Snapdeal IPO में 300 करोड़ के नए शेयर जारी, निवेशकों के लिए बड़ा मौका
स्नैपडील IPO 2025: AceVector ने SEBI में अपडेटेड ड्राफ्ट जमा किया। जानें 300 करोड़ रुपये के नए शेयर, मौजूदा शेयरहोल्डर्स का OFS, प्री-IPO फंडिंग, वित्तीय स्थिति और निवेशकों के लिए अवसर। Snapdeal IPO के बारे में पूरी जानकारी यहां पढ़ें।

ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस Snapdeal अपने IPO के लिए पूरी तरह तैयार है। इसकी पेरेंट कंपनी AceVector ने SEBI के पास अपडेटेड ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (UDRHP) जमा कर दिया है। IPO में कंपनी 300 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी करेगी वहीं मौजूदा शेयरहोल्डर्स की ओर से 6.38 करोड़ इक्विटी शेयरों का ऑफर-फॉर-सेल (OFS) होगा।
कैसे हुई Snapdeal की शुरूआत?
Snapdeal की शुरुआत कुणाल बहल और रोहित बंसल ने की थी। कंपनी में SoftBank की सब्सिडियरी Starfish का भी निवेश है। OFS में Starfish के साथ-साथ Nexus, Wonderful Star, Kenneth Stuart Glass, Priyanka Shriver Kheruka, Jason Ashok Kothari, Rupen Investment और Centaurus Trading जैसे निवेशक अपने शेयर बेचेंगे।
कंपनियों को मिलती है ये सुविधा
AceVector ने इस IPO के लिए जुलाई 2025 में कॉन्फिडेंशियल रूट के माध्यम से ड्राफ्ट जमा किया था जो नवंबर में अप्रूव हुआ। कॉन्फिडेंशियल रूट कंपनियों को यह सुविधा देती है कि लिस्टिंग से पहले वे अपने डेटा को गोपनीय रख सकें और आवश्यक हो तो बाद में बिना महत्वपूर्ण जानकारी साझा किए ड्राफ्ट वापस ले सकें।
कौन-कौन शामिल?
Snapdeal IPO में, AceVector प्री-IPO प्लेसमेंट के तहत 60 करोड़ रुपये तक जुटा सकती है। यदि ऐसा हुआ, तो नए शेयरों के इश्यू का साइज थोड़ा घट जाएगा। AceVector में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 66.43 प्रतिशत है जिसमें Starfish की हिस्सेदारी 30.68 प्रतिशत है। बाकी 33.57 प्रतिशत शेयर पब्लिक शेयरहोल्डर्स के पास हैं जिनमें Nexus India, eBay Singapore Services, Wonderful Star, Dunearn Investments और PI Opportunities Fund शामिल हैं।
पैसों का कहां होगा इस्तेमाल?
IPO के जरिए जुटाए गए पैसों का इस्तेमाल कंपनी के बिजनेस के विस्तार और टेक्नोलॉजी इंफ्रास्ट्रक्चर पर होगा। 125 करोड़ रुपये मार्केटप्लेस बिजनेस की मार्केटिंग और प्रमोशन पर खर्च किए जाएंगे। 55 करोड़ रुपये टेक्नोलॉजी और इंफ्रास्ट्रक्चर कॉस्ट के लिए होंगे। बाकी का पैसा इनऑर्गेनिक ग्रोथ और सामान्य कॉरपोरेट जरूरतों में इस्तेमाल किया जाएगा। AceVector, Snapdeal के अलावा SaaS प्लेटफॉर्म Unicommerce और Consumer Brand Building Firm Stellar Brands को भी ऑपरेट करती है। Unicommerce अगस्त 2024 में शेयर बाजार में लिस्ट हो चुकी है और इसका IPO 168 गुना ओवरसब्सक्राइब हुआ था।
निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण
Snapdeal की वित्तीय सेहत भी निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण है। AceVector ने अप्रैल-सितंबर 2025 की छमाही में 29.7 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया, जो पिछले साल के 113.2 करोड़ रुपये के घाटे से कम है। इसी अवधि में कंपनी की रेवेन्यू 34.9 प्रतिशत बढ़कर 244.4 करोड़ रुपये हो गई। वित्त वर्ष 2025 में कंपनी का घाटा बढ़कर 138.9 करोड़ रुपये हुआ जबकि रेवेन्यू 395 करोड़ रुपये रहा। Snapdeal IPO को मैनेज करने के लिए IIFL Capital Services और CLSA India को मर्चेंट बैंकर नियुक्त किया गया है। निवेशक अब इस IPO का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं क्योंकि यह भारत के ई-कॉमर्स सेक्टर में एक महत्वपूर्ण निवेश अवसर साबित हो सकता है।
ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस Snapdeal अपने IPO के लिए पूरी तरह तैयार है। इसकी पेरेंट कंपनी AceVector ने SEBI के पास अपडेटेड ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (UDRHP) जमा कर दिया है। IPO में कंपनी 300 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी करेगी वहीं मौजूदा शेयरहोल्डर्स की ओर से 6.38 करोड़ इक्विटी शेयरों का ऑफर-फॉर-सेल (OFS) होगा।
कैसे हुई Snapdeal की शुरूआत?
Snapdeal की शुरुआत कुणाल बहल और रोहित बंसल ने की थी। कंपनी में SoftBank की सब्सिडियरी Starfish का भी निवेश है। OFS में Starfish के साथ-साथ Nexus, Wonderful Star, Kenneth Stuart Glass, Priyanka Shriver Kheruka, Jason Ashok Kothari, Rupen Investment और Centaurus Trading जैसे निवेशक अपने शेयर बेचेंगे।
कंपनियों को मिलती है ये सुविधा
AceVector ने इस IPO के लिए जुलाई 2025 में कॉन्फिडेंशियल रूट के माध्यम से ड्राफ्ट जमा किया था जो नवंबर में अप्रूव हुआ। कॉन्फिडेंशियल रूट कंपनियों को यह सुविधा देती है कि लिस्टिंग से पहले वे अपने डेटा को गोपनीय रख सकें और आवश्यक हो तो बाद में बिना महत्वपूर्ण जानकारी साझा किए ड्राफ्ट वापस ले सकें।
कौन-कौन शामिल?
Snapdeal IPO में, AceVector प्री-IPO प्लेसमेंट के तहत 60 करोड़ रुपये तक जुटा सकती है। यदि ऐसा हुआ, तो नए शेयरों के इश्यू का साइज थोड़ा घट जाएगा। AceVector में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 66.43 प्रतिशत है जिसमें Starfish की हिस्सेदारी 30.68 प्रतिशत है। बाकी 33.57 प्रतिशत शेयर पब्लिक शेयरहोल्डर्स के पास हैं जिनमें Nexus India, eBay Singapore Services, Wonderful Star, Dunearn Investments और PI Opportunities Fund शामिल हैं।
पैसों का कहां होगा इस्तेमाल?
IPO के जरिए जुटाए गए पैसों का इस्तेमाल कंपनी के बिजनेस के विस्तार और टेक्नोलॉजी इंफ्रास्ट्रक्चर पर होगा। 125 करोड़ रुपये मार्केटप्लेस बिजनेस की मार्केटिंग और प्रमोशन पर खर्च किए जाएंगे। 55 करोड़ रुपये टेक्नोलॉजी और इंफ्रास्ट्रक्चर कॉस्ट के लिए होंगे। बाकी का पैसा इनऑर्गेनिक ग्रोथ और सामान्य कॉरपोरेट जरूरतों में इस्तेमाल किया जाएगा। AceVector, Snapdeal के अलावा SaaS प्लेटफॉर्म Unicommerce और Consumer Brand Building Firm Stellar Brands को भी ऑपरेट करती है। Unicommerce अगस्त 2024 में शेयर बाजार में लिस्ट हो चुकी है और इसका IPO 168 गुना ओवरसब्सक्राइब हुआ था।
निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण
Snapdeal की वित्तीय सेहत भी निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण है। AceVector ने अप्रैल-सितंबर 2025 की छमाही में 29.7 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया, जो पिछले साल के 113.2 करोड़ रुपये के घाटे से कम है। इसी अवधि में कंपनी की रेवेन्यू 34.9 प्रतिशत बढ़कर 244.4 करोड़ रुपये हो गई। वित्त वर्ष 2025 में कंपनी का घाटा बढ़कर 138.9 करोड़ रुपये हुआ जबकि रेवेन्यू 395 करोड़ रुपये रहा। Snapdeal IPO को मैनेज करने के लिए IIFL Capital Services और CLSA India को मर्चेंट बैंकर नियुक्त किया गया है। निवेशक अब इस IPO का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं क्योंकि यह भारत के ई-कॉमर्स सेक्टर में एक महत्वपूर्ण निवेश अवसर साबित हो सकता है।












