नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में चल रहे विधानसभा चुनाव में एक महत्वपूर्ण वादा चुनावी गेमचेंजर साबित होने की पूरी उम्मीद है। पुरानी पेंशन (OPS AND NPS) की बहाली करने को लेकर काफी समय से चर्चा जारी है। समाजवादी पार्टी (सपा) ने पुरानी पेंशन को बहाल करने के बाद अब बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) भी पुरानी पेंशन को बहाल करने का वादा कर रही है। मायावती ने शनिवार को ऐलान भी किया है।
उत्तर प्रदेश में करीब 13 लाख कर्मचारी मौजूद हैं, जो पुरानी पेंशन की बहाली को लेकर काफी समय से मांग कर रहे हैं। 004 के पहले सेवा में आए अफसरों और कर्मचारियों को पुरानी पेंशन (OPS AND NPS) का फायदा काफी हद तक पहुंच रहा है। लेकिन 2004-05 के बाद सेवा में आए कर्मचारियों के लिए नई पेंशन स्कीम (NEW PENSION SCHEME) बनाया जा चुका है। नई पेंशन (NPS) में अंतर समझ लेते हैं।
सिर्फ पश्चिम बंगाल में लागू की गई थी पुरानी पेंशन स्कीम
ऑल टीचर्स एंड इम्पलाईज वेलफेयर एसोसिशन (EMPLOYERS WELFARE ASSOCIATION) (अटेवा) के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बन्धु ने जानकारी दिया कि 1 जनवरी 2004 को सरकार ने नई पेंशन स्कीम लागू कर गई थी, इसके तुरंत बाद पश्चिम बंगाल छोड़कर सभी राज्य सरकारों ने इसे अपनाया था, शुरुआत में कर्मचारियों को नई पेंशन स्कीम के नुकसान के बारे में कुछ भी मालूम नहीं हुआ था।
विजय कुमार बन्धु ने जानकारी दिया है कि उत्तर प्रदेश में 2004 के बाद करीब 13 लाख कर्मचारियों की नियुक्ति कर दी गई है, , जो नई पेंशन स्कीम का फायदा ले रहे हैं, इसमें किसी को 1100 तो किसी को 5 हजार रुपये दिया जा रहा है, जबकि पुरानी पेंशन में अंतिम तनख्वाह का करीब 50 फीसदी बतौर पेंशन मिलने का प्रावधान दिया गया था, जो कि ट्रेजरी से दिया जाता है।
2013 से शुरू किया गया था पुरानी पेंशन बहाल करने का आयोजन
विजय कुमार बन्धु ने जानकारी दिया है कि चपरासी से लेकर आईएएस तक सभी लोगों को नई पेंशन दी जा रही है। 2013 में हमने अपना आंदोलन शुरू कर दिया था। 2004 के बाद सेवा में आए कर्मचारियों को जब पेंशन (PENSION SCHEME) मिलना शुरू किया तो उनको पता चला कि उनके साथ क्या खेल किया गया है, अब सभी लोग पुरानी पेंशन की बहाली की मांग करने में लगे हुए हैं।
OPS और NPS में कितना है फर्क
1-OPS में पेंशन के लिए वेतन से कोई कटौती नहीं की जाती है, जबकि NPS में वेतन से 10% की कटौती करते हैं।
2- OPS में GPF की सुविधा मिल जाती है, जबकि NPS में यह सुविधा नहीं मिल रही है।
3 – OPS एक सुरक्षित पेंशन योजना होती है यानी इसका भुगतान सरकार द्वारा ट्रेजरी के माध्यम से किया जाता है, लेकिन NPS शेयर बाजार पर आधारित की गई है।
4 – OPS में रिटायरमेंट के समय निश्चित पेंशन, जो अंतिम मूल वेतन का 50 फीसदी दिया जाता है। जबकि NPS में रिटायरमेंट के समय निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं दी गई है।
5 – OPS में 6 महीने के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता (DA) लागू किया जाता है, जबकि NPS में 6 महीने के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता लागू नहीं करते हैं।
6-OPS में रिटायरमेंट होने के साथ 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी मिलना शुरु हो जाती है, जबकि NPS में रिटायरमेंट के समय ग्रेच्युटी का अस्थायी प्रावधान होता है।
7 – OPS में रिटायरमेंट पर GPF के ब्याज को लेकर किसी प्रकार का इनकम टैक्स नहीं देना होता है, जबकि NPS में रिटायरमेंट पर शेयर बाजार के आधार पर जो पैसा दिया जाता है, उस पर टैक्स देना पड़ता है।
8 – OPS में 40 फीसदी पेंशन कम्यूटेशन का प्रावधान किया गया है, जबकि NPS में यह प्रावधान नहीं होता है।
9-OPS में रिटायरमेंट के बाद से मेडिकल फैसिलिटी (FMA)मिलती है, लेकिन NPS में इसका स्पष्ट प्रावधान मौजूद नहीं है।
सपा नहीं बल्कि बसपा ने भी पुरानी पेंशन बहाल करने का किया वादा
पुरानी पेंशन (OPS) बहाल करने को लेकर यूपी के 13 लाख कर्मचारी काम कर रहे हैं। यही कारण है कि यह चुनावी मुद्दा भी बन चुका है। समाजवादी पार्टी ने अपने वचन पत्र में पुरानी पेंशन को बहाल करने का वादा कर दिया है। इसके बाद बहुजन समाज पार्टी ने भी पुरानी पेंशन को बहाल करने की घोषणा कर दी गई है।