Lal Krishna Advani- 95 साल के हुए लाल कृष्ण आडवाणी, जानिए कैसा था इनका राजनीतिक सफर

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar08 Nov 2022 04:55 PM
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Lal Krishna Advani- भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी आज अपना 95वां जन्मदिन मना रहे हैं। इनका जन्म 8 नवंबर 1927 को वर्तमान में पाकिस्तान देश के कराची शहर में हुआ था। इनकी शुरुआती शिक्षा लाहौर में पूरी हुई। विभाजन के बाद इनका परिवार भारत में आकर बस गया। इनकी आगे की पढ़ाई मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से पूरी हुई जहां पर इन्होंने लॉ से स्नातक किया। लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) जन नायक के रूप में जाने जाते हैं जिन्होंने हिंदू आंदोलन का नेतृत्व किया और भारतीय जनता पार्टी की सरकार पहली बार बनाई। भारतीय जनता पार्टी को पूरी तरह से खड़ा करने व राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने का श्रेय जिन लोगों को जाता है, उस पंक्ति में लालकृष्ण आडवाणी का नाम सबसे आगे है। ये भारतीय जनता पार्टी के कर्णधार और लौह पुरुष भी कहलाए। या यूं कहा जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी के इतिहास का एक अहम अध्याय हैं लालकृष्ण आडवाणी।

लालकृष्ण आडवाणी का राजनीतिक सफर -

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा सन 1951 में जनसंघ की स्थापना की जिसके पार्टी सचिव का कार्यभार संभाला लालकृष्ण आडवाणी ने। साल 1954 से लेकर 1957 तक जनसंघ पार्टी के सचिव का कार्य संभालने के बाद, सन 1973 से 1977 तक उन्होंने भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष का दायित्व संभाला। साल 1980 में इनके भारतीय जनता पार्टी के स्थापना की गई, जिसके महासचिव बनाए गए लालकृष्ण आडवाणी। 1986 तक भारतीय जनता पार्टी के महासचिव का कार्यभार संभालने के बाद साल 1986 से लेकर 1991 तक यह भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर कार्यरत रहे। साल 1990 में राम मंदिर आंदोलन के लिए सोमनाथ से अयोध्या तक निकाली गई राम रथ यात्रा में लालकृष्ण आडवाणी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा, लेकिन इस यात्रा का इनके राजनीतिक जीवन पर गहरा असर पड़ा। रथ यात्रा के बाद लालकृष्ण आडवाणी की लोकप्रियता काफी बढ़ गई।

नहीं पूरा हुआ उपप्रधानमंत्री से प्रधानमंत्री बनने का सफर -

तीन बार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर रह चुके लालकृष्ण आडवाणी 4 बार राज्यसभा के और 5 बार लोकसभा के सदस्य बने। सन 1977 से 1979 तक इन्हें केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। सन 1998 से लेकर 2004 तक अटल बिहारी बाजपेई के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारत के गृह मंत्री का पदभार संभाला, और साल 2002 से 2004 तक प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के कार्यकाल के दौरान इन्होंने भारत के उप प्रधानमंत्री का पदभार संभाला। लेकिन इनका भारत का प्रधानमंत्री बनने का सपना पूरा नहीं हुआ। साल 2008 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने लोकसभा चुनाव को आडवाणी के नेतृत्व में लड़ने तथा जीत होने पर उन्हें प्रधानमंत्री बनाने की घोषणा की थी। लेकिन पार्टी यह चुनाव जीतने में सफल नहीं रही। और इनका प्रधानमंत्री बनने का सपना अधूरा ही रह गया। साल 2013 में लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) ने अपने सभी पदों से इस्तीफा देते हुए अपने राजनीतिक सफर को विराम दे दिया।

राजनीति के क्षेत्र में जीते पुरस्कार -

लालकृष्ण आडवाणी भारत के एक सफल राजनीतिज्ञ के रूप में जाने जाते हैं। इनका राजनीतिक कद बहुत ही ऊंचा है। भारतीय संसद में एक अच्छे संसद के रूप में आडवाणी अपनी भूमिका के लिए काफी सराहे गए और उन्हें पुरस्कृत भी किया गया। लालकृष्ण आडवाणी को भारतीय संसदीय समूह द्वारा वर्ष 1999 में उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साल 2015 में उन्हें भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

लालकृष्ण आडवाणी के द्वारा लिखी गई पुस्तकें-

वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को लेखन में भी रूचि है। उन्होंने कई पुस्तकें लिखी। 19 मार्च 2008 को भारत के पूर्व राष्ट्रपति रह चुके वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम ने इनके द्वारा लिखी गई पुस्तक 'माई कंट्री माई लाइफ' रिलीज की थी। इसके अलावा इन्होंने 'सुरक्षा और विकास के नए दृष्टिकोण', 'एक कैदी का कबाड़' नामक पुस्तकें भी लिखी।
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UP By-election : गोला उपचुनाव : सपा की हार के बाद अब कौन सा बहाना बनाएंगे अखिलेश : मायावती

Mayawati
What excuse will Akhilesh make after SP's defeat: Mayawati
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userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 01:53 PM
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Lucknow : लखनऊ। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में गोला गोकर्णनाथ सीट पर हुए उपचुनाव में मैदान छोड़ देने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती ने अब सपा की हार के बाद अखिलेश यादव पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि भाजपा के प्रत्याशी अमन गिरी की जीत के बाद समाजवादी पार्टी अब कौन सा बहाना बनाएगी।

UP By-election :

मायावती ने ट्वीट कर लिखा कि गोला गोकर्णनाथ विधानसभा उपचुनाव भाजपा की जीत से ज्यादा सपा की 34,298 वोटों से करारी हार के लिए काफी चर्चाओं में है। बीएसपी अधिकांशतः उपचुनाव नहीं लड़ती है। यहां भी चुनाव मैदान में नहीं थी, तो अब सपा अपनी इस हार के लिए कौन सा नया बहाना बनाएगी? उन्होंने कहा कि अब अगले महीने मैनपुरी लोकसभा व रामपुर विधानसभा के लिए उपचुनाव में आजमगढ़ की तरह ही सपा के सामने अपनी इन पुरानी सीटों को बचाने की चुनौती है। देखना होगा कि क्या सपा ये सीटें भाजपा को हराकर पुनः जीत पाएगी या फिर वह भाजपा को हराने में सक्षम नहीं है, यह पुनः साबित होगा।

UP By-election :

गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी की गोला विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी ने जीत दर्ज की है। बीजेपी ने सपा को इस सीट पर 34,298 वोटों से शिकस्त दी है। भले ही इस जीत का कोई बड़ा असर न हो, लेकिन इस जीत ने बीजेपी के आत्मविश्वास को बढ़ाया है। वहीं समाजवादी पार्टी हौसले पस्त जरूर हुए हैं।
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Congress डूबती कश्ती को साहिल तक ला पाएंगे नये प्रांतीय अध्यक्ष!

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Political news
locationभारत
userचेतना मंच
calendar07 Nov 2022 06:11 PM
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अरूण सिन्हा नोएडा। तकरीबन तीन दशकों से उत्तर प्रदेश की सियासत में हाशिये पर मौजूद कांग्रेस पार्टी (Congress( मुख्यधारा में आ पाएगी ? प्रदेश स्तर पर हाल में हुए सांगठनिक फेरबदल क्या मंझधार में डूबती कांग्रेस (Congress) की कश्ती को साहिल पर ला पाने में सफल होगा ? ऐसे कई यक्ष प्रश्न हैं जो अभी तक आम जनमानस व कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए अनुत्तरति बने हुए हैं।

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पश्चिमी उप्र की बात करें तो अब पार्टी ने नसीमुददीन सिददीकी को प्रांतीय अध्यक्ष (पश्चिमी उप्र) बनाया है। पश्चिमी उप्र में कांग्रेस की स्थिति प्रदेश के बाकी जनपदों से अलग नहीं है। यही स्थिति जनपद गौतमबुद्धनगर की है। यहां मौजूद तीन विधानसभा सीटों में पिछले करीब 30 वर्षों से कांग्रेस जीत की ओर बगुला की तरह टकटकी लगाये देख रही है। ज्यों-ज्यों समय बीतता गया कांग्रेस की हालत दूसरे से तीसरे तथा चौथे नम्बर पर होती चली गयी। ऐसी स्थिति में नसीमुददीन सिददीकी बैसाखी पर चल रही कांग्रेस को मजबूती से अपने पैरों पर खड़ा कर पाएंगे?

इसमें कोई शक नहीं कि नसीमुददीन सिददीकी के पास बहुजन समाज पार्टी में संगठन का सफल नेतृत्व करने का खासा तर्जुबा है। बसपा में पार्टी सुप्रीमो मायावती के बाद दूसरे नंबर के नेताओं में उनकी गिनती थी। लेकिन कांग्रेस में आकर उन्होंने कांटों भरा ताज पहन लिया है। सांगठनिक अनुभव के बूते वे कांग्रेस में चल रही गुटबाजी को खत्म कर कार्यकर्ताओं को एकजुट कर पाएंगे इसको लेकर स्वयं कांग्रेस के कई कार्यकर्ता तथा नेता आश्वस्त नहीं है।।

नोएडा में कांग्रेस की स्थिति तो बद से बदतर हो गयी है। हाल ही में यानी वर्ष-2022 में हुए चुनाव में कांग्रेस की नयी खेवनहार राष्ट्रीय महासचिव तथा उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा भी कोई खास करिश्मा नहीं कर पायी। नोएडा में उन्होंने जीत के पूरे विश्वास के साथ महिला प्रत्याशी पंखुड़ी पाठक को टिकट दिया था। लेकिन पंखुड़ी पाठक के परिणामों ने तो कांग्रेस को मिले अब तक के वोटों से गिराकर सबसे नीचे पायदान पर लाकर पटक दिया। यानी नोएडा विधानसभा क्षेत्र (पूर्व में दादरी विधानसभा) में इतनी शर्मनाक व अपमानजनक हार किसी भी प्रत्याशी की नहीं हुई है।

इस चुनाव में पंखुड़ी पाठक को महज 13494 वोट मिले यानी कुल पड़े वोटों का महज 3.88 फीसदी। नतीजा यह रहा कि उनकी जमानत जब्त हो गयी तथा वे पारंपरिक चौथे स्थान पर रहीं। इसके पूर्व के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो वर्ष-2022 का परिणाम कांग्रेस के इतिहास का सर्वाधिक निराशाजनक काल साबित रहा है। यह आलम तब था जब स्वयं प्रियंका गांधी वाड्रा अपने प्रत्याशी के प्रचार में नोएडा आई थीं तथा वोटरों से निजी तौर पर वोट की अपील की थी। इस शर्मनाक हार के बाद भी पार्टी हाईकमान ने पंखुड़ी पाठक को उप्र सोशल मीडिया का चेयरमैन बना दिया तथा पीसीसी सदस्य भी बना दिया। चर्चा है कि उन्हें एआईसीसी सदस्य बनने की भी कवायद चल रही है।

इन परिणामों के बाद से पार्टी के कार्यकर्ता घोर निराशा तथा हताशा में हैं। वे न तो पार्टी में और न कहीं और अपना भविष्य ढूंढ पा रहे हैं। नतीजा कुछ पार्टी छोड़कर दूसरे दलों में चले गए तो कई तटस्थ होकर उचित समय व अवसर की तलाश में प्रतीक्षा कर रहे है। ऐसी स्थिति से पार्टी को रसातल से उबारने में क्या नये प्रांतीय अध्यक्ष सफल हो पाएंगे। इसका जवाब फि लहाल किसी के पास नहीं है।

दो दशक के चुनावी परिणाम

वर्ष            प्रत्याशी          कुल वोट                प्रतिशत 2002        रघुराज सिंह     39019                  20.38 2007        रघुराज सिंह     23875                  10.29 2012        डा. वीएस चौहान 25482               12.15 2014       राजेन्द्र अवाना  करीब 17000 2022      पंखुड़ी पाठक   13494 3.              88