जहरीली हवा बनी सियासी मुद्दा, कांग्रेस ने केजरीवाल और भाजपा को लपेटा
राजधानी दिल्ली में लगातार बिगड़ती हवा की गुणवत्ता को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने उपराज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लिखे गए पत्र के हवाले से भाजपा, आप पार्टी और एलजी प्रशासन तीनों को कटघरे में खड़ा किया है।

बता दें कि देवेंद्र यादव ने कहा है कि दिल्ली के तीन करोड़ से ज्यादा लोगों की सेहत से जुड़ा यह गंभीर संकट सरकारों की लापरवाही और राजनीतिक दिखावे की भेंट चढ़ गया है। जिसमें प्रदूषण छोड़ शराब नीति पर रहा सरकार का फोकस किया और देवेंद्र यादव ने आरोप लगाया कि जब दिल्ली को साफ हवा की सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब केजरीवाल सरकार शराब नीति को बढ़ावा देने और उससे जुड़े कथित घोटालों में उलझी रही। उन्होंने कहा कि जनता की सेहत से बड़ा सरकार के लिए कोई मुद्दा नहीं रहा।
उपराज्यपाल का पत्र सरकारों की असंवेदनशीलता का प्रमाण: कांग्रेस
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि उपराज्यपाल के पत्र से यह साफ हो गया है कि दिल्ली को जानलेवा प्रदूषण से राहत दिलाने में भाजपा की “चार इंजन सरकार” पूरी तरह नाकाम रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल सरकार ने 11 वर्षों में प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर केवल भ्रम और राजनीति की। उन्होंने कहा कि केजरीवाल का यह बयान कि “प्रदूषण हर साल 15-20 दिन का मुद्दा होता है” उनकी असंवेदनशील मानसिकता को उजागर करता है।
भाजपा सरकार भी दिखावे तक सीमित
बता दें कि कांग्रेस नेता ने कहा कि उपराज्यपाल का पत्र भाजपा सरकार की नाकामी छिपाने की कोशिश है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले दस महीनों से सत्ता में रहने के बावजूद भाजपा सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कोई ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठाया, केवल खोखले दावे किए गए।
खतरनाक स्तर पर पहुंचा प्रदूषण, जनता बेहाल
बता दें कि देवेंद्र यादव ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण रोज़ खतरनाक स्तर पार कर रहा है। हालात ऐसे हैं कि डॉक्टर और पर्यावरण विशेषज्ञ लोगों को दिल्ली छोड़ने तक की सलाह दे रहे हैं, लेकिन सरकारें गंभीर कदम उठाने के बजाय राजनीतिक बयानबाज़ी में लगी हैं।
जहरीली हवा और गंदे पानी के लिए दोनों पार्टियां दोषी
कांग्रेस अध्यक्ष ने साफ कहा कि दिल्ली की जहरीली हवा और दूषित पानी के लिए भाजपा और आम आदमी पार्टी दोनों बराबर की जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि एक ओर 11 साल तक आप पार्टी सरकार में रही और दूसरी ओर केंद्र में 2014 से भाजपा की सरकार है, लेकिन प्रदूषण कम करने के लिए कोई ठोस काम नजर नहीं आया।
यमुना से लेकर परिवहन तक हालात बदहाल
बता दें कि देवेंद्र यादव ने दिल्ली एनसीआर में यमुना की सफाई, टूटी सड़कों, गड्ढों, मेट्रो फेज-4 की रुकावटों और डीटीसी बसों की कमी जैसे मुद्दों पर भी सरकारों को घेरा है और उन्होंने कहा कि इन सभी मोर्चों पर लापरवाही का खामियाजा दिल्लीवासियों की सेहत और जीवन भुगत रहा है। जिसमें आए दिन अगर भाजपा सरकार सर्वे करें तो इनके पुलिस प्रशासन और सरकार कर रही है।
सर्वदलीय बैठक से पीछे हटी सरकार
बता दें कि देवेंद्र यादव ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और उपराज्यपाल द्वारा प्रदूषण नियंत्रण को लेकर बैठक के दावे किए गए, लेकिन ज़मीनी असर नहीं दिखा। कांग्रेस द्वारा सुझाई गई सर्वदलीय बैठक से सरकार पीछे हट गई, जिससे उसकी नीयत पर सवाल उठते हैं।
राजनीति नहीं, एकजुट प्रयास जरूरी
बता दें कि देवेंद्र यादव ने कहा कि अगर सरकारें वाकई दिल्ली को बचाना चाहती हैं, तो राजनीति छोड़कर सभी दलों को मिलकर काम करना होगा, वरना आने वाले समय में प्रदूषण और भी भयावह रूप ले सकता है।
कांग्रेस के सर्वे में हुआ खुलासा
बता दें कि हाल ही में एक सर्वे से एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि शहर की सरकारी पुलिस वाहनों से उत्सर्जित धुएँ की मात्रा आम वाहनों की तुलना में कहीं अधिक है, लेकिन ट्रैफिक पुलिस और पुलिस प्रशासन की ओर से इस गंभीर समस्या पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी जा रही है। सरकारी पुलिस वाहनों से निकलने वाला ब्लैक स्मोक/धुआँ पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक मानकों से ऊपर है। कई वाहनों में एग्ज़ॉस्ट चेक और मैकेनिकल सर्विसिंग समय पर नहीं हो रही, जिससे धुएँ में वृद्धि हो रही है। सर्वे में यात्रियों और आम लोगों ने बताया कि ये वाहन शहर के व्यस्त इलाकों में, खासकर सुबह-शाम के समय, कई गुणा अधिक धुआँ छोड़ते हैं।
बता दें कि देवेंद्र यादव ने कहा है कि दिल्ली के तीन करोड़ से ज्यादा लोगों की सेहत से जुड़ा यह गंभीर संकट सरकारों की लापरवाही और राजनीतिक दिखावे की भेंट चढ़ गया है। जिसमें प्रदूषण छोड़ शराब नीति पर रहा सरकार का फोकस किया और देवेंद्र यादव ने आरोप लगाया कि जब दिल्ली को साफ हवा की सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब केजरीवाल सरकार शराब नीति को बढ़ावा देने और उससे जुड़े कथित घोटालों में उलझी रही। उन्होंने कहा कि जनता की सेहत से बड़ा सरकार के लिए कोई मुद्दा नहीं रहा।
उपराज्यपाल का पत्र सरकारों की असंवेदनशीलता का प्रमाण: कांग्रेस
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि उपराज्यपाल के पत्र से यह साफ हो गया है कि दिल्ली को जानलेवा प्रदूषण से राहत दिलाने में भाजपा की “चार इंजन सरकार” पूरी तरह नाकाम रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल सरकार ने 11 वर्षों में प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर केवल भ्रम और राजनीति की। उन्होंने कहा कि केजरीवाल का यह बयान कि “प्रदूषण हर साल 15-20 दिन का मुद्दा होता है” उनकी असंवेदनशील मानसिकता को उजागर करता है।
भाजपा सरकार भी दिखावे तक सीमित
बता दें कि कांग्रेस नेता ने कहा कि उपराज्यपाल का पत्र भाजपा सरकार की नाकामी छिपाने की कोशिश है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले दस महीनों से सत्ता में रहने के बावजूद भाजपा सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कोई ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठाया, केवल खोखले दावे किए गए।
खतरनाक स्तर पर पहुंचा प्रदूषण, जनता बेहाल
बता दें कि देवेंद्र यादव ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण रोज़ खतरनाक स्तर पार कर रहा है। हालात ऐसे हैं कि डॉक्टर और पर्यावरण विशेषज्ञ लोगों को दिल्ली छोड़ने तक की सलाह दे रहे हैं, लेकिन सरकारें गंभीर कदम उठाने के बजाय राजनीतिक बयानबाज़ी में लगी हैं।
जहरीली हवा और गंदे पानी के लिए दोनों पार्टियां दोषी
कांग्रेस अध्यक्ष ने साफ कहा कि दिल्ली की जहरीली हवा और दूषित पानी के लिए भाजपा और आम आदमी पार्टी दोनों बराबर की जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि एक ओर 11 साल तक आप पार्टी सरकार में रही और दूसरी ओर केंद्र में 2014 से भाजपा की सरकार है, लेकिन प्रदूषण कम करने के लिए कोई ठोस काम नजर नहीं आया।
यमुना से लेकर परिवहन तक हालात बदहाल
बता दें कि देवेंद्र यादव ने दिल्ली एनसीआर में यमुना की सफाई, टूटी सड़कों, गड्ढों, मेट्रो फेज-4 की रुकावटों और डीटीसी बसों की कमी जैसे मुद्दों पर भी सरकारों को घेरा है और उन्होंने कहा कि इन सभी मोर्चों पर लापरवाही का खामियाजा दिल्लीवासियों की सेहत और जीवन भुगत रहा है। जिसमें आए दिन अगर भाजपा सरकार सर्वे करें तो इनके पुलिस प्रशासन और सरकार कर रही है।
सर्वदलीय बैठक से पीछे हटी सरकार
बता दें कि देवेंद्र यादव ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और उपराज्यपाल द्वारा प्रदूषण नियंत्रण को लेकर बैठक के दावे किए गए, लेकिन ज़मीनी असर नहीं दिखा। कांग्रेस द्वारा सुझाई गई सर्वदलीय बैठक से सरकार पीछे हट गई, जिससे उसकी नीयत पर सवाल उठते हैं।
राजनीति नहीं, एकजुट प्रयास जरूरी
बता दें कि देवेंद्र यादव ने कहा कि अगर सरकारें वाकई दिल्ली को बचाना चाहती हैं, तो राजनीति छोड़कर सभी दलों को मिलकर काम करना होगा, वरना आने वाले समय में प्रदूषण और भी भयावह रूप ले सकता है।
कांग्रेस के सर्वे में हुआ खुलासा
बता दें कि हाल ही में एक सर्वे से एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि शहर की सरकारी पुलिस वाहनों से उत्सर्जित धुएँ की मात्रा आम वाहनों की तुलना में कहीं अधिक है, लेकिन ट्रैफिक पुलिस और पुलिस प्रशासन की ओर से इस गंभीर समस्या पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी जा रही है। सरकारी पुलिस वाहनों से निकलने वाला ब्लैक स्मोक/धुआँ पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक मानकों से ऊपर है। कई वाहनों में एग्ज़ॉस्ट चेक और मैकेनिकल सर्विसिंग समय पर नहीं हो रही, जिससे धुएँ में वृद्धि हो रही है। सर्वे में यात्रियों और आम लोगों ने बताया कि ये वाहन शहर के व्यस्त इलाकों में, खासकर सुबह-शाम के समय, कई गुणा अधिक धुआँ छोड़ते हैं।












