आई लव मोदी चलेगा, लेकिन ‘आई लव मुहम्मद’ नहीं? ओवैसी ने उठाए सवाल

आई लव मोदी चलेगा, लेकिन ‘आई लव मुहम्मद’ नहीं? ओवैसी ने उठाए सवाल
locationभारत
userचेतना मंच
calendar03 Oct 2025 10:49 AM
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AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने देशभर में चल रहे  ‘आई लव मुहम्मद’ विवाद पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सत्तापक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि इस देश में लोग आसानी से ‘आई लव मोदी’ कह सकते हैं, लेकिन जब वही जज़्बात पैगंबर मुहम्मद के लिए जताए जाते हैं, तो विवाद छिड़ जाता है। ओवैसी ने सीधे सवाल किया, “इस देश को आप आखिर कहां ले जाना चाहते हैं? मैं अगर मुसलमान हूं, तो सिर्फ और सिर्फ पैगंबर मुहम्मद की वजह से हूं, उसके आगे या पीछे कुछ भी नहीं।” उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि हिंसा का कोई समर्थन नहीं करते, लेकिन अगर किसी ने प्रधानमंत्री का पोस्टर लगाया तो सब ठीक है, वहीं पैगंबर के पोस्टर पर रोक लगती है। इस बयान में ओवैसी ने साफ-साफ इस समाज की असमानताओं और धार्मिक भावनाओं के प्रति दोहरे मानकों को उजागर किया है।    Asaduddin Owaisi

बरेली में बढ़ा तनाव

यह टिप्पणी उस समय आई है जब बरेली में ‘आई लव मुहम्मद’ पोस्टर विवाद की आग अभी भी ठंडी नहीं हुई है। पिछले सप्ताह शहर में इस पोस्टर को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए, जो कई स्थानों पर हिंसक भी बन गए। दशहरा उत्सव और शुक्रवार की नमाज़ को देखते हुए बरेली संभाग के चार जिलों में गुरुवार को इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गईं और सड़कों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। ओवैसी ने लोगों से शांतिपूर्ण रहने और इस मामले को हाथ में न लेने की अपील की। हैदराबाद में एक भाषण में उन्होंने कड़वा सच कहा कि इस देश में अगर कोई ‘आई लव मोदी’ कहता है, तो मीडिया उसकी तारीफ करती है, लेकिन ‘आई लव मुहम्मद’ बोलने पर तुरंत विरोध खड़ा हो जाता है।  Asaduddin Owaisi

यहां देखे वीडियो -

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पुलिस और सरकार पर सवाल

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस विवाद में पुलिस की भूमिका पर भी सीधे सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि वीडियो स्पष्ट रूप से दिखा रहा है कि प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया गया, जबकि कुछ दुकानदारों ने उन पर फूल बरसाने का आरोप लगाया। ओवैसी ने कटाक्ष करते हुए पूछा, “क्या पुलिस केवल सत्ता पक्ष के प्रति ही जवाबदेह है और आम नागरिकों के प्रति नहीं?” उन्होंने पैगंबर मुहम्मद के सम्मान पर जोर देते हुए कहा कि उनके अलावा किसी और का नाम मुहम्मद नहीं रखा गया और उनके पोस्टर लगाना सम्मान का विषय होना चाहिए। साथ ही, ओवैसी ने सरकार से भी सवाल किया कि इतनी सारी नई कानून बनाने की क्या जरूरत थी और आखिर देश में हो क्या रहा है। उनके ये बयान प्रशासन और समाज में मौजूद दोहरे मानकों पर एक सीधा प्रहार हैं।    Asaduddin Owaisi

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जुमे की नमाज के बाद प्रदर्शन

पिछले हफ़्ते जुमे की नमाज़ के बाद बरेली की एक मस्जिद के बाहर 2,000 से अधिक लोग ‘आई लव मुहम्मद’ पोस्टर विवाद को लेकर प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन रद्द होने के विरोध में जमा हुए। प्रदर्शनकारी और पुलिस के बीच गंभीर झड़पें हुईं, पथराव हुआ, कई पुलिसकर्मी घायल हुए और लाठीचार्ज करना पड़ा। इस पूरे घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए ओवैसी ने कहा कि यह विवाद स्पष्ट रूप से दिखाता है कि धार्मिक भावनाओं के मामले में भारतीय समाज में असंतुलन है और इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। उनका यह बयान समाज में बढ़ते विभाजन और संवेदनशीलता की अनदेखी पर एक चेतावनी की तरह है।    Asaduddin Owaisi

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पहली बार कब और कहां जलाया गया था रावण का पुतला? पढ़ें दिलचस्प जानकारी

पहली बार कब और कहां जलाया गया था रावण का पुतला? पढ़ें दिलचस्प जानकारी
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calendar02 Oct 2025 12:56 PM
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विजयदशमी यानी दशहरा, भारत के सबसे प्रसिद्ध पर्वों में से एक है जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। हर साल दशहरा के दिन देशभर में रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाकर लोग यह संदेश देते हैं कि सत्य और न्याय की अंततः जीत होती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रावण दहन की यह परंपरा कब और कहां से शुरू हुई थी? आइए जानते हैं इस दिलचस्प परंपरा का इतिहास। First Ravan Dahan History 

रावण दहन की शुरुआत कब और कहां हुई?

हालांकि रावण दहन की परंपरा को लेकर कोई प्रामाणिक ऐतिहासिक तिथि नहीं मिलती लेकिन उपलब्ध जानकारियों के अनुसार, भारत में पहली बार रावण का पुतला वर्ष 1948 में रांची में जलाया गया था। बताया जाता है कि यह आयोजन पाकिस्तान से आए शरणार्थियों द्वारा किया गया था जो उस समय के माहौल में सांस्कृतिक जुड़ाव और धार्मिक आस्था का प्रतीक बन गया। इसके कुछ वर्षों बाद, दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में पहली बार रावण दहन 17 अक्टूबर 1953 को हुआ जो आज देश के सबसे बड़े दशहरा आयोजनों में से एक माना जाता है।

दशहरा को ‘विजयदशमी’ क्यों कहते हैं?

दशहरा को ‘विजयदशमी’ कहा जाता है क्योंकि यह अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दसवीं तिथि को मनाया जाता है। इस दिन से जुड़े दो प्रमुख धार्मिक प्रसंग हैं। भगवान श्रीराम ने लंका के राजा रावण का वध किया था यह सत्य की असत्य पर जीत का प्रतीक है। मां दुर्गा ने इसी दिन महिषासुर का वध कर दुष्टता का अंत किया था नवरात्रि की समाप्ति पर यह विजय का पर्व बन गया। इसलिए इस दिन को विजय की दसवीं तिथि यानी ‘विजयादशमी’ कहा जाता है।

रावण दहन का महत्व क्या है?

दशहरे पर रावण दहन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि यह सामाजिक और नैतिक संदेश का प्रतीक भी है। रावण के पुतले में अहंकार, लोभ, अन्याय और अधर्म का प्रतीकात्मक रूप होता है। जब उसका दहन होता है तो यह संदेश जाता है कि, "चाहे बुराई कितनी भी बड़ी क्यों न हो अंत में जीत सच्चाई और अच्छाई की ही होती है।"

इस साल कब है दशहरा?

इस वर्ष दशहरा (विजयादशमी) 2 अक्टूबर 2025 बुधवार को मनाया जाएगा। देशभर में रामलीलाओं के मंचन के बाद रावण दहन के भव्य आयोजन होंगे। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करता है बल्कि सांस्कृतिक एकता और नैतिक मूल्यों की भी याद दिलाता है। First Ravan Dahan History 
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RSS का 'घुसपैठ विरोधी रोडमैप', PM मोदी ने क्यों कहा ये है सबसे बड़ी चुनौती?

RSS का 'घुसपैठ विरोधी रोडमैप', PM मोदी ने क्यों कहा ये है सबसे बड़ी चुनौती?
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userचेतना मंच
calendar02 Oct 2025 09:38 AM
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर दिल्ली में आयोजित शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संघ की विचारधारा और राष्ट्रीय भूमिका पर विस्तार से बात की। इस मौके पर पीएम मोदी ने विशेष डाक टिकट और 100 रुपये का स्मृति सिक्का जारी किया। लेकिन इस समारोह में सबसे ज्यादा ध्यान खींचा प्रधानमंत्री के उस बयान ने जिसमें उन्होंने घुसपैठ और डेमोग्राफिक बदलाव जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए संघ के रोडमैप का जिक्र किया। PM Modi Speech 

डाक टिकट और सिक्के के जरिए 100 वर्ष की यात्रा का सम्मान

समारोह में जारी किए गए सिक्के की एक तरफ "सत्यमेव जयते" और "भारत-India" लिखा है जबकि दूसरी ओर भारत माता और संघ स्वयंसेवकों की आकृति उकेरी गई है, साथ में लिखा है “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष”। ये प्रतीक सिर्फ स्मृति चिन्ह नहीं बल्कि एक विचारधारा और राष्ट्र निर्माण के 100 साल का प्रतीक हैं।

राष्ट्र प्रथम ही संघ और स्वयंसेवकों का एकमात्र लक्ष्य-PM Modi

प्रधानमंत्री ने कहा कि, “संघ और स्वयंसेवकों का केवल एक ही लक्ष्य है राष्ट्र प्रथम।" उन्होंने साफ तौर पर कहा कि भारत के सामने जो बड़ी चुनौतियां हैं चाहे वो घुसपैठ, डेमोग्राफिक बदलाव, या राष्ट्र की एकता पर प्रहार। सरकार उन पर तेजी से काम कर रही है और संघ भी एक ठोस रणनीति के साथ तैयार है।

घुसपैठियों के खिलाफ क्या है संघ का रोडमैप?

प्रधानमंत्री के बयान के बाद अब सवाल उठ रहा है कि आखिर संघ का रोडमैप है क्या? सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पास देशभर में 1 करोड़ से अधिक कार्यकर्ता हैं, जो जिला, तालुका और गांव स्तर तक सक्रिय हैं। ये कार्यकर्ता न सिर्फ सामाजिक संगठनों के साथ जुड़े हैं, बल्कि स्थानीय प्रशासन और पुलिस के साथ मिलकर जमीनी स्तर पर घुसपैठ की पहचान करने में सहयोग भी कर सकते हैं। संघ पहले भी कह चुका है कि, देश में मजबूत घुसपैठ विरोधी नीति होनी चाहिए। सीमा सुरक्षा, जनसंख्या नियंत्रण, और नागरिकता कानून को कड़ाई से लागू किया जाना चाहिए। नागरिकों को जनसंख्या संतुलन और आंतरिक सुरक्षा के खतरों को लेकर जागरूक किया जाए।

पीएम मोदी की चेतावनी

पीएम मोदी ने कहा कि, “आज सामाजिक समानता पर सबसे बड़ा खतरा बदलती डेमोग्राफी से है। यह घुसपैठ से भी अधिक गंभीर चुनौती है।” उन्होंने यह भी कहा कि जातिवाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद और चरमपंथी सोच ये सब मिलकर राष्ट्र की एकता को कमजोर करते हैं। इसी कारण उन्होंने लाल किले से डेमोग्राफिक मिशन की घोषणा की थी, ताकि आने वाले समय में देश इस चुनौती से निपटने के लिए तैयार हो।

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संघ और सरकार की भूमिका

पीएम मोदी का यह बयान स्पष्ट करता है कि सरकार और संघ देश की आंतरिक सुरक्षा और जनसंख्या संतुलन जैसे मुद्दों पर एक जैसी चिंता और विजन रखते हैं। और अब जब प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक मंच पर संघ के घुसपैठ विरोधी रोडमैप का जिक्र किया है तो ये साफ है कि आने वाले समय में इस दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकते हैं। PM Modi Speech