Monday, 7 October 2024

ग्रेटर नोएडा में हुए लीज बैक के फैसले का स्वागत, किसानों को होगा लाभ

ग्रेटर नोएडा न्यूज : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा किए गए लीज बैक के ताजा फैसले पर मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आ…

ग्रेटर नोएडा में हुए लीज बैक के फैसले का स्वागत, किसानों को होगा लाभ

ग्रेटर नोएडा न्यूज : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा किए गए लीज बैक के ताजा फैसले पर मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है। किसान नेता व सामाजिक कार्यकर्ता कर्मवीर नागर प्रमुख ने ग्रेटर नोएडा के लीज बैक वाले फैसले का स्वागत किया है। श्री नागर ने अपने एक बयान में कहा है कि यह फैसला बहुत पहले हो जाना चाहिए था।

ग्रेटर नोएडा न्यूज

एकदम सही फैसला

सामाजिक कार्यकर्ता कर्मवीर नागर प्रमुख ने अपने बयान में लिखा है कि पुश्तैनी और गैर पुश्तैनी काश्तकारों की लीज बैक जांच हेतु शासन द्वारा जनवरी 2019 में गठित एसआईटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर 237 प्रकरणों की पात्रता निरस्त करने का आदेश भले ही देर से आया लेकिन दुरुस्त आया। एसआईटी की यह जांच रिपोर्ट उन पुश्तैनी किसानों के लिए राहत भरी है जिनको अर्जित भूमि की एवज में आवंटित होने वाले भूखंडों के लिए जमीन ही उपलब्ध नहीं हो पा रही थी।

वास्तव में यह जांच रिपोर्ट उन पुस्तैनी किसानों के लिए भी राहत भरी है जिन किसानों का हक देश के दूर दराज प्रदेशों में रहने वाले उन गैर पुश्तैनी काश्तकारों ने प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारियों से मिली भगत कर हड़प लिया था जो आर्थिक और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली थे। इस भ्रष्टाचारी खेल में बहुत से अधिकारियों और दलालों के वारे न्यारे हो गए थे। उन भ्रष्टाचारी अधिकारियों का नकाब हटना चाहिए जिन्होंने किसानों का मानसिक और आर्थिक उत्पीडऩ किया है।

इस भ्रष्टाचारी खेल में जहां पुश्तैनी काश्तकारों को आबादी भूमि भी नहीं छोड़ी गई थी वहीं देश के दूर दराज शहरों में रहने वाले आर्थिक रूप से समृद्ध गैर पुस्तैनी की श्रेणी में आने वाले काश्तकारों की बड़ी तादाद में भूमि लीज बैक की गई थी।

प्राधिकरण को लिखा था पत्र

कर्मवीर नागर प्रमुख ने बताया कि प्राधिकरण द्वारा पुश्तैनी किसानों को अर्जित भूमि की एवज में भूखंड आबंटन के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध न होने का बहाना बताने की वजह से गैर पुश्तैनी काश्तकारों को गलत तरीके से की गई लीज बैक के संबंध में मैंने सन् 2018 में शिकायत की थी मेरे अतिरिक्त कुछ अन्य लोगों के द्वारा भी शिकायत की गई थी तदुपरांत इन शिकायतों का संज्ञान लेकर उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पुश्तैनी और गैर पुस्तैनी काश्तकारों की लीजबैक जांच हेतु एसआईटी का गठन किया गया था।

इस एसआईटी के चैयरमैन और यीडा के सीईओ डॉ अरुणवीर सिंह धन्यवाद के पात्र हैं जिन्होंने गैर पुश्तैनी और अपात्र काश्तकारों की लीज बैक निरस्त करने का स्वागत योग्य निर्णय दिया। हालांकि उन अधिकारियों को एसआईटी की इस जांच रिपोर्ट से कष्ट होना भी स्वाभाविक है जो पुश्तैनी काश्तकारों के हितों के खिलाफ इस भ्रष्टाचारी खेल में शामिल रहे होंगे लेकिन यह रिपोर्ट उन पुस्तैनी किसानों के लिए राहत भरी खबर है जिनको भूमि की अनुपलब्धता के कारण अर्जित भूमि की एवज में अभी तक भूखंड आबंटित नहीं हो सके हैं।

क्या होती है लीज बैक

यहां यह बताना आवश्यक है कि लीज बैक क्या होती है ? दरअसल जब किसी क्षेत्र में भूमि का अधिग्रहण किया जाता है तो एक लम्बी प्रक्रिया अपनाई जाती है। इस प्रक्रिया के दौरान भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा-4 के तहत अधिसूचना जारी की जाती है। इस अधिसूचना के बाद भूमि के मालिक किसान को आपत्ति दर्ज कराने का अधिकार होता है। जो किसान यह आपत्ति दर्ज करा देता है कि जो जमीन अधिग्रहित की जा रही है वह उसकी आबादी की जमीन है तो उस आपत्ति का संज्ञान लिया जाता है। आपत्ति के दौरान भूमि अधिग्रहण के बदले दिया जाने वाला मुआवजा सरकारी ट्रेजरी में जमा करा दिया जाता है। आबादी होने का दावा सही पाये जाने पर आबादी की जमीन को अधिग्रहण से मुक्त कर दिया जाता है। आपत्ति के आधार पर जमीन को अधिग्रहण से मुक्त करके वापस किसान के नाम दर्ज किए जाने की प्रक्रिया को लीज बैक कहा जाता है।

फैसले का विरोध भी शुरू

दूसरी तरफ लीज बैक के फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है। किसानों के प्रमुख संगठन किसान सभा ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया है। एक लिखित बयान में किसान सभा के प्रवक्ता रूपेश वर्मा ने बताया कि किसानों की आबादियों को रद्द करने के बाद किसान सभा ने तुरंत अपनी नव निर्वाचित जिला कार्यकारिणी की आपात बैठक बुलाई- जलालपुर में रामकला नागर के आवास पर हुई बैठक में शासन द्वारा किसानों के 237 प्रकरणों में लीज बैक की कार्रवाई को रद्द किए जाने को लेकर विचार-विमर्श हुआ।

बैठक में किसान सभा गौतमबुद्घनगर के अध्यक्ष डॉ रुपेश वर्मा ने कहा कि यह किसानों के साथ धोखाधड़ी है। किसान सभा के आंदोलन के कारण लीजबैक की नीति बनी थी जिसमें पुश्तैनी किसानो की आबादियों को छोड़े जाने के निर्णय हुए थे। प्राधिकरण ने गलत तथ्यों के आधार पर अपनी सिफारिशे शासन को भेजी हैं। सही मायने में पुश्तैनी किसानों की आबादियों की लीजबैक को रद्द करने का कोई आधार नहीं है। किसान सभा के महासचिव जगबीर नंबरदार ने कहा कि पूरा ग्रेटर नोएडा किसानो की जमीन पर बसा है। 16000 हेक्टेयर से अधिक जमीन किसानों ने दी है।

पुश्तैनी किसानों की पुश्तैनी आबादियों को लीज बैक घोटाला बताकर किसानों का शोषण किया जा रहा है। किसान सभा के संयोजक वीर सिंह नागर ने कहा कि किसानों की आबादी जहां है जैसी है वैसी ही प्राधिकरण को नियमित करनी पड़ेगी। किसी भी कीमत पर शोषण बर्दाश्त नहीं करेंगे। प्राधिकरण को शासन से बात कर शासन द्वारा प्रेषित पत्र को रद्द करना ही पड़ेगा। अभी 16 सितंबर को किसान सभा के आंदोलन के परिणाम स्वरूप लिखित में हुए समझौते के अनुसार किसानों के सभी मसलों को अक्टूबर महीने की बोर्ड बैठक से पास करना आवश्यक है। ऐसे में किसानों के लीज बैक के प्रकरणों को रद्द करने की खबर आने से किसान आक्रोशित हैं।

ग्रेटर नोएडा न्यूज – किसानों के साथ धोखा

लीज बैक के मामलों में चर्चित रहे किसान नेता मनबीर भाटी ने भी इस फैसले का विरोध किया है। एक लिखित बयान में श्री भाटी ने कहा है कि जिन 533 आबादी प्रकरणों को शासन से मंजूरी का भरोसा देकर किसानों को अभी धरने से उठाया था उन 533 प्रकरणों में से 243 प्रकरणों यानि कऱीब 500 निर्दोष किसानों की आबादियों को प्राधिकरण के अधिकारियों ने ग़लत तथ्य देकर SIT और शासन से खतम कराकर किसानों को बर्बाद करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर बड़ा आंदोलन किया जाएगा। ग्रेटर नोएडा न्यूज

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