Delhi News : दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से बड़ी मात्रा में बेहिसाब नकदी मिलने के बाद एक बार फिर से राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) चर्चा में आ गया है। इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने घोषणा की कि वह शीघ्र ही राज्यसभा में विभिन्न राजनीतिक दलों के संसदीय नेताओं की बैठक बुलाएंगे, ताकि एनजेएसी अधिनियम के मुद्दे पर चर्चा की जा सके।
सभी पार्टियों के नेताओं से चर्चा करेंगे धनखड़
उपराष्ट्रपति धनखड़ एनजेएसी अधिनियम को सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2015 में रद किए जाने के खिलाफ मुखर आलोचना कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को फिर से उठाने के लिए वह सभी पार्टियों के नेताओं से चर्चा करेंगे।राज्यसभा के सभापति ने सोमवार को इस संबंध में भाजपा नेता जेपी नड्डा और प्रतिपक्ष नेता मल्लिकार्जुन खरगे के साथ बैठक की। यह बैठक खासतौर पर 21 मार्च को कांग्रेस नेता जयराम रमेश द्वारा उच्च सदन में उठाए गए जस्टिस वर्मा के घर से नकदी बरामदगी के मुद्दे के संदर्भ में बुलाई गई थी।
यदि कानून किया जाता लागू तो इन विवादों का नहीं करना पड़ता सामना
धनखड़ ने इस बैठक में बताया कि 2014 में एनजेएसी एक्ट को संसद में पारित किया गया था, जिसमें न्यायिक नियुक्तियों के लिए एक स्पष्ट तंत्र प्रस्तावित किया गया था, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को रद्द कर दिया। उन्होंने राज्यसभा में कहा था कि यह ऐतिहासिक विधेयक संसद द्वारा अत्यधिक सहमति से पारित किया गया था। यदि इस कानून को लागू किया गया होता तो शायद हमें ऐसे विवादों का सामना नहीं करना पड़ता।धनखड़ ने कहा था कि वह इस मुद्दे पर नेता सदन और नेता प्रतिपक्ष से विचार-विमर्श करेंगे।
आगे की चर्चा का रास्ता साफ होने की संभावना
वहीं, तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने आशंका जताई कि केंद्र सरकार जज के आवास से नकदी बरामदगी का इस्तेमाल न्यायिक नियुक्तियों पर नियंत्रण स्थापित करने के प्रयास के रूप में कर सकती है। उन्होंने दावा किया कि इस तरह के मुद्दे को उछालने से एनजेएसी को फिर से लागू करने का एक बड़ा प्रयास हो सकता है। इस सब के बीच, एनजेएसी अधिनियम और न्यायिक जवाबदेही पर एक बार फिर से राजनीति गरमा गई है, और इस पर आगे की चर्चा का रास्ता साफ होने की संभावना है। Delhi News
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