Haryana News : पूर्व सेना प्रमुख जनरल दीपक कपूर कई बड़े अधिकारी भारत जोड़ो यात्रा में हुए शामिल

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calendar01 Dec 2025 05:42 PM
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Haryana News : कुरुक्षेत्र (हरियाणा)। पूर्व सेना प्रमुख जनरल दीपक कपूर और रक्षा सेवा से सेवानिवृत्त कई शीर्ष अधिकारी रविवार को राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए।

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यात्रा वर्तमान में हरियाणा से होकर गुजर रही है। भीषण ठंड और कोहरे के बीच ‘भारत जोड़ो यात्रा’ रविवार सुबह करनाल के नीलोखेड़ी क्षेत्र में दोद्वा से फिर से शुरू हुई और यात्रा ने दिन में बाद में कुरुक्षेत्र जिले में प्रवेश किया। सुबह कड़ाके की ठंड और कोहरे के बावजूद सैकड़ों लोग करनाल में यात्रा में शामिल हुए। करनाल मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का गृह निर्वाचन क्षेत्र भी है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा, रणदीप सिंह सुरजेवाला और कुमारी शैलजा ने हरियाणा में इस पदयात्रा में भाग लिया।

कांग्रेस ने ट्वीट किया कि पूर्व सेना प्रमुख जनरल दीपक कपूर, सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल आर. के. हुड्डा, सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल वी. के. नरूला, सेवानिवृत्त एयर मार्शल पी. एस. भंगू, सेवानिवृत्त मेजर जनरल सतबीर सिंह चौधरी, सेवानिवृत्त मेजर जनरल धर्मेंद्र सिंह, सेवानिवृत्त कर्नल जितेंद्र गिल, सेवानिवृत्त कर्नल पुष्पेंद्र सिंह, सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल डी.डी.एस. संधू, सेवानिवृत्त मेजर जनरल बिशंबर दयाल और सेवानिवृत्त कर्नल रोहित चौधरी राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए।

हरियाणा में 21 से 23 दिसंबर तक यात्रा के पहले चरण में 130 किलोमीटर की दूरी तय की गई और यह नूंह, गुरुग्राम तथा फरीदाबाद जिलों से गुजरी थी। इस यात्रा ने उत्तर प्रदेश से बृहस्पतिवार शाम फिर से हरियाणा के पानीपत में प्रवेश किया था।

‘भारत जोड़ो यात्रा’ सात सितंबर को कन्याकुमारी से शुरू हुई थी और 30 जनवरी तक श्रीनगर में राहुल गांधी द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराए जाने के साथ संपन्न होगी।

यह पदयात्रा अभी तक तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से गुजर चुकी है।

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Kerala दीक्षा संस्कार समारोह में भोजन करके छात्र और अभिभावक बीमार

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calendar30 Nov 2025 05:41 AM
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Kerala  News : पतनमथिट्टा (केरल)। केरल के कीझवईपुर में बप्तिस्मा (दीक्षा संस्कार) में भोजन करने के बाद करीब 100 लोगों के बीमार होने की घटना के महज सप्ताह भर बाद विषाक्त भोजन का एक नया मामला सामने आ गया है। जिले के एक स्कूल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान भोजन करने से कुछ छात्र और माता-पिता बीमार हो गए हैं।

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कोदुमोन थाने के एक अधिकारी ने बताया कि स्कूल में कार्यक्रम छह जनवरी को हुआ था, लेकिन विषाक्त भोजन के कारण बच्चों सहित 7-8 लोगों की तबीयत खराब होने की सूचना रविवार को मिली। उन्होंने बताया कि पुलिस को नियमित कामकाज के दौरान घटना का पता चला है और उसे अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है। उन्होंने कहा, ‘‘हम घटना की जांच कर रहे हैं।’’ उन्होंने यह भी बताया कि स्वास्थ्य अधिकारी पहुंच गए हैं और समारोह में भोजन का प्रबंध करने वाले भोजनालय की जांच कर रहे हैं। गौरतलब है कि राज्य में पिछले दो सप्ताह में विभिन्न जिलों से विषाक्त भोजन से तबीयत खराब होने के कई मामले सामने आए हैं। कोट्टायम और कासरगोड जिलों में भी ऐसी घटनाओं में दो लोगों की मृत्यु हो चुकी है।

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Dr. Sudhanshu Trivedi हमेशा से विश्वगुरु था भारत, भारतीय कैलेंडर ही सबका मूल : सुधांशु त्रिवेदी

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calendar01 Dec 2025 09:34 AM
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Dr. Sudhanshu Trivedi : भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सदस्य डा. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि भारत हमेशा से विश्वगुरु था और भारतीय कैलेंडर ही सबका मूल है। एक वीडियो के माध्यम से उन्होंने समझाया कि किस तरह से भारतीय कैलेंडर को समाप्त किया गया और षड़यंत्र के तहत योजनाबद्ध तरीके से इंग्लिश कैलेंडर को लाया गया।

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उन्होंने कहा कि इंग्लिश कैंलेंडर की शुरुआत जनवरी माह से होती है, जबकि भारतीय कैलेंडर की शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानि मार्च और अप्रैल से होती है और भारतीय कैलेंडर ही सबका मूल है। उन्होंने बताया कि जनवरी, फरवरी और मार्च आदि समेत सभी बारह महीनों को किसी न किसी विदेशी राजा के नाम पर रखा गया है। जिस राजा को बड़ा दिखाना था, उसके नाम वाले महीने में 31 दिन कर दिए गए।

उन्होंने बताया कि जुलियस सीजर के नाम पर जुलाई है। अगस्ट सीजर के नाम पर अगस्त माह है। जिस राजा को बड़ा दिखाना था उस महीने को बड़ा करके 31 दिन का कर दिया गया। मगर चार माह ऐसे हैं, जिनका उल्लेख कहीं नहीं मिलता है। उनमें सितंबर, अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर। सितंबर वैगन कलेंडर का नौवां महीना और हमारे यानि हिन्दू कैलेंडर का सातवां महीना।

उन्होंने समझाया कि फरवरी, मार्च, अप्रैल और अगस्त को छोड़ दें तो सभी महीनों के अंत में अंबर आता है। अंबर किसी किसे कहते है। संस्कृत में अंबर आकाश को कहते हैं। जब इसे ​12 से डिवाइड करते हैं तो सभी का अर्थ समझ में आ जाता है। उन्होंने बताया कि जब सूर्य सप्त अंबर में होते हैं तो सितंबर होता है। अष्ट अंबर में है अक्टूबर है, नवम अंबर है तो नवंबर है। दशम अंबर है तो दिसंबर है। उन्होंने कहा कि मार्च अप्रैल के माह में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा आती है और उस वक्त सारी दुनिया में वही कैलेंडर था, मगर अफसोस। इसे बदल दिया गया। उन्होंने कहा कि धीरे धीरे कुहासा छंट रहा है और लोग अपनी संस्कृति को समझ रहे हैं।

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