Bussiness News : अस्थायी कर्मियों की रेटिंग में ओला, उबर को ‘शून्य’ अंक

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Bussiness News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Dec 2022 02:30 AM
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Bussiness News : नई दिल्ली। अस्थायी कर्मचारियों (गिग वर्कर) के लिए कामकाज संबंधी अनुकूल या उचित परिस्थितियों के आधार पर डिजिटल मंचों की एक रैंकिंग की गई है जिनमें सबसे कम अंक ऐप आधारित कैब सेवा कंपनियों ओला और उबर, राशन डिलिवरी ऐप डुंजो, दवा मंच फार्मइजी और अमेजन फ्लेक्स को मिले हैं।

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फेयरवर्क इंडिया की टीम ने 12 डिजिटल मंचों की यह रेटिंग ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ मिलकर तैयार की है। फेयरवर्क दुनियाभर के डिजिटल मंच के कर्मचारियों के लिए कामकाज की परिस्थितियों का आकलन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करती है। ‘फेयरवर्क इंडिया रेटिंग्स 2022 रिपोर्ट’ में डिजिटल मंचों का आकलन पांच सिद्धांतों के आधार पर किया जाता है, जो हैं: उचित भुगतान, अनुकूल परिस्थितियां, उचित अनुबंध, उचित प्रबंधन और उचित प्रतिनिधित्व। इसमें अमेजन फ्लेक्स, डुंजो, ओला, फार्मइजी और उबर को दस में से शून्य अंक मिले हैं। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘इस वर्ष किसी भी मंच को दस अंक में से सात से अधिक अंक नहीं मिले।’’ इसमें 12 मंचों का आकलन किया गया जिसमें अमेजन फ्लेक्स, बिगबास्केट, डुंजो, फ्लिपकार्ट, ओला, फार्मइजी, पोर्टर, स्विगी, उबर, अर्बन कंपनी, जेप्टो और जोमैटो शामिल हैं। रेटिंग में दस में से सर्वाधिक सात अंक उबर कंपनी को मिले। इसके बाद हैं बिगबास्केट(6/10), फ्लिपकार्ट (5/10), स्विगी (5/10), जोमैटो (4/10), जेप्टो (2/10) और पोर्टर (1/10)। दल के प्रधान जांचकर्ता प्रोफेसर बालाजी पार्थसारथी ने बताया, कानून के तहत गिग वर्कर स्वतंत्र ठेकेदार होते हैं जिसका मतलब यह है कि उन्हें असंगठित क्षेत्र के कामगारों या कर्मचारियों की तरह श्रम अधिकारों का लाभ नहीं मिलता है।

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Goodbye 2022 : कौन कहता है जेब खाली है, 3.65 लाख घर बिके

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Goodbye 2022
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 09:03 PM
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Goodbye 2022 : नई दिल्ली। आवास ऋण दरों में वृद्धि के बावजूद इस साल सात प्रमुख शहरों में घरों की बिक्री 3.65 लाख इकाई के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। घरों की बिक्री का पिछला रिकॉर्ड 2014 में बना था। एनारॉक ने यह जानकारी दी।

Goodbye 2022

संपत्ति सलाहकार कंपनी ने मंगलवार को देश के शीर्ष आवास बाजारों के मांग-आपूर्ति के आंकड़े जारी करते हुए कहा कि कोविड महामारी के बाद मांग बढ़ने और उत्पादन लागत में बढ़ोतरी के बीच आवासीय संपत्तियों के दाम चार से सात प्रतिशत बढ़े हैं। आंकड़ों के अनुसार, सात प्रमुख शहरों.... दिल्ली-एनसीआर, मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर), चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे में इस साल घरों की बिक्री पिछले साल की तुलना में 54 प्रतिशत बढ़कर 3,64,900 इकाई पर पहुंच गई है। पिछले साल इन सात शहरों में कुल 2,36,500 घर बेचे गए थे। इससे पहले 2014 में 3.43 लाख इकाइयों की बिक्री का रिकॉर्ड बना था। मुंबई महानगर क्षेत्र में 2022 में सबसे अधिक 1,09,700 घर बेचे गए। इसके बाद 63,700 इकाई के साथ दिल्ली-एनसीआर का नंबर आता है। आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में घरों की बिक्री 2022 में 59 प्रतिशत बढ़कर 63,712 इकाई हो गई, जो 2021 में 40,053 इकाई थी। एमएमआर में घरों की बिक्री 44 प्रतिशत बढ़कर 1,09,733 इकाई पर पहुंच गई। 2021 के कैलेंडर साल में इस क्षेत्र में 76,396 इकाइयों की बिक्री हुई थी। पुणे में घरों की बिक्री पिछले साल के 35,975 इकाई के आंकड़े से 59 प्रतिशत बढ़कर 57,146 इकाई पर पहुंच गई। बेंगलुरु में आवासीय इकाइयों की बिक्री 50 प्रतिशत बढ़कर 49,478 इकाई हो गई, जो पिछले साल 33,084 इकाई थी। हैदराबाद में, आवासीय संपत्तियों की बिक्री 2022 में 87 प्रतिशत बढ़कर 47,487 इकाई हो गई, जो पिछले साल 25,406 इकाई थी। चेन्नई में घरों की बिक्री पिछले साल के 12,525 इकाई से 29 प्रतिशत बढ़कर 16,097 इकाई हो गई। कोलकाता के बाजार में बिक्री इस साल 62 प्रतिशत बढ़कर 21,220 इकाई रही, जो पिछले साल 13,077 इकाई थी। नई आपूर्ति की बात की जाए, तो सात प्रमुख शहरों मे नई आवासीय इकाइयों की आपूर्ति इस साल 51 प्रतिशत के उछाल के साथ 3,57,600 इकाई पर पहुंच गई, जो 2021 में 2,36,700 इकाई थी। एमएमआर और हैदराबाद का नई आपूर्ति में सबसे अधिक हिस्सा रहा। सामूहिक रूप से नई आपूर्ति में दोनों की हिस्सेदारी करीब 54 प्रतिशत रही।

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FMCG Bussiness : कंपनियों को मात्रा, मार्जिन के लिहाज से 2023 अच्छा रहने की उम्मीद

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FMCG Bussiness
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 04:12 AM
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FMCG Bussiness: नई दिल्ली। दाम को यथावत रखते हुए उत्पाद के पैकेट के आकार को छोटा कर मात्रा में कमी करना (श्रिंकफ्लेशन) ऐसी चीज है, जो देश में पहले कभी देखने को नहीं मिली थी। लेकिन यूक्रेन में युद्ध के बाद कच्चे माल की कीमतों में जोरदार उछाल के बीच रोजाना के उपभोग का सामान (एफएमसीजी) बनाने वाली कंपनियों ने कुछ इसी तरह का रुख अपनाना है। इसकी वजह यह है कि एफएमसीजी कंपनियां यह सुनिश्चित करना चाहती हैं कि मांग में जो कमजोर सुधार है, वह पूरी तरह थम नहीं जाए।

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कच्चे माल की लागत बढ़ने के बीच जब एफएमसीजी कंपनियों के पास सारे विकल्प समाप्त हो गए, तो उन्होंने दाम बढ़ाना शुरू किया। एफएमसीजी कंपनियां उम्मीद कर रही हैं कि 2023 का साल उनके लिए कुछ बेहतर साबित होगा और वे मार्जिन के साथ-साथ मात्रा के मोर्चे पर भी बढ़ोतरी दर्ज करेंगी। विशेष रूप से इन कंपनियों को जिंस कीमतों में कमी के बीच ग्रामीण क्षेत्र की मांग में सुधार की उम्मीद है। एफएमसीजी कंपनियां ‘सतर्क के साथ आशान्वित’ भी हैं। उन्हें उम्मीद है कि ग्रामीण बाजार एक बार फिर सुधार की राह पर आएगा। उनकी कुल बिक्री में एक-तिहाई हिस्सा ग्रामीण बाजार का है। अच्छी फसल, सरकारी प्रोत्साहन और कृषि आय में सुधार से ग्रामीण बाजार की स्थिति में सुधार की उम्मीद है। एफएमसीजी क्षेत्र की मांग जिस समय सुधर रही थी, तो यूक्रेन युद्ध ने जिंस कीमतों के दाम चढ़ा दिए। कच्चे माल की ऊंची लागत से निपटने के लिए कई एफएमसीजी कंपनियों ने कीमत में बदलाव नहीं किया, लेकिन उन्होंने अपने उत्पादों के पैकेट और वजन को घटा दिया। इसे ‘श्रिंकफ्लेशन’ कहा जाता है। इसका मतबल है कि उपभोक्ताओं को कम उत्पाद के लिए समान या पुरानी कीमत का भुगतान करना पड़ रहा है। कोविड संक्रमण कम होने और अर्थव्यवस्था के खुलने के साथ 2022 की अंतिम तिमाही में मांग में सुधार होना शुरू हुआ। एफएमसीजी कंपनियां जो महामारी के कारण पिछले दो साल के दौरान गंभीर रूप से प्रभावित हुई थीं, उम्मीद कर रही हैं कि 2023 में चीजें बेहतर होंगी। डाबर इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) मोहित मल्होत्रा ​​ने कहा, हम वर्ष 2023 को लेकर आशान्वित हैं और हमें ग्रामीण मांग में सुधार की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि उभरते माध्यमों मसलन आधुनिक व्यापार और ई-कॉमर्स के जरिये शहरी मांग में वृद्धि जारी रहेगी। उद्योग में 2022 में कीमत वृद्धि दो अंक यानी 10 प्रतिशत से अधिक रही है। डेटा विश्लेषण कंपनी नील्सनआईक्यू की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी उद्योग में पिछले तीन माह की तुलना में सितंबर तिमाही में मात्रा के लिहाज से 0.9 प्रतिशत की गिरावट रही। इमामी के वाइस चेयरमैन मोहन गोयनका ने कहा कि उच्च मुद्रास्फीति और ग्रामीण सुस्ती चिंता का विषय बनी हुई है, लेकिन जिंस कीमतें नीचे आना शुरू हो गई हैं। उन्होंने कहा कि अक्टूबर से जिंस कीमतें नीचे आ रही हैं लेकिन इसका लाभ अगले वित्त वर्ष में ही दिखना शुरू होगा। ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के कार्यकारी वाइस चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक वरुण बेरी ने कहा कि महामारी के बाद मांग स्थिर हुई है। लेकिन लागत और मुनाफे के मोर्चे पर देखा जाए, तो जिंसों के दाम ऊंचे हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि जिंसों के दाम अभी नरम नहीं हुए हैं। हालांकि, हमें उम्मीद है कि आगे चलकर जिंस कीमतें नीचे आएंगी। बेरी ने कहा कि अभी सिर्फ पाम तेल का दाम नीचे आया है। गेहूं के दाम चढ़े हुए हैं जबकि चीनी स्थिर है। हालांकि, आगे हमें स्थिति में सुधार की उम्मीद है।

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