Mehrauli murder: आफताब का गुरुवार को हो सकता है नार्को टेस्ट

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Mehrauli murder case
locationभारत
userचेतना मंच
calendar23 Nov 2022 09:02 PM
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Mehrauli murder case: दिल्ली के श्रद्धा हत्याकांड के आरोपी आफताब पूनावाला जहां कोर्ट में अपना जुर्म कबूल कर चुका है, वहीं अब कल यानि गुरुवार से उसका नार्को टेस्ट होने की संभावना है। आपको बता दें कि इस हत्याकांड में लगातार नए अपडेट आ रहे हैं। दिल्ली पुलिस आफताब से गहराई तक पूछताछ करने में जुटी है।

Mehrauli murder case

28 वर्षीय आफताब पूनावाला को उसके भावनात्मक, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य का पता लगाने के लिए कई परीक्षणों से गुजरना होगा। यदि प्रारंभिक जांच में उसे ठीक नहीं पाया जाता है तो नार्को विश्लेषण नहीं किया जा सकता है। पूनावाला को मंगलवार को फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) में पॉलीग्राफ टेस्ट, जिसे ‘लाई डिटेक्टर टेस्ट’ के रूप में भी जाना जाता है, से गुजरना पड़ा था। गौरतलब है कि आफताब पूनावाला को 12 नवंबर को दिल्ली पुलिस ने दक्षिणी दिल्ली के महरौली इलाके में किराये के अपने फ्लैट में श्रद्धा की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया था। पुलिस ने कहा था कि आफताब ने पहले श्रद्धा वालकर की गला घोंटकर हत्या की और उसके बाद उसके शव के करीब 35 टुकड़े किए जिसे उसने घर में 300 लीटर के फ्रिज में लगभग तीन सप्ताह तक रखा और फिर उन्हें शहर के विभिन्न इलाकों में कई दिनों तक फेंकता रहा।

Noida News : कुख्यात माफिया सरगना अनिल दुजाना एक बार फिर सुर्खियों में

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Noida News : कुख्यात माफिया सरगना अनिल दुजाना एक बार फिर सुर्खियों में

Anil dujana
Notorious mafia kingpin Anil Dujana once again in headlines
locationभारत
userचेतना मंच
calendar23 Nov 2022 08:46 PM
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ग्रेटर नोएडा/दादरी/नोएडा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय रहा कुख्यात माफिया अनिल दुजाना एक बार फिर चर्चा में है। इस बार चर्चा का कारण उसका कोई अपराध नहीं बल्कि अपराध के लिए मिली सजा है। अनिल दुजाना को एक मामले में तीन वर्ष के कारावास की सजा मिलने के बाद उसके कारनामे फिर से सुर्खियां बन रहे हैं। आपको बता दें कि अनिल दुजाना पर एक-दो नहीं उत्तर भारत के अलावा अन्य प्रदेशों में 150 अपराधिक मामले दर्ज हैं।

Noida News :

सब जानते हैं कि दादरी क्षेत्र के दुजाना गांव का रहने वाला अनिल दुजाना किसी जमाने में एक होनहार युवक हुआ करता था। धीरे-धीरे वह कुछ अपराधिक किस्म के युवकों के संपर्क में आया और देखते ही देखते ही वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश का वह बड़ा सरगना बन गया। 22 नवंबर 2022 (कल) को खेड़ी गांव के प्रधान जयचंद की हत्या के आरोप में कुख्यात गैंगस्टर अनिल दुजाना को सीजेएम ने 3 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। दुजाना पर 20 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है।

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बता दें कि 24 अगस्त 2011 को थाना बादलपुर क्षेत्र के खेड़ी गांव के प्रधान जयचंद की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में मृतक के परिजनों ने कुख्यात गैंगस्टर अनिल दुजाना के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। मुकदमा दर्ज होने के बाद से ही अनिल दुजाना फरार चल रहा था। इस मामले में न्यायालय के आदेश पर पुलिस पूर्व में धारा-82, 83 के अंतर्गत आरोपी के खिलाफ  कुर्की की कार्रवाई भी कर चुकी थी। इसके बावजूद भी आरोपी न्यायालय में उपस्थित नहीं हुआ। फरार चलने के कारण गैंगस्टर अनिल दुजाना के खिलाफ धारा-174 ए के तहत थाना बादलपुर में मुकदमा पंजीकृत किया गया। इस मामले की सुनवाई सीजेएम कोर्ट गौतमबुद्धनगर में चल रही थी। अभियोजन अधिकारी महेंद्र सिंह राठौर ने इस मामले में गहन पैरवी की। जिसके आधार पर न्यायालय ने अनिल दुजाना को दोषी ठहराते हुए धारा-174ए के तहत 3 वर्ष के कारावास एवं 20 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड जमा न करने पर आरोपी को 10 दिनों का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। शातिर गैंगस्टर अनिल दुजाना वर्तमान में जिला कारागार अयोध्या में बंद है। अनिल दुजाना पर जनपद गौतमबुद्धनगर सहित विभिन्न राज्यों में हत्या, लूट, रंगदारी आदि के करीब 150 से अधिक संगीन मुकदमे दर्ज हैं।

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जिले में कुख्यात गैंगस्टर सुंदर भाटी एवं अनिल दुजाना का एक दशक पूर्व तक इतना खौफ था कि लोग इनके खिलाफ गवाही देना तो दूर मुकदमा दर्ज कराने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाते थे। यही कारण रहा कि दोनों गैंगस्टर का आतंक जिले की सीमाओं से बाहर निकलकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लगातार बढ़ता चला गया। हाल ही में कुख्यात गैंगस्टर सुंदर भाटी को ग्राम प्रधान की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। अब न्यायालय ने कुख्यात गैंगस्टर अनिल दुजाना को भी सजा सुना दी है। 2002 में अपराध की दुनिया में रखा कदम, कोई गवाही तक नहीं देता था उसके खौफ से कुख्यात गैंगस्टर अनिल दुजाना मूल रूप से थाना बादलपुर क्षेत्र के दुजाना गांव का रहने वाला है। अनिल दुजाना ने वर्ष 2002 में अपराध की दुनिया में कदम रखा था जिसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक जघन्य अपराधों को अंजाम देता चला गया। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक अनिल दुजाना वर्ष 2002 में नोएडा के थाना सेक्टर 20 से आम्र्स एक्ट में जेल गया। जेल में शातिर बदमाशों की सरपरस्ती में उसने बदमाशी के गुर सीखे। जमानत पर बाहर आने के बाद अनिल दुजाना ने अपना गैंग बनाकर लूट, हत्या व फिरौती की घटनाओं को अंजाम देना शुरू कर दिया। रंगदारी ना देने पर अनिल दुजाना के साथ शूटर किसी पर भी जानलेवा हमला कर उसे मौत के घाट उतार देते थे। कुछ ही समय में अनिल दुजाना अपने आतंक के बल पर माफिया का सिंडिकेट ऑपरेट करने लगा। अनिल दुजाना के खिलाफ अपराधों की फेरहिस्त खासी लंबी चौड़ी है। उस पर जनपद गौतमबुद्धनगर सहित विभिन्न जनपदों व अन्य राज्यों में लगभग 50 से अधिक मुकदमा पंजीकृत हैं। अनिल दुजाना की दहशत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसके द्वारा जघन्य वारदातों को अंजाम देने के बाद कोई उसके खिलाफ गवाही तक देने को तैयार नहीं होता था। जिन लोगों ने उसके खिलाफ गवाही देने की हिम्मत जुटाई उन्हें या तो मौत के घाट उतार दिया गया या उन्हें डरा धमका कर चुप बैठा दिया गया।
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Shraddha Murder Case: बड़ी आरी-दांत वाले चाकू के प्रयोग से गए थे शव के टुकड़े

Shraddha murder case
Shraddha murder case
locationभारत
userचेतना मंच
calendar23 Nov 2022 06:07 PM
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Shraddha Murder Case: दिल्ली के श्रद्धा हत्याकांड में फोरेंसिक विशेषज्ञों और वकीलों को संदेह है कि आफताब आमीन पूनावाला ने अपराध को अंजाम देने के लिए बड़े आरी-दांत वाले चाकू का इस्तेमाल किया था। ये फोरेंसिक विशेषज्ञ और वकील कई ऐसे मामलों को देख चुके हैं, जिनमें अपराध को अंजाम देने के बाद शव के कई टुकड़े कर दिए गए।

Shraddha Murder Case

आफताब पर अपनी लिव-इन-पार्टनर श्रद्धा वालकर की हत्या कर उसके शव के 35 टुकड़े करने का आरोप है। दिल्ली पुलिस अभी तक हथियार बरामद नहीं कर पाई है। हालांकि सोशल मीडिया पर प्रसारित कुछ खबरों में अपराध में एक बड़े चाकू या आरी के इस्तेमाल का जिक्र किया गया है।

पुलिस ने मामले में पूनावाला को गिरफ्तार किया है और ऐसा कहा जा रहा है कि उसने अपराध स्वीकार कर लिया है। हालांकि, उसके वकील ने इस दावे को खारिज किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि पहले सामने आए ऐसे मामलों में इस्तेमाल किए गए हथियार या तो बिजली के कटर या 18 से 20 इंच के आरी-दांत वाले चाकू थे। आपराधिक मामलों के वकील आर. वी. किनी ने 2008 में फिल्म निर्माता नीरज ग्रोवर हत्याकांड में अभियोजन पक्ष का प्रतिनिधित्व किया था।

उन्होंने मामले के दोषियों मारिया मोनिका सुसैराज और एमिल जेरोम जोसेफ का जिक्र करते हुए कहा कि नीरज के शव के 30 से अधिक टुकड़े किए गए थे। इन टुकड़ों को एक बैग में डालकर उसे मुंबई के बाहरी इलाके में जलाने की कोशिश की गई। किनी ने कहा कि उन्होंने दो हथियारों का इस्तेमाल किया था। एक तेज धार वाले चाकू और आरी जैसे दांतों वाले चाकू का...जो हैंडल समेत करीब 18 इंच लंबा था। शव को इतने हिस्सों में काटा गया था कि उसके कुल कितने टुकड़े किए गए यह बताना आसान नहीं है, लेकिन मुझे लगता है कि वे 30 से अधिक थे। किनी ने कहा कि मुझे लगता है कि श्रद्धा वालकर हत्याकांड में भी इसी तरह के हथियार का इस्तेमाल किया गया।

ऐसा ही एक अन्य मामला 2010 का है, जिसमें देहरादून में राजेश गुलाटी ने अपनी पत्नी की हत्या कर दी और कथित तौर पर लोहे के कटर, लकड़ी काटने के उपकरण और पत्थर काटने के उपकरण से उसके शव के 70 से अधिक टुकड़े किए थे। पुलिस को लोहे के कटर का इस्तेमाल करने के निर्देश संबंधी एक पुस्तिका भी बरामद हुई थी। उत्तराखंड सरकार के उप महाधिवक्ता जे.एस. विर्क ने बताया कि गुलाटी ने अपनी पत्नी की हत्या के बाद उसकी पहचान छुपाने के लिए उसके शव के कई टुकड़े किए और इसके लिए कई हथियारों का इस्तेमाल किया।

विर्क ने कहा कि खबरों के अनुसार शव के 70 से अधिक टुकड़े किए गए, लेकिन ये गलत है। मुझे कुल मिलाकर इतना याद है कि उसने शव के कई टुकड़े किए करीब 30 या 40 और उसे एक ‘डीप फ्रीजर’ में रख दिया। उन्होंने कहा कि गुलाटी और आफताब ने जिस तरह अपराध को अंजाम दिया उसमें काफी समानता है। दोनों ने शव के कटे हुए टुकड़ों को अलग-अलग जगहों पर फेंक कर ठिकाने लगाने की कोशिश की।

सरकारी अस्पताल के एक वरिष्ठ फोरेंसिक विशेषज्ञ ने नाम उजागर न करने की शर्त पर भाषा को बताया कि उन्होंने कई ऐसे मामलों में शवों के टुकड़ों का पोस्टमार्टम किया है। मानव शरीर की शारीरिक रचना को देखते हुए जोड़ों से एक शरीर को आसानी से 12 से 13 टुकड़ों में काटा जा सकता है। उन्होंने कहा कि शव के 13 से अधिक टुकड़े करने के लिए किसी को भी बिजली से चलने वाली आरी या कटर की जरूरत होगी। ऐसे हथियारों से शव को कुछ मिनट में ही कई टुकड़ों में काटा जा सकता है।

उन्होंने कहा कि बिजली के कटर काफी आवाज करते हैं इसलिए अपराधी अक्सर हाथ से चलने वाली आरी का इस्तेमाल करते हैं जिसमें काफी समय लगता है। ऐसे कई मामले भी हैं जहां पहले धारदार चाकू से त्वचा को हटाया जाता है और फिर हड्डियों को आरी-दांत वाले चाकू से काटा जाता है। उन्होंने बताया कि आरी त्वचा पर आसानी से नहीं चल सकती लेकिन एक बार त्वचा निकल जाने के बाद हड्डी को काटना आसान हो जाता है।

गौरतलब है कि आफताब पूनावाला और श्रद्धा की मुलाकात एक डेटिंग एप के जरिए हुई थी। इसके बाद उन्होंने मुंबई में एक कॉल सेंटर में साथ काम करना शुरू किया और दोनों के बीच वहीं से प्रेम संबंध शुरू हुए। अलग-अलग धर्म से नाता रखने के कारण उनके माता-पिता को उनके रिश्ते से ऐतराज़ था इसीलिए ही वे दिल्ली आ गए थे।

दोनों के बीच कथित तौर पर 18 मई को शादी को लेकर बहस हुई, जिसके बढ़ने पर पूनावाला ने श्रद्धा की हत्या कर दी और उसके शव के 35 टुकड़े कर दिए। पूनावाला ने दक्षिणी दिल्ली के महरौली में अपने घर पर करीब तीन सप्ताह तक इन टुकड़ों को 300 लीटर के फ्रिज में रखा। वह कई दिन तक आधी रात को उन्हें शहर भर में फेंकने के लिए जाता था।

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