अरूण सिन्हा
नोएडा। तकरीबन तीन दशकों से उत्तर प्रदेश की सियासत में हाशिये पर मौजूद कांग्रेस पार्टी (Congress( मुख्यधारा में आ पाएगी ? प्रदेश स्तर पर हाल में हुए सांगठनिक फेरबदल क्या मंझधार में डूबती कांग्रेस (Congress) की कश्ती को साहिल पर ला पाने में सफल होगा ? ऐसे कई यक्ष प्रश्न हैं जो अभी तक आम जनमानस व कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए अनुत्तरति बने हुए हैं।
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पश्चिमी उप्र की बात करें तो अब पार्टी ने नसीमुददीन सिददीकी को प्रांतीय अध्यक्ष (पश्चिमी उप्र) बनाया है। पश्चिमी उप्र में कांग्रेस की स्थिति प्रदेश के बाकी जनपदों से अलग नहीं है। यही स्थिति जनपद गौतमबुद्धनगर की है। यहां मौजूद तीन विधानसभा सीटों में पिछले करीब 30 वर्षों से कांग्रेस जीत की ओर बगुला की तरह टकटकी लगाये देख रही है। ज्यों-ज्यों समय बीतता गया कांग्रेस की हालत दूसरे से तीसरे तथा चौथे नम्बर पर होती चली गयी। ऐसी स्थिति में नसीमुददीन सिददीकी बैसाखी पर चल रही कांग्रेस को मजबूती से अपने पैरों पर खड़ा कर पाएंगे?
इसमें कोई शक नहीं कि नसीमुददीन सिददीकी के पास बहुजन समाज पार्टी में संगठन का सफल नेतृत्व करने का खासा तर्जुबा है। बसपा में पार्टी सुप्रीमो मायावती के बाद दूसरे नंबर के नेताओं में उनकी गिनती थी। लेकिन कांग्रेस में आकर उन्होंने कांटों भरा ताज पहन लिया है। सांगठनिक अनुभव के बूते वे कांग्रेस में चल रही गुटबाजी को खत्म कर कार्यकर्ताओं को एकजुट कर पाएंगे इसको लेकर स्वयं कांग्रेस के कई कार्यकर्ता तथा नेता आश्वस्त नहीं है।।
नोएडा में कांग्रेस की स्थिति तो बद से बदतर हो गयी है। हाल ही में यानी वर्ष-2022 में हुए चुनाव में कांग्रेस की नयी खेवनहार राष्ट्रीय महासचिव तथा उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा भी कोई खास करिश्मा नहीं कर पायी। नोएडा में उन्होंने जीत के पूरे विश्वास के साथ महिला प्रत्याशी पंखुड़ी पाठक को टिकट दिया था। लेकिन पंखुड़ी पाठक के परिणामों ने तो कांग्रेस को मिले अब तक के वोटों से गिराकर सबसे नीचे पायदान पर लाकर पटक दिया। यानी नोएडा विधानसभा क्षेत्र (पूर्व में दादरी विधानसभा) में इतनी शर्मनाक व अपमानजनक हार किसी भी प्रत्याशी की नहीं हुई है।
इस चुनाव में पंखुड़ी पाठक को महज 13494 वोट मिले यानी कुल पड़े वोटों का महज 3.88 फीसदी। नतीजा यह रहा कि उनकी जमानत जब्त हो गयी तथा वे पारंपरिक चौथे स्थान पर रहीं। इसके पूर्व के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो वर्ष-2022 का परिणाम कांग्रेस के इतिहास का सर्वाधिक निराशाजनक काल साबित रहा है। यह आलम तब था जब स्वयं प्रियंका गांधी वाड्रा अपने प्रत्याशी के प्रचार में नोएडा आई थीं तथा वोटरों से निजी तौर पर वोट की अपील की थी। इस शर्मनाक हार के बाद भी पार्टी हाईकमान ने पंखुड़ी पाठक को उप्र सोशल मीडिया का चेयरमैन बना दिया तथा पीसीसी सदस्य भी बना दिया। चर्चा है कि उन्हें एआईसीसी सदस्य बनने की भी कवायद चल रही है।
इन परिणामों के बाद से पार्टी के कार्यकर्ता घोर निराशा तथा हताशा में हैं। वे न तो पार्टी में और न कहीं और अपना भविष्य ढूंढ पा रहे हैं। नतीजा कुछ पार्टी छोड़कर दूसरे दलों में चले गए तो कई तटस्थ होकर उचित समय व अवसर की तलाश में प्रतीक्षा कर रहे है। ऐसी स्थिति से पार्टी को रसातल से उबारने में क्या नये प्रांतीय अध्यक्ष सफल हो पाएंगे। इसका जवाब फि लहाल किसी के पास नहीं है।
दो दशक के चुनावी परिणाम
वर्ष प्रत्याशी कुल वोट प्रतिशत
2002 रघुराज सिंह 39019 20.38
2007 रघुराज सिंह 23875 10.29
2012 डा. वीएस चौहान 25482 12.15
2014 राजेन्द्र अवाना करीब 17000
2022 पंखुड़ी पाठक 13494 3. 88