Thursday, 5 December 2024

Mukesh Punyatithi- पुण्यतिथि पर याद आए मुकेश, रिकॉर्डिंग के दिन रखते थे उपवास

Mukesh Punyatithi- एक जमाने में मुकेश के सुरों का जादू चलता था। हर कोई इनकी आवाज़ का दीवाना था। आज…

Mukesh Punyatithi- पुण्यतिथि पर याद आए मुकेश, रिकॉर्डिंग के दिन रखते थे उपवास

Mukesh Punyatithi- एक जमाने में मुकेश के सुरों का जादू चलता था। हर कोई इनकी आवाज़ का दीवाना था। आज मुकेश की 46वीं पुण्यतिथि है। आज उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें याद किया जा रहा है। उनकी आवाज़ आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है।मुकेश भले ही इस दुनिया को छोड़कर चले गए हैं लेकिन उनके सुरों ने आज भी संगीत के दुनिया में उन्हें ज़िंदा रखा हुआ है।

मुकेश (Mukesh) ने एक से बढ़कर एक सुपरहिट गाने गाए हैं। उनकी आवाज़ की तो बात ही निराली थी। आज भले ही मुकेश हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी आवाज़ से वो अभी भी हम सभी के दिलों पर राज कर रहे हैं। मुकेश का पूरा नाम मुकेश चंद्र माथुर था। उनके पिता का नाम जोरावर माथुर था और उनके पिता एक इंजीनियर थे। मुकेश का परिवार बड़ा था। उनके 10 भाई बहनों में मुकेश छठें नंबर पर आते थे। मुकेश ने 10वीं तक पढ़ाई पूरी की इसके बाद उन्होंने नौकरी करनी शुरू कर दी।

फिल्मों में उनकी रुचि थी, जिसके चलते वो मोतीलाल के कहने पर मुंबई पहुंच गए। फिर अभिनय में उन्हें असफलता प्राप्त हुई। इसके बाद उन्होंने अभिनय छोड़कर सिंगिंग में हाथ आजमाया। सिंगिंग में तो उनका जादू यूं चला कि उनके गानों के बिना तो मानो लगता था कि संगीत ही अधूरा है। 1940 से 1976 के बीच में मुकेश ने एक से बढ़कर एक बेहतरीन गाने गाए। मुकेश को राज कपूर की आत्मा कहा जाता था। मुकेश और राज कपूर की दोस्ती काफी गहरी थी। उनकी दोस्ती एक मिसाल थी। मुकेश का आखिरी गाना राज कपूर की फ़िल्म के ही नाम था। राज कपूर की यह फ़िल्म मुकेश के जाने के दो साल बाद 1978 में रिलीज हुई थी।

सिंगिंग से था बेहद लगाव रिकॉर्डिंग के दिन रखते थे उपवास –

बताया जाता है कि मुकेश (Mukesh) को सिंगिंग से बेहद लगाव था। जिस दिन इनके गानों की रिकॉर्डिंग होती थी, उस दिन यह उपवास रखते थे। ये अपने काम के प्रति इतना अधिक समर्पित थे कि, जब तक उनकी रिकॉर्डिंग पूरी नहीं हो जाती थी, तब तक सिर्फ पानी और गर्म दूध ही पिया करते थे।

अमेरिका में कॉन्सर्ट के दौरान हुआ था निधन-

1976 में मुकेश किसी शो के लिए अमेरिका गए थे। शो के दौरान ही 27 अगस्त, 1976 को मुकेश को दिल का दौरा पड़ा और वहां उनका निधन हो गया। उन्होंने अपने करियर में सबसे ज्यादा गाने दिलीप कुमार के लिए गाए। 1974 में मुकेश को ‘रजनीगंधा’ के गाने के लिए नेशनल फ़िल्म अवार्ड से सम्मानित किया गया था। इसके बाद 1976 में यश चोपड़ा की फ़िल्म ‘कभी-कभी’ के टाइटल सांग के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड से नवाजा गया। यह उनका चौथा फिल्फेयर अवार्ड था। इसके बाद मुकेश दुनिया को छोड़कर चले गए। भले ही मुकेश दुनिया से अलविदा कह गए लेकिन उनके गीतों को जन्मों जन्म तक याद किया जाएगा।

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