Noida News: सेक्टर-93 श्रमिक कुंज प्रथम के शिव मंदिर परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास आचार्य विनोद कृष्ण जी ने कपिलोपाख्यान के उपरांत ध्रुव चरित्र का रोचक वर्णन किया।
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उन्होंने बताया कि मनु और शतरूपा के दो पुत्र हुए और तीन पुत्रियां। पुत्रों के नाम प्रियव्रत और उत्तानपाद। राजा उत्तानपाद की दो रानियां हैं एक का नाम सुरुचि और दूसरी का नाम सुनीति है। राजा सुरुचि को अधिक प्यार करते हैं जिनके पुत्र का नाम उत्तम है और सुनीति के पुत्र का नाम ध्रुव है। बालक ध्रुव एक बार पिता की गोद में बैठने की जिद करने लगता है लेकिन सुरुचि उसे पिता की गोद में बैठने नहीं देती है। ध्रुव रोता हुआ मां सुनीति को सारी बात बताता है , मां की आंखों में आंसू आ जाते हैं और वह ध्रुव को भगवान की शरण में जाने को कहती हैं। पांच वर्ष का बालक ध्रुव राज्य छोड़कर वन में तपस्या के लिए चला जाता है। नारद जी रास्ते में मिलते हैं और ध्रुव को समझाते हैं कि मैं तुम्हें पिता की गोद में बैठाउँगा लेकिन ध्रुव ने कहा कि पिता की नहीं अब परम पिता की गोद में बैठना है। कठिन तपस्या से भगवान प्रसन्न हो वरदान देते हैं । इसके अलावा जड़ भारत, वामन अवतार आदि प्रसंगों का भी वर्णन किया गया। आयोजन समिति के प्रवक्ता राघवेंद्र दुबे ने बताया कि 11 दिसंबर को कथा के चौथे दिन राम कथा, कृष्ण जन्मआदि कथाओं का वर्णन किया जाएगा।
इस अवसर पर समिति के प्रवक्ता राघवेंद्र दुबे, मुख्य यजमान श्यामानंद मिश्रा, पंडित महेश पाठक शास्त्री,पंडित महादेव शर्मा, रवि राघव, जितेंद्र ठाकुर, सुशील पाल,गोरेलाल, प्रमोद यादव, संटू मिश्रा, राजेश ध्यानी सहित तमाम भगवत्प्रेमी भक्त मौजूद रहे।
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