Saturday, 22 March 2025

दिल्ली में मंदिर तोड़ने का विवाद: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश

Supreme Court : दिल्ली के मयूर विहार-2 स्थित संजय झील पार्क में बने तीन मंदिरों को तोड़ने के खिलाफ दिल्ली…

दिल्ली में मंदिर तोड़ने का विवाद: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश

Supreme Court : दिल्ली के मयूर विहार-2 स्थित संजय झील पार्क में बने तीन मंदिरों को तोड़ने के खिलाफ दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के हॉर्टिकल्चर विभाग द्वारा नोटिस जारी किया गया था। इसके बाद बुलडोज़र एक्शन के दौरान बवाल हुआ, और मामला अब सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) पहुंच गया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुरू कर दी है और कई अहम सवाल उठाए हैं।

मंदिरों पर नोटिस और विरोध

डीडीए द्वारा मंदिरों को तोड़े जाने का नोटिस जारी होते ही स्थानीय निवासी इस कदम के खिलाफ विरोध में उतर आए। रातभर मंदिरों में पूजा की जाती रही, ताकि प्रशासन कोई एक्शन न ले सके। लेकिन सुबह होते ही प्रशासन ने भारी सुरक्षा बल के साथ बुलडोज़र भेजे, और मंदिरों को गिराने की प्रक्रिया शुरू कर दी। स्थानीय लोगों ने इसे लेकर जमकर विरोध किया और हंगामा बढ़ते ही मंदिरों पर बुलडोज़र की कार्रवाई अनिश्चितकाल के लिए रोक दी गई।

सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) का रुख

इस मामले में वकील विष्णु शंकर जैन ने सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) में याचिका दायर की। उनका कहना था कि यह मंदिर 35 साल से वहां स्थित हैं और सुप्रीम कोर्ट का पहले का फैसला कहता है कि 2009 से पहले बने धार्मिक स्थल नहीं हटाए जा सकते। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार किया और कहा कि याचिकाकर्ता को पहले हाईकोर्ट में जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी पूछा कि अनुच्छेद 32 के तहत याचिका क्यों दायर की गई है। इसके बाद याचिका खारिज कर दी गई।

सेक्टरवासियों का पक्ष

सेक्टरवासियों ने इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि इन मंदिरों की उम्र 40 साल से भी अधिक है और ये रजिस्टर्ड हैं। वे सालों से यहां पूजा करते आ रहे हैं, और हर साल दुर्गा पूजा, सरस्वती पूजा जैसे धार्मिक आयोजन होते रहे हैं। इन मंदिरों पर एक्शन का विरोध करते हुए उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि नोटिस पर अधिकारी के हस्ताक्षर और विभाग की मुहर नहीं है, जिससे इसकी वैधता पर संदेह उत्पन्न हुआ है।

इस तरह से, यह मामला न केवल स्थानीय निवासियों के लिए एक धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दा बन गया है, बल्कि कानूनी दृष्टिकोण से भी यह महत्वपूर्ण हो गया है।Supreme Court :

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