नई दिल्ली। एक बेटी के कत्ल के इल्जाम में मां-बाप नौ साल तक कानून के शिकंजे में जकड़े रहे। अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा भी सुनाई। लेकिन, आखिर साल 2017 में कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया। सच है कि एक बेटी और घर के नौकर का कत्ल हुआ। खून बहा, लेकिन खूनी का चेहरा अब भी नकाब में है। इस मामले में स्थानीय पुलिस से लेकर सीबीआई तक ने खूब हाथ-पैर मारे, लेकिन किसी को कोई कामयाबी नहीं मिली। यह भी सच है परिस्थितयां आरुषि और नौकर हेमराज की हत्या के लिए डॉ. राजेश तलवार और मां नूपुर तलवार की ओर ही इशारा कर रही थीं, लेकिन उनके खिलाफ कोई सबूत अदालत में टिक न सका और घटना के डेढ़ दशक बाद भी यह देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री बनी हुई है। 15-16 मई, 2008 की रात पहले आरुषि और फिर हेमराज का बेरहमी से कत्ल कर दिया गया था।
Aarushi-Hemraj Murder Mystery
सबसे पहले नौकरानी ने देखी थी आरुषि की लाश
नोएडा के सेक्टर-25 में रहने वाली आरुषि तलवार नोएडा के डीपीएस में पढ़ती थी। उसके कत्ल की खबर सबसे पहले 2008 में आज ही के दिन यानी 16 मई की सुबह उस वक्त सामने आई थी, जब तलवार परिवार की घरेलू सहायिका काम करने घर पहुंची। घरेलू सहायिका जब आरुषि के कमरे में पहुंची तो उसका शव खून से लतपथ बेडरूम में पड़ा मिला। वह चीखती हुई राजेश-नूपुर के पास दूसरे कमरे में गई। इसके बाद मीडिया की खबरों में जानकारी सामने आई कि घरेलू सहायक हेमराज घर में आरुषि की हत्या करके नेपाल फरार हो गया है।
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शुरू में हेमराज पर ही था शक
आरुषि की हत्या के बाद जब पुलिस वहां पहुंची तो हेमराज को ही कातिल माना जा रहा था। दरअसल, सूचना मिलने पर घटनास्थल पर पहुंची नोएडा पुलिस को मां-बाप राजेश तलवार और नूपुर तलवार ने बताया था कि उनका घरेलू सहायक हेमराज उनकी बेटी आरुषि तलवार की हत्या करके फरार हो गया है। राजेश-नूपुर दोनों ही नोएडा के जाने-माने दंत चिकित्सक थे, इसलिए मामला सामने आते ही हाई प्रोफाइल हो गया। राजेश-नूपुर की जानकारी पर यकीन करते हुए नोएडा पुलिस की टीमें हेमराज की तलाश में नेपाल के लिए रवाना हो गईं।
Aarushi-Hemraj Murder Mystery
अगले दिन छत पर मिली थी नौकर हेमराज की लाश
16 मई को जहां नोएडा पुलिस घरेलू सहायक हेमराज को कातिल मानकर जांच कर रही थी, ठीक 24 घंटे में एल-32 सेक्टर—25 जलवायु विहार नोएडा यानी राजेश-नूपुर के घर की छत पर हेमराज का शव गद्दे के पीछे मिला। फिर यह डबल मर्डर में तब्दील हो गया। इसी के साथ पूरी जांच 360 डिग्री पर घूम गई। जिसे नोएडा पुलिस कातिल समझ रही थी वह तो पीड़ित निकला था। नोएडा पुलिस पर दबाव बहुत ज्यादा था और जांच के दौरान हत्या के 2 दिन बाद यानी 18 मई 2008 को पुलिस ने बताया कि हत्या सिर पर गोल्फ स्टिक से वार करने के बाद सर्जिकल ब्लेड से गला काटकर की गई है। फिर मर्डर का शक आरुषि के माता-पिता राजेश-नूपुर पर चला गया। 23 मई, 2008 को नोएडा पुलिस ने आरुषि के पिता राजेश तलवार को डबल मर्डर के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।
सीबीआई को सौंपा गया मामला
तत्कालीन मायावती सरकार ने 1 जून 2008 को पूरे मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। जांच की कड़ी में आरुषि और हेमराज के कत्ल में सीबीआई ने राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया। फिर उन्हें संदेह के आधार पर छोड़ दिया गया। इसी तरह तीन घरेलू सहायकों को भी क्लीन चिट मिल गई। फिर 29 दिसंबर 2010 को सीबीआई ने मामले में अपनी क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की, जिसमें नौकरों को क्लीन चिट दे दी।
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मां-बाप बने आरोपी, फिर दोषी, मिली उम्रकैद की सजा
इसी के साथ सीबीआई ने आरुषि के मर्डर का शक मां-बाप पर जताया। इसके बाद क्लोजर रिपोर्ट को ही चार्जशीट मानकर मुकदमा चला। फिर आरुषि मर्डर केस में 26 नवंबर 2013 को सीबीआई कोर्ट ने नूपुर और राजेश तलवार को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। आरुषि के माता-पिता खुद को बेगुनाह बताते हए इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचे। 12 अक्टूबर, 2017 को हाई कोर्ट ने मामले में आरोपी तलवार दंपती को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। इसी के साथ यह रहस्य अब भी कायम है कि आखिर 15-16 मई, 2008 की रात को किसने आरुषि और हेमराज का मर्डर किया था। इस काली रात में आखिर कौन था, जो घर में दाखिल हुआ और दो कत्ल को अंजाम देकर चला गया। यह मर्डर आज भी मिस्ट्री बनी हुई है।
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