UP:उप्र में नहीं होगा आप व सपा में चुनावी गठबंधन

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calendar02 Dec 2025 02:00 AM
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अरूण सिन्हा

नोएडा। उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव (Assembly Election )को लेकर आम आदमी पार्टी (AamAdmi Party)तथा समाजवादी पार्टी(Samajwadi party) के बीच चुनावी गठबंधन नहीं होगा। आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं ने अनौपचारिक बातचीत में दबी जुबान से इस बात को स्वीकार भी किया है।

‘आप’ के नेताओं ने गठबंधन न होने की प्रमुख वजह सांगठनिक अपेक्षाओं तथा सीटों के तालमेल पर सहमति न होना बताया।  बता दें कि आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य तथा उत्तर प्रदेश के प्रभारी संजय सिंह ने गठबंधन को लेकर दो बार समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से वार्ता की, लेकिन नतीजा सिफर रहा।

इस मामले पर पूछने पर आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता तथा दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने औपचारिक तौर पर गोल मटोल जवाब देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में आप का गठबंधन किसी राजनीतिक दल से नहीं बल्कि जनता के साथ है। चुनाव में इसके बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे। आप के वरिष्ठ नेता तथा उत्तर प्रदेश के प्रभारी संजय सिंह ने गठबंधन को लेकर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से वार्ता के संबंध में कहा कि यह अनौपचारिक वार्ता थी। जिसमें प्रदेश से भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने के संबंध में चर्चा हुर्ई थी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में हर विपक्षी दलों का एक ही मकसद है कि प्रदेश से भाजपा के कुशासन को कैसे समाप्त किया जाए।

बता दें कि कल अनौपचारिक बातचीत में आम आदमी पार्टी के एक शीर्ष नेता ने माना कि सीटों के लिए समाजवादी पार्टी के साथ सहमति नहीं हो पा रही है इसलिए गठबंधन होना फिलहाल संभव नहीं प्रतीत हो रहा है।

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Greater Noida: ठेका कार्यों के रेट्स न  बढाए जाने से विकास कार्य हुए ठप्प: कर्मवीर नागर

Karamveer Nagar
locationभारत
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calendar16 Dec 2021 06:12 PM
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ग्रेटर नोएडा । हालांकि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण (Greater Noida authority)पर किसानों की बैक लीज, आबादी मामले निस्तारण, शिटिंग, अर्जित भूमि की एवज में रिहायशी भूखंडों का आवंटन जैसे तमाम कार्य न करने की तोहमत लंबे समय से लगती रही है। जिसके लिए समय-समय पर किसान आंदोलन (Farmer Protest)होते रहते हैं। लेकिन अब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र में विकास की गति भी पूरी तरह से ठप्प हो गई है। हालात यह है कि ग्रेनो प्राधिकरण द्वारा गांवों और सेक्टर्स में विभिन्न विकास कार्यों हेतु प्रकाशित टेंडर्स की प्रक्रिया में ठेकेदार टेंडर डालने में रुचि नहीं ले रहे हैं। जहां टेंडर लेने के लिए ठेकेदारों की मारामारी रहती थी और प्रत्येक टेंडर प्रक्रिया में कई कई प्रतियोगी कॉन्ट्रैक्टर भाग लेते थे वहीं अब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की यह स्थिति हो गई है कि कोई भी कांट्रेक्टर ठेका लेने की प्रक्रिया में भाग नहीं ले रहा है जिसका मुख्य कारण ग्रेटर नोएडा द्वारा ठेका कार्यों की दरें न बढ़ाया जाना है।

आपको बताना अनिवार्य होगा कि गौतम बुद्धनगर के तीनों प्राधिकरणों में विकास कार्यों में प्रयुक्त होने वाली सामग्री की दरों का प्राक्कलन सीपीडब्ल्यूडी की दरों से किया जाता है। नोएडा  और यमुना प्राधिकरण ने अपने यहां विकास कार्यों की प्राक्कलन (एस्टीमेट) दरें 2019 में परिवर्तित कर के नई दरें लागू कर दी हैं। लेकिन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अभी भी सन् 2013 की पुरानी दरों के हिसाब से ही ठेका कार्य में प्रयुक्त होने वाली सामग्री की ऐस्टीमेटेड कॉस्ट पर टेंडर प्रकाशित कर रहा है जोकि तर्क संगत नहीं है। क्योंकि सन 2013 से अब तक आठ वर्ष की अवधि में रोडी, बदरपुर, स्टील,सीमेंट,लेबर आदि हर आइटम और सामग्री की कीमतों में भारी इजाफा हो चुका है। इसीलिए वर्किंग रेट्स न होने की वजह से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा विकास कार्यों के लिए बार बार लोट किये जा रहे टेंडर्स को लेने में ठेकेदार रुचि नहीं ले रहे हैं। जिस वजह से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र में विकास कार्य पूरी तरह ठप्प गए हैं।

बढ़ती महंगाई में सन् 2013 की पुरानी दरों पर ठेका लेने का प्रथम सीधा सा तात्पर्य ठेकेदार को घाटा उठाना है जिसे वह स्वीकार नहीं कर सकता। दूसरे पुरानी दरों पर ठेका लेने से खराब गुणवत्ता और भ्रष्टाचार की संभावना भी बलवती होती है लेकिन खराब गुणवत्ता का कार्य करने से ठेकेदार पूरी तरह भयभीत हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जब यमुना प्राधिकरण और नोएडा प्राधिकरण ने सन 2019 में नई दरें लागू कर दी हैं तो ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण नई दरें लागू करने से क्यों हिचक रहा है? ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा ठेका कार्यों की नई दरें लागू में किये जाने को भी क्षेत्र के कुछ लोग नेतृत्व क्षमता से जोडक़र देखते हैं। लेकिन जो भी हो यह ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के गांवों एवं सेक्टर्स के लोगों के लिए बड़े ही विडंबना का विषय है।

 इस संबंध में शासन, प्रशासन के अतिरिक्त स्थानीय जनप्रतिनिधि भी पूरी तरह उदासीन नजर आ रहे हैं। क्योंकि क्षेत्र में विकास कार्य ठप्प होने से आम जनता की उंगली सीधे स्थानीय जनप्रतिनिधियों की तरफ उठना स्वाभाविक है। वैसे भी राजनीतिक दलों द्वारा 2022 के विधानसभा चुनाव का टिकट देने हेतु रिपोर्ट कार्ड जनप्रतिनिधियों का ही चैक किया जाना है ना कि अधिकारियों का। इसीलिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में भी ठेका कार्यों के लिए नई दरें लागू कराने पर दबाव बनाना चाहिए पार्किंग ठप्प पड़े विकास कार्य प्रारंभ हो सकें अन्यथा ग्रेटर नोएडा क्षेत्र विकास के मामले में पिछड़ जाएगा।

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Noida: 6 अफसरों पर लटकी कार्यवाही की तलवार

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 09:05 PM
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नोएडा । सेक्टर-93ए स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट (Supertech Emrald Court)के ट्विन टॉवर मामले में अग्निशमन विभाग के 6 अफसरों पर गाज गिरना तय है। इन अधिकारियों की तैनाती उस दौरान रही जब इन टावरों का निर्माण हुआ।

शासन से निर्गत निर्देशानुसार फायर सर्विस के डीजी को 10 जुलाई 2004 से 31 जुलाई 2015 तक मेरठ और गौतमबुद्ध नगर के 6 अग्निशमन अधिकारियों के पद पर रहे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं। उन्होंने इन 6 अधिकारियों पर कार्रवाई कर और उसकी रिपोर्ट शासन को भेजने के लिए कहा है। हालांकि इस बात का प्रमाण सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जारी किए गए आदेश में भी साफ मिलता है।

इस मामले में डीजी मुख्यालय ने जांच प्रारंभ कर दी है। अग्निशमन के 12 साल की अवधि के दौरान रहे अधिकारियों की भूमिका की जांच करके उसकी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। जांच शुरू होने के बाद बात से विभाग के वरिष्ठ अधिकारी कुछ भी टिप्पणी करने के लिए तैयार नहीं है। उनका कहना है कि इस मामले में डीजे मुख्यालय से जांच चल रही है और वहीं से ही रिपोर्ट को तैयार करके शासन को भेजा जाना है। नोएडा सेक्टर-93ए में स्थित सुपरटेक एमरॉल्ड प्रोजेक्ट के ट्विन टावर को गिराने के सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए थे, लेकिन अभी तक इस ट्विन टावर को गिराया नहीं गया है। इन दोनों टावरों में 950 से अधिक फ्लैट बनाए गए थे। हाईकोर्ट  ने टावर को गिराने का पहला आदेश 2014 में दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 को ट्विन टावर को गिराने के आदेश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक एमराल्ड के ट्विन टावर को 30 नवंबर 2021 तक गिराने के आदेश दिए थे।

मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद एसआईटी को जांच करने का आदेश दिया था। इस मामले में एसआईटी ने 30 लोगों को दोषी माना था जिसमें 26 लोग नोएडा प्राधिकरण से संबंधित है इसमें आईएएस रैंक के अधिकारी भी शामिल है जिनके खिलाफ लखनऊ विजिलेंस में मुकदमा नोएडा प्राधिकरण ने दर्ज कराया है।  इस मामले में अब तक प्राधिकरण के नियोजन विभाग के तीन अधिकारियों को सस्पेंड किया जा चुका है।

प्राधिकरण के सूत्रों ने बताया कि आरपी सिंह त्यागी (मेरठ) 10 जुलाई , 2004 से 31 मई 2005, अरूण चतुर्वेदी (मेरठ ), 16 जून 2005 से 17 जनवरी 2007, आईएस सोनी (मेरठ), 17 जनवरी 2007 से 7 अप्रैल 2012, महावीर सिंह (नोएडा), 26 फरवरी 2009 से 3 अप्रैल 2012, अमन शर्मा (नोएडा), 4 अप्रैल 2012 से 15 दिसंबर 2012 , मुनेन्द्र कुमार त्यागी (नोएडा), 16 दिसंबर 2012 से 31 जुलाई 2015 के खिलाफ जांच चल रही है तथा जांच रिपोर्ट शासन ने तलब की है।