Delhi News : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गर्मी के आते ही पानी की किल्लत आम समस्या बन जाती है। हर साल हजारों लोग पानी के लिए परेशान होते हैं लेकिन इस समस्या का स्थायी समाधान अब तक नहीं निकल पाया है। जल संकट के पीछे राजनीति, कुप्रबंधन और जल संरक्षण की अनदेखी बड़ी वजहें हैं।
राजनीति के आगे समाधान का निकला जनाजा!
दिल्ली में हर साल जब पानी की समस्या गहराती है तो सरकारें एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने लगती हैं। पहले आम आदमी पार्टी और भाजपा की सरकारें एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराती रहीं। अब दिल्ली में भी भाजपा की सरकार है जिससे स्थिति सुधारने की उम्मीद है। लेकिन पानी की बर्बादी रोकने और जल प्रबंधन सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने जरूरी हैं।
गर्मी में बढ़ती पानी की मांग
गर्मी के दिनों में दिल्ली में पानी की खपत स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है लेकिन मांग पूरी करने के लिए कोई विशेष तैयारी नहीं होती। बता दें कि, दिल्ली में जल स्रोत सीमित हैं लेकिन उनकी क्षमता बढ़ाने की कोशिश नहीं हो रही। पहले दिल्ली सब ब्रांच (DSB) नहर से हरियाणा से पानी आता था लेकिन रिसाव के कारण 25% पानी बर्बाद हो जाता था। वहीं साल 2014 में CLC (कैरियर चैनल कनाल) नहर बनी जिससे द्वारका, बवाना और ओखला जल संयंत्र (WTP) शुरू हुए उसके बाद कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया।
वजीराबाद जलाशय में गंदगी और कचरे का बाजार
दिल्ली का वजीराबाद जलाशय गंदगी और कचरे से भर गया है जिससे उसकी भंडारण क्षमता घट गई है। गर्मी के मौसम में यह जलाशय सूखने लगता है जिसकी वजह से चंद्रावल और वजीराबाद WTP को पर्याप्त पानी नहीं मिलता। वहीं मानसून में हर साल यमुना में बाढ़ आती है लेकिन उस पानी को संग्रह करने का कोई ठोस इंतजाम नहीं है। इसके अलावा दिल्ली जल बोर्ड का दावा है कि वह 1000 MGD (मिलियन गैलन प्रतिदिन) पानी उपलब्ध कराता है लेकिन 52% पानी चोरी या बर्बाद हो जाता है। 20% बर्बादी रोकने पर ही 200 MGD अतिरिक्त पानी लोगों को मिल सकता है। टूटी पाइपलाइनों और रिसाव की वजह से हजारों लीटर पानी रोज़ बह जाता है।
दिल्ली में उठाया जाना चाहिए ठोस कदम
यूरोप, अमेरिका, सिंगापुर और जापान जैसे देशों में हर स्तर पर पानी का ऑडिट किया जाता है और बर्बादी रोकने के लिए कठोर कदम उठाए जाते हैं। दिल्ली में भी ऐसा करने की सख्त जरूरत है। बता दें कि, दिल्ली में 70% पानी सिंचाई, वाहन धोने और शौचालयों में इस्तेमाल होता है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) से हर दिन 550 MGD शोधित जल निकलता है लेकिन सिर्फ 100 MGD ही उपयोग में लाया जाता है। अगर यह पानी गैर-पीने के कार्यों में लगाया जाए तो पीने के पानी की उपलब्धता काफी बढ़ सकती है। साथ ही शोधित जल को रिज एरिया में स्टोर करने से भूजल स्तर भी बढ़ेगा।
क्या है समाधान?
1. हर साल बाढ़ के पानी को स्टोर करने की व्यवस्था होनी चाहिए।
2. पाइपलाइन लीकेज और चोरी रोकने के लिए सख्त निगरानी तंत्र लागू किया जाए।
3. STP से मिलने वाले शोधित जल का 100% उपयोग सुनिश्चित किया जाए।
4. जनता को पानी बचाने के लिए जागरूक किया जाए और जल प्रबंधन में उनकी भागीदारी बढ़ाई जाए।
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