों को बनवाने में मदद करेगा।

Single Document in india

एक अक्टूबर से लागू होने वाले एक नए संशोधित कानून से शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार कार्ड या पासपोर्ट के लिए आवेदन और विवाह के पंजीकरण जैसे कई कार्यों व सेवाओं के लिए एकल दस्तावेज (single document) के रूप में जन्म प्रमाण पत्र के उपयोग की सुविधा मिलेगी।

संसद ने गत मानसून सत्र में जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) अधिनियम 2023 पारित किया था और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 11 अगस्त को इस पर मुहर लगा दी थी।

रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, “जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) अधिनियम, 2023 की धारा 1 की उप-धारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केंद्र सरकार यह सूचित करती है कि एक अक्टूबर, 2023 को अधिनियम के प्रावधान लागू हो जाएंगे।”

अधिनियम लागू होने से शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार कार्ड या पासपोर्ट के लिए आवेदन और विवाह के पंजीकरण जैसे कई कार्यों व सेवाओं के लिए एकल दस्तावेज (single document) के रूप में जन्म प्रमाण पत्र के उपयोग की सुविधा मिलेगी। Single Document

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गुजरात पर 800 वर्षों तक रहा गुर्जर समाज के शासकों का राज इसलिए बना गुजरात

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Gujrat History
locationभारत
userचेतना मंच
calendar14 Sep 2023 03:52 PM
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Gujrat History : भारत देश एक ऐसा देश है, जहां पर हर भाषा को बोलने वाला है और हर जाति व धर्म के लोग रहते हैं। देश के कुछ राज्यों में पृथक भाषाएं भी बोली जाती है। इन राज्यों में नाम भी वहां की पुरात्तन सभ्यता, संस्कृति और इतिहास को लेकर रखे हैं। जिस राज्य पर जिस समाज के राजा महाराजाओं ने राज किया, उन्हीं के नाम से राज्य का का नाम भी पड़ गया। भारत का ऐसा ही एक राज्य है गुजरात। कहा जाता है कि गुजरात पर गुर्जर समाज के राजा महाराजाओं ने 800 साल तक राज किया, इसलिए इस प्रदेश का नाम गुजरात पड़ा था।

Gujrat History in hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको कुछ ऐसी ही जानकारी देंगे। जिसमें आपको पता चलेगा कि भारत के 28 प्रदेशों के नाम कैसे पड़े हैं। सबसे पहले बात करते हैं प्रधानमंत्री के पैतृक राज्य गुजरात की। गुजरात में गुजराती भाषा बोली जाती है। यह राज्य आर्थिक रुप से बेहद ही समृद्ध है।

इतिहासकार दावा करते हैं कि गुजरात राज्य की उत्पत्ति गुजरा शब्द से हुई है। गुजरा शब्द असरल में गुर्जर जाति को संबोधित करने के लिए प्रयोग में लाया जाता था। आज जहां तक गुजरात राज्य फैला हुआ है, उस क्षेत्र पर 800 वर्ष तक गुर्जर जाति का शासन था। गुर्जर समाज के शासकों के नाम से ही उस क्षेत्र को गुर्जरों की भूमि कहा जाता था। गुर्जर समाज के नाम से ही गुजरात राज्य का नाम गुजरात पड़ा। आपको यह भी बता दें कि गुर्जर जाति पूरी दुनिया में पायी जाती है। इस जाति का बड़ा समृद्धशाली इतिहास है। कुछ इतिहासकारों का तो यहां तक कहना है कि गुर्जर समाज के सबसे प्रसिद्ध शासक सम्राट मिहिर भोज सबसे लंबे अर्से तक राज्य करने वाले शासक रहे हैं। गुर्जर समाज सम्राट मिहिर भोज को अपना आदर्श भी मानता है।

जम्मू और कश्मीर

यह एक खूबसूरत घाटी है, जिसे ऋषि काश्याय की घाटी के नाम से जाना जाता है, जहां से कश्मीर शब्द की उत्पत्ति हुई है। संस्कृत में "का" का अर्थ है पानी और "शिमीरा" का अर्थ है सुखाना। जम्मू शब्द की उत्पत्ति यहां के शासक राजा जम्बू लोचन के नाम से हुई है।

हिमाचल प्रदेश

इसका नाम संस्कृत मूल का है अर्थात हिमा का अर्थ है 'बर्फ' और अचल का अर्थ है 'पर्वत', जिसका कुल मिलाकर अर्थ है बर्फीले पहाड़ों का घर।

पंजाब

“पुंज” शब्द का अर्थ है पांच और “आब” का अर्थ है पानी यानी पांच नदियों की भूमि, जो एक इंडो-ईरानी शब्द है।

उत्तराखंड

उत्तरांचल राज्य 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग हो गया था। जिसका अर्थ है 'उत्तरी पर्वत' अर्थात उत्तर का अर्थ है उत्तर और आंचल का अर्थ है पर्वत। बाद में इसका नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया, जिसका अर्थ है 'उत्तरी भूमि'।

Gujrat History - हरियाणा

हरियाणा दो शब्दों में विभाजित है अर्थात "हरि" का अर्थ है विष्णु या भगवान कृष्ण का अवतार और "अना" का अर्थ है आना। ऐसा माना जाता है कि महाभारत काल के दौरान भगवान कृष्ण इस स्थान पर आए थे, इसलिए इसका नाम हरियाणा पड़ा।

उत्तर प्रदेश

उत्तर का अर्थ है उत्तर और प्रदेश का अर्थ है प्रांत। अत: हम इसे 'उत्तरी प्रांत' कह सकते हैं।

राजस्थान

यह संस्कृत शब्द 'राजा' से बना है, जिसका अर्थ राजा होता है। पहले इसे राजपूताना यानि 'राजपूतों की भूमि' के नाम से जाना जाता था।

बिहार

यह पाली शब्द 'विहार' से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'निवास'। समय के साथ यह बदलकर बिहार हो गया। पहले इसे बौद्ध भिक्षुओं के निवास या विहार के रूप में जाना जाता था।

पश्चिम बंगाल

यह संस्कृत के एक शब्द 'वंगा' से बना है और इसके बाद इसके अलग-अलग संस्करण आए, जैसे फारस में इसे बांग्लाह, हिंदी में बंगाल और बंगाली में बांग्ला कहा जाता है। 1905 में बंगाल के विभाजन के बाद इसमें वेस्ट शब्द जोड़ा गया और 1947 में फिर से विभाजन हुआ, जिसमें पश्चिम बंगाल भारत में एक राज्य बन गया और पूर्वी बंगाल बांग्लादेश के रूप में एक अलग राष्ट्र बन गया।

झारखंड

यह संस्कृत शब्द झार से बना है, जिसका अर्थ है जंगल और खंड का अर्थ है भूमि। अतः कुल मिलाकर इसे वन भूमि कहा जाता है तथा 'वनांचल' भी कहा जाता है।

ओडिशा

यह संस्कृत शब्द 'ओड्रा विषय' या 'ओड्रा देसा' से लिया गया है और यह मध्य भारत में रहने वाले ओड्रा लोगों को संदर्भित करता है।

छत्तीसगढ़

पहले इसे दक्षिण कोसल के नाम से जाना जाता था, लेकिन इसके नाम के संबंध में कोई ठोस प्रमाण नहीं है। इसके अलावा, इसमें 36 किले हैं और हिंदी में 36 को छत्तीस कहा जाता है। अत: इसका नाम छत्तीसगढ़ रखा गया।

मध्य प्रदेश

मध्य का अर्थ है बीच और प्रदेश का अर्थ है प्रांत। तो, मध्य प्रांत का हिंदी संस्करण मध्य प्रदेश है। आजादी से पहले राज्य के अधिकांश हिस्सों को मध्य प्रांत के रूप में अंग्रेजों द्वारा प्रशासित किया जाता था। 1950 में मध्य प्रांत और बरार को मकराई और छत्तीसगढ़ में मिला दिया गया, जो अब 'केंद्रीय प्रांत' के नाम से जाना जाता है।

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र की उत्पत्ति से संबंधित कई सिद्धांत हैं। यह संस्कृत शब्द महा से बना है, जिसका अर्थ है महान और राष्ट्र का अर्थ है राष्ट्र यानी महान राष्ट्र। यह भी कहा जाता है कि अशोक शिलालेख के अनुसार, इसकी उत्पत्ति राष्ट्रिक नामक कबीले से हुई है। राष्ट्रकूट एक राजवंश था, जिसने 8वीं से 10वीं शताब्दी तक शासन किया और राष्ट्र शब्द की उत्पत्ति 'रत्ता' से हुई। यहां तक ​​कि राष्ट्र शब्द की उत्पत्ति भी राठी या रथ से हुई है, जिसका अर्थ है सारथी।

गोवा

यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि गोवा नाम कैसे और कहां से आया। कुछ विद्वान का मानना है कि इसकी उत्पत्ति संस्कृत शब्द 'गो' से हुई हो, जिसका अर्थ है गाय। हालांकि, कुछ का मानना ​​है कि इसकी उत्पत्ति यूरोपीय या पुर्तगाली भाषा से हुई हो सकती है।

तेलंगाना

यह 'त्रिलिंग' शब्द से बना है, जिसका अर्थ है तीन शिव लिंग।

आंध्र प्रदेश

यह संस्कृत शब्द आंध्र से बना है, जिसका अर्थ है दक्षिण। इस क्षेत्र में जनजातियां रहती हैं, जिन्हें 'आंध्र' भी कहा जाता है और अतीत में मौर्य अधिकारियों व सातवाहनों को आंध्र-भृत्य के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ है 'दक्षिण के अधिकारी'।

कर्नाटक

यह कारू से बना है, जिसका अर्थ है 'ऊंचा' और नाद का अर्थ है 'भूमि', जो दक्कन के पठार को संदर्भित करता है।

तमिलनाडु

तमिलनाडु का अर्थ है तमिलों की मातृभूमि। इसके अलावा, तमिल का अर्थ है 'मीठा अमृत' और नाडु एक तमिल शब्द है, जिसका अर्थ है मातृभूमि या राष्ट्र।

केरल

इसके नाम से जुड़े कुछ सिद्धांत हैं। इसकी उत्पत्ति 'चेर्ना' अर्थात जोड़ा हुआ और 'आलम' जिसका अर्थ है भूमि से हुई है। इसके नाम की उत्पत्ति एक से 5वीं शताब्दी के दौरान चेरा राजवंश के शासकों के 'चेरा आलम' शब्द से हुई है और बाद में इसे केरलम के नाम से जाना जाने लगा। संस्कृत में केरलम शब्द का अर्थ है जोड़ी गई भूमि। भौगोलिक दृष्टि से केरल की उत्पत्ति समुद्र के द्वारा भूमि के विस्तार के रूप में हुई है।

सिक्किम

इसकी उत्पत्ति लिम्बु मूल से हुई है, जिसमें 'सु' का अर्थ है नया और 'ख्यिम' का अर्थ है महल अर्थात नया महल। इसके अलावा, सिक्किम एक तिब्बती भाषा है, जिसे डेन्जोंग के नाम से जाना जाता है।

अरुणाचल प्रदेश

यह संस्कृत शब्द अरुण से बना है, जिसका अर्थ है 'भोर प्रकाशित' और अचल का अर्थ है 'पर्वत अर्थात भोर प्रकाशित पर्वत।

असम

इसका नाम 'अहोम' शासकों से लिया गया है, जिन्होंने लगभग छह शताब्दियों तक असम में शासन किया था। अहोम भी असमा शब्द से बना है, जो एक इंडो आर्यन शब्द है, जिसका मतलब 'असमान' होता है।

मेघालय

इसकी उत्पत्ति संस्कृत शब्द 'मेघ' से हुई है, जिसका अर्थ है बादल और 'आलय' का अर्थ है निवास यानी बादलों की भूमि।

मणिपुर

यह संस्कृत शब्द मणिपुर से लिया गया है, जिसका अर्थ है गहनों की भूमि या गहनों का शहर।

मिजोरम

यह 'मी' से बना है, जिसका अर्थ है लोग और 'ज़ो' जिसका अर्थ है पर्वतारोही।

नागालैंड

इसकी उत्पत्ति बर्मी शब्द 'नाका' यानी नागा से हुई है, जिसका अर्थ है बाली या छिदी नाक वाले लोग। इसे नागाओं की भूमि के रूप में भी जाना जाता है।

Gujrat History - त्रिपुरा

इसकी उत्पत्ति से संबंधित कई सिद्धांत हैं। यह कोकबोरोक शब्द 'तुई' से बना है, जिसका अर्थ है पानी और 'पारा' का अर्थ है निकट। कुछ विद्वानों के मुताबिक, इसका नाम उदयपुर की देवी त्रिपुरा सुंदरी से भी लिया गया हो सकता है। यह भी कहा जाता है कि यह राज्य राजा त्रिपुर के नाम पर आया था, जिन्होंने इस क्षेत्र पर शासन किया था।क्या आप जानते हैं क्षेत्रफल की दृष्टि से त्रिपुरा भारत का तीसरा सबसे छोटा राज्य है। Gujrat History

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